अगर सरकार की मंशा ही है तो आखिर क्यों राज्य में लाखों पदों के खाली होने के बावजूद यहां के औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग में आईटीआई इंस्ट्रक्टर के पदों पर भर्ती नहीं होती? शिक्षकों के खाली पदों को क्यों नहीं भरा जाता? एचएसआईआईडीसी एवं पुलिस के चयनित उम्मीदवारों को जॉइनिंग क्यों नहीं दी जाती? सरकार को इन बातों का युवाओं को जवाब देना चाहिए। इन सबके अलावा हजारों पद ग्रुप डी और ग्रुप सी श्रेणी के खाली पड़े हैं और हरियाणा के करोड़ों युवा दिन रात मेहनत कर इन परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे हैं। सरकार क्यों उनका एग्जाम लेकर तुरंत इन भर्तियों को पूरा नहीं करती? क्यों कोर्ट और कर्मचारी चयन आयोग के बीच बार-बार इन भर्तियों को उलझा कर रखा जाता है? और युवाओं को पेंडुलम बनाकर रख दिया है। आखिर सरकार की मंशा क्या है? यहां के मुख्यमंत्री सीधे तौर पर युवाओं से संवाद क्यों नहीं करते? उनकी समस्याओं को क्यों नहीं सुनते? उनके प्रश्नों का जवाब क्यों नहीं देते?
-प्रियंका ‘सौरभ’
आज हरियाणा देशभर में बेरोजगारी में कई सालों से पहले स्थान पर है। देश और प्रदेश में बेरोजगारी और महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। हरियाणा बेरोजगारी में 35.1% के साथ देश में पहले स्थान पर है। प्रदेश में 18 से लेकर 40 वर्ष तक का हर दूसरा युवा बेरोजगार है। हरियाणा की इस उपलब्धि में सीधा-सा सरकार का हाथ है, कई सालों से यह छोटा-सा राज्य पहले स्थान पर काबिज है। हरियाणा में लाखों पदों की रिक्तियों के बावजूद साल 2014 से क्यों तरस रहे हैं नौकरी के लिए युवा? कौन जिम्मेदार है। क्यों विभिन्न विभागों में लाखों पदों के खाली होने के बावजूद सरकार की मंशा नहीं है कि इन पदों को भरा जाए। और न ही हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों को चिंता कि वह सरकार से इन पदों को भरने के लिए कहे।
दिल्ली से लगे हरियाणा राज्य में भर्तियों का हाल यह है कि साल 2014 से विज्ञापित बहुत से पदों का परिणाम आज तक जारी नहीं हुआ। अगर कोई परिणाम जारी हो भी गया तो वह भर्तियां कोर्ट में लटकी हुई है। चयनित आवेदक जॉइनिंग को लेकर तरस रहे हैं। शिक्षा विभाग में पिछले 8 सालों में कोई भर्ती नहीं हुई है जबकि हरियाणा के लाखों युवा हर साल राज्य पात्रता परीक्षा पास करते हैं। इस आस में कि वो एक दिन अध्यापक बन कर देश के सुनहरे भविष्य का निर्माण करेंगे। मगर अब तो उनका खुद का भविष्य अंधकार में खो गया है। हरियाणा में भर्ती प्रणाली और कर्मचारी चयन आयोग की कार्यशैली कि बानगी देखिए। पारदर्शिता के नाम पर यहां रोज नए- नए नियम बनाए जाते हैं तो कभी कॉमन भर्ती टेस्ट के नाम पर युवाओं को बहलाया जाता है। तरह-तरह के सब्जबाग दिखाए जाते हैं। बेरोजगार युवा उनका पीछा करते हैं मगर आखिर हाथ कुछ नहीं लगता।
आज हरियाणा के युवाओं की स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि यहां के करोड़ों युवा पहले तो खाली पदों के लिए विज्ञापन के लिए सरकार से प्रार्थना करते है, बात नहीं बनती तो मजबूरी में आंदोलन करते हैं। सही समय पर पेपर नहीं होते तो फिर उनके एग्जाम के लिए आंदोलन कर सड़कों पर आते हैं। पहली बात तो एग्जाम होता ही नहीं, होता है तो बार-बार लीक होता है। अगर कोई एग्जाम पूर्ण हो भी जाता है तो उसके परिणाम के लिए आवेदक सालों तक इंतजार करते हैं या फिर राजनीतिज्ञों की कोठियों पर चक्कर लगाते हैं। अगर परिणाम जारी भी हो जाता है तो जॉइनिंग के लिए सालों तक इन बेरोजगार युवाओं को इंतजार में बैठा रहना पड़ता है या फिर वही भर्तियां ऐसे मोड़ पर लाकर कोर्ट में उलझा दी जाती है।
