अन्तकाल में ईश्वर चिंतन
मन – वचन – कर्म के द्वारा जो आचरण पर ध्यान दिया करते।
आत्मबोध उन्हें हो जाता है , सब उनको ही योगी कहा करते।।
‘धर्म – मेध’ समाधि के द्वारा ‘ब्रह्म – बोध’ उन्हें हो जाता है।
रोग- शोक -भोग जितने जग के ,छुटकारा भी मिल जाता है।।
योगज – विभूति पाने से , आ जाती दिव्यता जीवन में।
नहीं क्लेश – शेष कोई रहता शांति छा जाती जीवन में।।
जब जीवन भक्तिमय होता तो खड़ा दूर बुढ़ापा रोता है।
मैं अपना खेल दिखा न सका , दु:ख भारी उसको होता है ।।
जीवन की सुंदर खेती में जब सर्वत्र ओ३म की फसल उगे।
तब समझो जीवन सुधर रहा और मनहंसा बैठा मोती चुगे।।
मनहंसा जब धनवान बने , और ढेर लगा ले हीरों का।
तब आत्मा को आनंद मिले और स्वामी बन जाए हीरों का।।
जो ‘ओ३म’ नाम के हीरों का व्यापारी बन व्यापार करे।
वह शांति से चोला धरता और सहज नया स्वीकार करे।।
जो अंत समय में ओ३म नाम का सिमरन करते हुए जाता है।
इसमें कुछ संशय नहीं अर्जुन ! वह मुक्तिधाम पा जाता है ।।
मुक्ति होती है मानव की जब हर क्षण बीते सिमरण में।
उनकी मुक्ति नहीं हो पाती जो व्यसन पालते जीवन में।।
व्यसनों को चुनते चलो सदा और दूर किनारा करते चलो।
जीवन की सुंदर खेती में , खेती भी सुंदर करते चलो ।।
जब गर्मी आने लगती है तो खेती भी पकने लगती है।
जैसी फसल तैयार करी , अब वैसी ही कटने लगती है।।
जिसने जीवन के हर क्षण को उसके सिमरण में बिताया हो। खेती बढ़िया उसकी कटती, जिसने मन उसमें लगाया हो।।
जो अभ्यास बनाए रखता है, उस अभ्यासी का क्या कहना ?
वही हीरों का स्वामी बनता और बन जाता धरती का गहना।।
यदि परमधाम को पाना है तो करते चलो और भजते चलो।
उसकी कृपा निश्चय होती , हर क्षण में उसको जपते चलो।।
कृष्ण बोले -‘अर्जुन ! तू क्यों बस अंत काल की ही सोच रहा?’
अंतकाल तो हर क्षण है , तू कर क्यों उल्टी खोज रहा ?
सुधार तू अपने इस क्षण को जिसमें तू मोह में फंसा हुआ।
जीवन सुंदर उसका बनता जो हर क्षण को है संभाले हुआ।।
बूंद – बूंद से भरता सागर और क्षण – क्षण से बनता जीवन।
हर क्षण मुक्ति का करो यतन यदि अनमोल बनाना है जीवन।।
यह गीत मेरी पुस्तक “गीता मेरे गीतों में” से लिया गया है। जो कि डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित की गई है । पुस्तक का मूल्य ₹250 है। पुस्तक प्राप्ति के लिए मुक्त प्रकाशन से संपर्क किया जा सकता है। संपर्क सूत्र है – 98 1000 8004
डॉ राकेश कुमार आर्य