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पाकिस्तान का हास्यास्पद तेवर

साधारण मनुष्यों के व्यवहार में जलन का तत्व जो भूमिका अदा करता है, वह राष्ट्रों के व्यवहार में और भी अधिक भयंकर रुप धारण कर लेता है। ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित होकर आदमी क्या-क्या पागलपन नहीं करता? यही काम आजकल पाकिस्तान कर रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी की इस दूसरी भारत-यात्रा पर पाकिस्तान का नाखुश होना स्वाभाविक है लेकिन उसके नेता जैसे बयान दे रहे हैं, वे नाखुशी के कारण नहीं हैं। उससे कहीं ज्यादा है। उन्हें ईर्ष्या ने बेहाल कर दिया है।

सबसे पहली बात तो यह कि अमेरिका पाकिस्तान का संरक्षक है। पाकिस्तान अमेरिका का बगलबच्चा है लेकिन चाहे बिल क्लिंटन आएं या बराक ओबामा आएं, वह पहले हिंदुस्तान आते हैं, फिर पाकिस्तान जाते हैं। इतना ही नहीं, वहां वह गिनती के कुछ घंटे ही टिकते हैं।

अब तक पाकिस्तान ने इस दर्द को बहुत तूल नहीं दिया लेकिन अब हालात काफी बदल गए हैं। पहले सारे अपमान के बावजूद पाकिस्तान पर डालरों की वर्षा होती थी। पाकिस्तान अपने मुंह पर पट्टी बांधे रखने में ही अपनी भलाई समझता था लेकिन अब असली चीज़ का भी टोटा पड़ने लगा है। अब डालरों की किल्लत हो गई है। केरी-लुगार कानून ने 2009 में यह शर्त लगा दी थी कि पाकिस्तान को अमेरिकी मदद तभी मिलेगी, जबकि वह आतंकवाद के विरुद्ध पूरी तरह से जुटा हुआ सिद्ध हो जाएगा लेकिन अमेरिका हर साल इस शर्त की अनदेखी कर देता था, क्योंकि जो आतंकवाद पाकिस्तान में छलांगें लगा रहा था, वह मूलतः अफगानिस्तान और भारत के विरुद्ध था लेकिन उसामा बिन लादेन तथा अन्य आतंकवादी संगठनों की सक्रियता ने यह सिद्ध किया कि पाकिस्तानी फौज और गुप्तचर विभाग उन आतंकवादियों को भी प्रोत्साहित करता है, जो अमेरिका के भी खिलाफ हैं।

इसके अलावा भारत से घनिष्टतर होते जा रहे अमेरिका के रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों ने भी जबर्दस्त निराशा और ईर्ष्या पैदा की है। पाकिस्तान की ईर्ष्या की आग में घी डालने का काम किया, अब ओबामा की होने वाली भारत-यात्रा ने। ओबामा दूसरी बार भारत आ रहे हैं और गणतंत्र दिवस के मेहमान हो रहे हैं। उनके चार मंत्री पिछले सात माह में भारत आ चुके हैं। अब जबकि जान केरी इस्लामाबाद में है तो पाकिस्तानी नेता अजीबो-गरीब बयान दे रहे हैं। उसके रक्षा मंत्री और ‘विदेश मंत्री’, दोनों ने कहा है कि भारत तालिबान से पाकिस्तान पर हमले करवा रहा है। इस बयान पर पाकिस्तानी लोग भी हंस रहे होंगे। पाकिस्तान के ये नेता काफी अनुभवी और समझदार हैं। भला, इतना मज़ाकिया बयान देने की बात पता नहीं, उन्हें किसने सुझा दी? ख्वाजा आसिफ और सरताज़ अजीज़ गप हांकने में बहुत आगे निकल गए है। कोई बात नहीं। राजनीति के संगीन माहौल में कभी-कभी हंसी-ठट्ठा भी अच्छा लगता है।

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