उदाहरण के लिए यहां के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में लगभग 3000 पदों की इंस्ट्रक्टर की भर्ती पिछले 9 सालों से पेंडिंग है। युवाओं के अथक प्रयासों के परिणाम स्वरुप कुछ पदों का परिणाम जारी हुआ है, मगर जॉइनिंग उनकी भी नहीं हुई । यही नहीं मुख्य ट्रेड वाली बड़ी भर्ती का परिणाम अभी भी कर्मचारी चयन विभाग ने रोका हुआ है। एक-एक, दो-दो पोस्ट वाली कैटेगरी का परिणाम जारी करके ये कह दिया जाता कि हम परिणामी लिस्ट दे रहें है। भर्ती के नियमों में स्पष्टता के अभाव में भर्तियां कोर्ट और आयोग के बीच झूलती रहती है। आखिर क्यों आयोग विज्ञापन जारी करते हुए स्पष्ट नियम नहीं बनाता। आखिर उनकी मंशा क्या है? क्यों युवाओं को बेरोजगारी के साथ-साथ कोर्ट और आयोग के बीच पिसना पड़ रहा है ? स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि कॉमन टेस्ट के नाम पर हरियाणा के लाखों युवा एग्जाम के इंतजार में घर बैठे हैं लेकिन सरकार है कि समझती ही नहीं।
आखिर क्यों हरियाणा सरकार को अपने द्वारा की गई एक-दो छुटपुट भर्तियों की ही जांच बार-बार करनी पड़ रही है? हरियाणा सरकार की दो ऐतिहासिक भर्तियां ग्रुप डी और क्लर्क की आए दिन जांच बैठती है। ग्रुप डी को तो वोट बैंक का जरिया कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि यह भर्ती पिछले चुनाव से थोड़े दिन पहले रातों-रात बिना किसी वेरिफिकेशन के आनन-फानन में की गई थी। कुछ ऐसा ही हाल क्लर्क की 5000 पदों की भर्ती का हुआ जिसका संशोधित परिणाम अब सालों बाद भी जारी हो रहा है। परिणाम स्वरुप हज़ारों युवाओं का भविष्य अंधकार में खो गया है, गलती करें कोई, भरे कोई।
हरियाणा पुलिस में हर साल हजारों पदों की भर्ती का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार पिछले 3 साल से चल रही कॉन्स्टेबल की भर्ती को भी पूरा नहीं कर पाई है। इस भर्ती के लिए लाखों युवाओं ने मेहनत की, लेकिन यह भर्ती आज भी सरकार की मंशा के अभाव में पूर्ण नहीं हुई है। आलम यह है कि हरियाणा के हर विभाग में लाखों पद खाली है लेकिन सरकार इन पदों को भरना नहीं चाहती। तभी तो हरियाणा बेरोजगारी में नंबर वन है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हरियाणा बेरोजगारी के साथ-साथ चोरी, लूट और अन्य आपराधिक घटनाओं में में नंबर वन पर होगा।
हरियाणा सरकार के एचएसआईआईडीसी में निकली 200-300 पदों की विभिन्न श्रेणियों की भर्तियां आज चयन के बावजूद जॉइनिंग के लिए तरस रही है। आखिर क्यों वहां के विभागाध्यक्ष और सरकार इन युवाओं को जॉइनिंग नहीं दे रहे। इसमें युवाओं की क्या गलती है कि वह चयन के बाद भी सालों तक घर बैठे जॉइनिंग का इंतजार कर रहे हैं। परिणाम यह है कि आज यहां का पढ़ा लिखा युवा नौकरी के अभाव में अपना घर बसाने को तरस रहा है क्योंकि भर्तियां नहीं होने की वजह से युवा लगातार तैयारी करते रहते हैं। उम्र बढ़ती जाती है और वह रोजगार के अभाव में शादी के लिए सही समय पर सोच नहीं पाता।
हर साल प्रदेश के लाखों युवाओं को अध्यापक पात्रता परीक्षा के नाम पर लूटा आ जाता है लेकिन शिक्षकों भर्तियां नहीं निकाली जाती। भर्ती नहीं तो पात्रता परीक्षा क्यों ? आज शिक्षकों के लाखों आवेदकों की राष्ट्रीय पात्रता सर्टिफिकेट की वैधता समाप्त होने के कगार पर है, बार-बार परीक्षा पास कर वो थक चुके है, टूट चुके है। शिक्षकों के हज़ारों पद खाली होने के बावजूद न तो यहां का शिक्षा विभाग और न ही यहां की सरकार इन पदों को भरने का सोच रही है। उल्टे यहां के हजारों सरकारी स्कूलों पर बंद होने की नौबत आ गई है। आखिर क्या होगा गरीब और निचले तबके के बच्चों का और नौकरी की आस में बैठे हरियाणा के मेधावी और शिक्षित युवाओं का।
देखे तो पिछले 8 सालों में यहां की सरकार के द्वारा स्वास्थ्य विभाग में नाममात्र के कुछ पदों को भरने के अलावा किसी भी विभाग में कोई भर्ती अच्छे से पूर्ण नहीं हुई है। जिससे युवाओं को संतोष हो। स्वास्थ्य विभाग में हुई भर्तियों को वक्त का तकाजा कहे या सरकार की मजबूरी क्योंकि कोरोना काल की वजह से इनको पैरामेडिकल स्टाफ की भर्तियां मजबूरी में करनी ही पड़ी और यह भर्तियां भी आवेदकों के सड़कों पर उतरने के बाद पूर्ण हुई है। आखिर क्यों यहां के मुखिया ने युवाओं को सड़कों पर उतरने मजबूर कर दिया है? युवा आज अपने हकों के लिए हरियाणा सरकार के विरोध में आ खड़ा हुआ है। सरकार को सोचना होगा, सोचना ही नहीं उनकी परेशानियों का हल ढूंढना होगा। तभी एक स्वर्णिम हरियाणा का निर्माण कर पाएंगे।
-प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045
(मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप)