छठा प्रश्न
भारत के पास मर्यादा पुरुषोत्तम राम एक ऐसी जगह विख्यात शख्सियत हैं जिन्हें संसार के सभी देशों में जाना जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम चंद्र जी महाराज को सारे संसार में इसलिए भी जाना जाता है कि उनका राज्य सारे संसार में फैला हुआ था। इतिहास के भीतर दर्ज साक्ष्यों से यह भी सर्वमान्य सिद्ध है कि भगवान श्री राम का अयोध्या में स्थित मंदिर बाबर के सेनापति मीर बाकी खान के द्वारा तोड़ा गया था। हॉर्स के इन सभी प्रमाणों का कांग्रेस पहले दिन से विरोध करती चली आई। इसका कारण केवल एक था कि वह भारत में हिंदू मुस्लिम एकता की मुस्लिम पक्ष की शर्त पर वकालत कर रही थी। राष्ट्र निर्माण का उसका यह अनोखा परंतु बेतुका प्रयास था कि वह एक पक्ष की बात को गलत होते हुए भी सच मान कर दूसरे पक्ष पर उसे थोपने का प्रयास कर रही थी।
इसी नीति के अंतर्गत कांग्रेस माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आने तक बाबर और उसके द्वारा बनाई गई बाबरी मस्जिद की पक्षधर बनी रही। इसका कारण केवल एक था कि कांग्रेस जिस एक परिवार की परिक्रमा करने वाली पार्टी बनकर रह गई है वह परिवार अपने मूल स्वरूप में मुस्लिम धर्म का अनुयाई रहा है। यही कारण रहा कि एक परिवार की निजी मान्यता को एक पार्टी की निजी मान्यता बनाकर फिर सारे देश पर उसे थोपने का प्रयास कांग्रेस के प्रवक्ता, वक्ता, नेता और अधिवक्ता सभी मिलकर करते रहे।
कांग्रेस के चाटुकार चरणामृत पान करने वाले लोग जनता में शोर मचाने के लिए तथा इतिहास के सत्य पर पर्दा डालने के लिए उस परिवार के साथ हैं।कांग्रेस रामचंद्र जी के विषय में कल्पित चरित्र की बात करती रही। इसकी शुरुआत कांग्रेस के बड़े नेता महात्मा गांधी ने की थी जो रामचंद्र जी और रामायण को काल्पनिक मानते रहे थे। इससे उनका राम के प्रति कथित अनुराग कोरी कल्पना ही सिद्ध होती है। कांग्रेस ने अपने नेता महात्मा गांधी की रामचंद्र जी के प्रति इसी प्रकार की मान्यताओं का अनुकरण करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया कि श्रीलंका और भारत वर्ष को जोड़ने के लिए कोई सेतु रामचंद्र जी के द्वारा नहीं बनाया गया।
अब जब सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय राम मंदिर के पक्ष में आ गया । राम जन्म भूमि विवाद में कथित छदमधर्मनिरपेक्ष इतिहासकारों ने शपथ लेकर इतने झूठ बोले कि न्यायालय भी सन्न रह गया। वर्तमान में रामचंद्र जी का भव्य मंदिर अयोध्या में बन रहा है तो कांग्रेस अपना चेहरा छिपा नहीं पा रही है।
कांग्रेस का यह दोगला चरित्र नहीं तो और क्या है?
सातवां प्रश्न
वर्ष 1943 में जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह के विरुद्ध शेख अब्दुल्ला को जवाहरलाल नेहरू ने उकसा व भड़का कर विद्रोह करवाया था।क्योंकि शेख अब्दुल्ला परिवार एक संप्रदाय विशेष के व्यक्ति थे, जिससे नेहरू के परिजन संबंध रखते थे। आज की कश्मीर समस्या इसी नेहरू शेख की जोड़ी की दोस्ती का परिणाम है। आज जब इस समस्या की जड़ धारा 370 को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हटा दिया है तो की सबसे अधिक बेचैनी कांग्रेस को ही हुई है। नेहरू कांग्रेस की समस्या के बीज बोने में लगे रहे और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो इस समस्या के बीजों को चुन चुन कर समाप्त करने के लिए महान परिश्रम कर रहे हैं।
यदि नेहरू ना होते तो लाखों कश्मीरियों को बेघर होकर कश्मीर छोड़कर देश में इधर-उधर न भटकना पड़ता। हमारे जिन अनेक सैनिकों को अपनी कीमती जान से हाथ धोना पड़ गया है वह भी आज सुरक्षित हमारे बीच में होते । जिन अनेक बहनों का सुहाग लुट गया है या जिन माता पिता के बुढ़ापे का सहारा समाप्त हो गया है या जो बच्चे अनाथ हो गए हैं उनके साथ भी ऐसी घटनाएं ना हुई होती ।
