महरौनी (ललितपुर). ..महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी जिला ललितपुर के तत्वावधान में “आजादी के अमृत महोत्सव” पर वैदिक धर्म के सही मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा दो वर्षो से प्रतिदिन आयोजित “आर्यों के महाकुंभ” व्याख्यान माला में दिनांक 22 अगस्त 22 को ” “नवरात्र एक वैज्ञानिक साधना पद्धति” विषय पर गुरुकुल सासनी हाथरस की स्नातक
मुख्य वक्ता आचार्या प्रीती शर्मा वेदालंकार ने कहा कि भारतीय वैदिक संस्कृति में त्यौहार एक विशेष महत्व रखते हैं और उनके पीछे वैज्ञानिक कारण जुड़े हैं। नवरात्र की नौ देवियाँ वास्तव में परमात्मा की ही नौ शक्तियाँ हैं जो हमें कुछ सन्देश देती हैं।
1- शैलपुत्री – नारी को अपने आप को सुदृढ बनाना चाहिए तभी परिवार और समाज की व्यवस्था उत्तम प्रकार से चल सकती है। हमारी पूर्वज नारियां जैसे – सीता, सावित्री, अपाला, घोषा, गार्गी, मैत्रेयी आदि इसका उदाहरण हैं।
2- ब्रह्मचारिणी – नारी को सदैव अनुशासन प्रिय व स्वयं भी अनुशासित होना चाहिए।
3- चन्द्रघण्टा – मन को सदैव वश में रखें क्योंकि मन ही सुपर पर ले जाता है और मन ही कुपथ पर भी चलाता है। अतः इसे वश में रखें।
4- कूष्माण्डा – सदैव ऊर्जावान रहें और सभी कार्य पूरे मनोयोग से करें।
5- स्कंदमाता – अपने ज्ञान को सदैव कर्म में परिवर्तित करते रहें क्योंकि बिना प्रयोग हुआ ज्ञान निष्फल है।
6- कात्यायनी – नकारात्मक से दूर रहें। सकारात्मक सोच रखें।
7- कालरात्रि – ईश्वर के रौद्र रूप का सदैव ध्यान रखें जो पापियों को रुलाता है। स्वयं भी न्याय प्रिय बनें।
8- महागौरी – जैसे ईश्वर के समान कोई सुन्दर नहीं है क्योंकि वह सबका कल्याण करता है, इसी प्रकार हम भी जीवन में सच्चे सौन्दर्य अर्थात् परोपकार की भावना को धारण करें।
9- सिद्धिदात्री – परमात्मा साधक को सिद्धि प्रदान करते हैं अर्थात जो व्यक्ति ज्ञान, धन अथवा बल आदि की प्राप्ति हेतु साधना करता है, प्रयास करता है उसे अवश्य ही सफलता मिलती है।
इस प्रकार सभी दिव्य शक्तियाँ मनुष्य को कल्याण के मार्ग पर ले जाती हैं। नवरात्र के बाद विजयादशमी का प्रयोजन यही है कि सिद्धियों को प्राप्त करके व्यक्ति विजयरथ पर आरूढ़ हो आगे बढ़े।
सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका श्रीमती कविता आर्या दिल्ली ने भजन “मुक्ति का कोई तो जतन करले रोज प्रातः सायं संध्या भजन कर ले”
दया आर्या हरियाणा ने भजन “तू कर बंदगी और भजन धीरे-धीरे,मिलेगी प्रभु की शरण धीरे-धीरे,।दमन इंद्रियों का तू करता चला जा।,हटेगा ये दुनियां से मन धीरे-धीरे”
व्याख्यान माला में प्रो डॉ अखिलेश चंद्र शर्मा जलगांव,पंडित नागेश चन्द्र शर्मा (मुम्बई), प्रभात कुमार सक्सेना (कानपुर), डा• लक्ष्मीकांत कसाट (सीनियर शिशुशल्य चिकित्सक, मुम्बई), , जयाबेन पटेल (मुम्बई
इंजी संदीप तिवारी ललितपुर,भवदेव शास्त्री अजमेर,रामकिशोर निरंजन शिक्षक, ,उर्मिला आर्य कानपुर,रामकुमार दुबे शिक्षक,अभिलाष चंद्र कटियार बैंक अधिकारी, राम सेवक निरंजन शिक्षक, ईश आर्य राज्य प्रभारी भारत स्वाभिमान हरियाणा,विमलेश सिंह शिक्षक,मिथलेश गौर, भोगी प्रसाद म्यामार,जयपाल सिंह बुंदेला मिदरवाहा, अवधेश प्रताप सिंह बैंस, प्रो डॉक्टर व्यास नन्दन शास्त्री बिहार,प्रो डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली,चंद्रकांता आर्या चंडीगढ़,अनिल नरूला दिल्ली,प्रेम सचदेवा दिल्ली,सुमन लता सेन आर्य शिक्षिका,आराधना सिंह शिक्षिका,,विवेक सिंह आर्य शिक्षक गाजीपुर, कृष्णा सोनी इंदौर,रामकिशोर निरंजन शिक्षक,सौरभ कुमार शर्मा एडवोकेट प्रयागराज,कमला हंस,चंद्र शेखर शर्मा राजस्थान,शैलेश सविता ग्राम प्रधान अलीगढ़,शिवकुमार यादव बिजौर निवाड़ी,नरेश यादव मुंबई,प्रेम सचदेवा,लाल चंद्र वर्मा खुर्जा,चंद्रभान सेन राज्यपाल पुरुष्कृत शिक्षक पन्ना,रामकुमार सेन अजान, आदि जुड़ रहें हैं।
संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवम आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रथ ने जताया।