वेद मानव मात्र के धर्म ग्रंथ हैं —– डॉ.अखिलेश शर्मा

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महरौनी (ललितपुर).महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी जिला ललितपुर के तत्वावधान में “आजादी के अमृत महोत्सव” पर वैदिक धर्म के सही मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा दो वर्षो से प्रतिदिन आयोजित “आर्यों के महाकुंभ” व्याख्यान माला में दिनांक 26अगस्त 2022 को “वेद क्या है?वेदों में क्या हैं?” विषय के संबंध में अपने विचार प्रकट करते हुए प्रो. डॉ अखिलेश शर्मा जलगांव महाराष्ट्र ने
कहा कि संसार में अनेक विषयों पर चर्चा चलती रहती है तथा इन्हीं में से एक विशिष्ट विषय है वेद ,कुछ लोग केवल वेदों के नाम मात्र से परिचित हैं परंतु उन्हें वेदों के अंदर क्या है? इस विषय से कोई भी परिचय नहीं है। जब हम वेद को पढ़ते हैं और उनके अंदर देखते हैं तो निश्चित रूप से हमें यह पता चलता है कि संसार में वेद ही एकमात्र ऐसे ग्रंथ हैं जिन्हें ईश्वरीय वाणी कहा जा सकता है। वेद शब्द संस्कृत की चार धातुओं से बनता है जिसका अर्थ होता है विचारशील , सत्तावन, ज्ञानवान, लाभप्रद। अतः वेद का अर्थ होता है ज्ञान इस संसार में जहां-जहां भी जो जो भी सत्य ज्ञान है वह सब वेद का है क्योंकि वेद भगवान के हैं। संसार में अन्य कोई भी पुस्तक ईश्वरीय वाणी नहीं कही जा सकती है क्योंकि जिन्हें लोग ईश्वरीय वाणी कहते हैं वह कुछ हजार साल पहले इस संसार में आई हैं ।परंतु मनुष्य यहां पर हजारों लाखों वर्ष पूर्व से रहता आ रहा है। यदि परमेश्वर है तो वह निश्चित रूप से अपना ज्ञन सृष्टि के प्रारंभ में ही देगा । वेद एक अरब ९६ करोड़ वर्ष पूर्व अर्थात सृष्टि के प्रारंभ से हैं जब इस सृष्टि में सर्वप्रथम मनुष्य की उत्पत्ति हुई थी तभी वेद ज्ञान परमेश्वर ने चार ऋषयों के हृदय में दिया था। वेद ईश्वरीय वाणी इसलिए हैं क्योंकि वेदों में तथाकथित किसी भी प्रकार की जाती मत पंथ या धर्म या देश का वर्णन नहीं है अपितु वहां केवल और केवल मनुष्य की बात कही गई है, और मनुष्यों के लिए बात कही गई है। जबकि अन्य ईश्वरी वाणी का दावा करने वाले ग्रंथों में ऐसा दिखाई नहीं देता है। वेद इसलिए भी ईश्वरीय वाणी है कि वेदों में परिपूर्ण ज्ञान है। वेदों में गणित विद्या, विमान विद्या, आयुर्विद्या, अध्यात्म विद्या, समाज विद्या ,अर्थविद्या इत्यादि मनुष्य को लगने वाली सारी विद्यांए विद्यमान है। जबकि अन्य ईश्वरी वाणी का दावा करने वाली ग्रंथों में या तो केवल अध्यात्म विद्या है या फिर मनुष्यों के लड़ाई झगड़ों का इतिहास भरा हुआ है और परिपूर्ण ज्ञान तो उनमें है ही नहीं। वेदों का ज्ञान विज्ञान सम्मत है उन में जो कुछ लिखा है वह सब कुछ हमें वर्तमान धरातल पर दिखाई देता है परंतु अन्य ग्रंथों में लिखा हुआ दिखाई नहीं देता है अतः हम कह सकते हैं कि वेद ही ईश्वरीय ज्ञान है ईश्वरीय वाणी है। और इसी कारण से वेद ब्राह्मणों के हिंदुओं के भारतीयों के किसी ग्रंथ नहीं है अपितु हिंदू मुसलमान सिख ईसाई या संसार में जितने भी मानव हैं उन सब के ग्रंथ हैं।

व्याख्यान माला में पंडित नागेश चंद्र शर्मा मुंबई,आचार्या प्रीती शर्मा वेदालंकार (मुम्बई), प्रभात कुमार सक्सेना (कानपुर), , डॉ.सतेंद्र शास्त्री ग्वालियर, डॉ.पंकज तलेले चर्म रोग विशेषज्ञ,,बद्री रिछारिया शिक्षक,रामकिशोर निरंजन शिक्षक, दया आर्या हरियाणा,,रामकुमार दुबे शिक्षक, राम सेवक निरंजन शिक्षक,बद्री रिछारिया शिक्षक, ईश आर्य राज्य प्रभारी भारत स्वाभिमान हरियाणा,विमलेश सिंह शिक्षक,मिथलेश गौर, भोगी प्रसाद म्यामार,जयपाल सिंह बुंदेला मिदरवाहा, अवधेश प्रताप सिंह बैंस,प्रो डॉक्टर व्यास नन्दन शास्त्री बिहार,प्रो डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली,चंद्रकांता आर्या चंडीगढ़,अनिल नरूला दिल्ली,सुमन लता सेन आर्य शिक्षिका,आराधना सिंह शिक्षिका,,विवेक सिंह आर्य शिक्षक गाजीपुर, कृष्णा सोनी इंदौर,,सौरभ कुमार शर्मा एडवोकेट प्रयागराज,अरविंद सेन आर्य पतंजलि,चंद्र शेखर शर्मा राजस्थान,चरण सिंह राजपूत मड़ावरा बैंक अधिकारी,शिवकुमार यादव बिजौर निवाड़ी,नरेश यादव मुंबई,प्रेम सचदेवा,रामकुमार सेन अजान,अवध बिहारी तिवारी केंद्रीय शिक्षक, डॉ यतींद्र कटारिया राज्यपाल पुरुष्कृत शिक्षक,सुखवीर शास्त्री मुंबई आदि जुड़ रहें हैं।
संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवम आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रथ ने जताया।

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