यह वही कांग्रेस है जो देश के विरोधियो ,आतंक को बढ़ावा देने वालो,देश में लूट, बलात्कार, हत्या करके अशांति फैलाने वाले लोगों का पोषण बिरयानी खिलाकर करती रही है। तथा आस्तीन के सांपों को पालती रही है। उनको पैसा देती रही है। उनको भरपूर संरक्षण दिया है। जिनको अब बिरयानी नहीं मिलती बल्कि जेल की हवा खा रहे हैं,वह लोग परेशान हैं।
कांग्रेस उनकी परेशानी को देख कर के परेशान है । कांग्रेस इसलिए परेशान है कि उसकी वास्तविकता जनता के समक्ष आ गई। क्या कांग्रेस देश के साथ किए गए इन अपराधों के लिए कभी देश से माफी मांगेगी? हमें नहीं लगता कि कांग्रेस का कोई नेता इतना बड़ा दिल दिखा पाएगा। जिन पापों को करके उन्होंने आज तक सत्ता भोगी है और जिन पापों को वह अपना सबसे बड़ा पुण्य मानते रहे हैं या देश पर किया गया उपकार मानते रहे हैं उन्हें वे कभी पाप नहीं मानेंगे।
कांग्रेस ने यासीन मलिक को हमेशा संरक्षण दिया। बिरयानी खिलाई। लेकिन कांग्रेस ने कभी भी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट जिसने 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में हमला करके एयर फोर्स के बड़े जिम्मेदार अधिकारी श्री रवि खन्ना एवं एयरफोर्स के अन्य अधिकारियों की हत्या की थी, की आलोचना नहीं की। उनके विषय में कांग्रेस कभी नहीं बोली । हम सभी जानते हैं कि उस समय कांग्रेस के मुंह में दही जम गई थी।
देश के लिए समस्याएं होने वाली कांग्रेस आज नरेंद्र मोदी सरकार को तो कोस रही है परंतु उसने कभी अपने गिरेबान में नहीं झांका।कभी बलिदानी रवि खन्ना की पत्नी श्रीमती निर्मला खन्ना से भी जाकर पूछ लिया होता कि आपने अपना वैधव्य किस प्रकार से काटा है ?
इसके अतिरिक्त अन्य हमारी बहन बेटियों ने ,माताओं ने अपने पतियों के और भाइयों के छिन जाने पर अपना जीवन कैसे व्यतीत किया है ? इस पर कांग्रेस ने कभी नहीं सोचा।
इसके अतिरिक्त कश्मीर में हिंदू नरसंहार को गरीब मुस्लिम बनाम अमीर हिंदू की लड़ाई का रूप देना और पलायन को जगमोहन (तत्कालीन गवर्नर) के मत्थे मढ़ने का असफल प्रयास भी कांग्रेस द्वारा किया गया था।
इसके अतिरिक्त गोधरा कांड को न्यायिक जांच कराकर यह सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि ट्रेन के भीतर से आग लगाई गई थी ,बाहर से इस्लाम के मानने वालों के द्वारा कोई आग नहीं लगाई गई , तथा न कोई हमला किया गया।
गुजरात के तत्समय मुख्यमंत्री रहे श्री नरेंद्र भाई मोदी को (जो वर्तमान में केंद्र में प्रधानमंत्री हैं,)बदनाम करने के लिए कांग्रेस के विशिष्ट परिवार द्वारा तीस्ता सीतलवाड़ को आर्थिक सहायता देकर, तथा तत्कालीन डी. जी. पी.( श्री कुमार,) गुजरात को प्रभावित करते हुए षड्यंत्र रचा गया था जो सबके सामने है।
वर्तमान में षड्यंत्रकर्ता आज स्वयं जेल में हैं।
26/ 11 के हमले को हिंदू आतंकी साजिश बनाने की तैयारी थी, लेकिन कसाब के पकड़े जाने से कांग्रेस की सारी योजना चौपट हो गई। इसके अलावा कोई भी अंतर धार्मिक विवाद हो उसमें कथानक को हिंदू विरोध का रूप देना, छद्म धर्मनिरपेक्षता वादियों का फर्ज बन गया था। चाहे वह साध्वी प्रज्ञा का ही मामला क्यों ना हो।
तत्कालीन गृहमंत्री शिंदे का बयान आप सबको याद होगा जिन्होंने हिंदू आतंकवाद का नारा गढ़ा था।कांग्रेस बताएगी क्या वह किसके इशारे पर हो रहा था? हिंदू आतंकवाद जैसे नए नारे गढकर कांग्रेस और उसके नेताओं को तनिक भी शर्म नहीं आती। विशेष रूप से तब जबकि इस्लाम और ईसाई मत को मानने वाले अनेक विद्वान एक स्वर से यह कहते रहे हैं कि संसार में शांति का धर्म यदि वास्तव में कोई है तो वह वैदिक धर्म है। वेद और उपनिषदों की शांतिप्रिय बातों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करने वाले इन अनेक विदेशी विद्वानों को यदि कांग्रेस गंभीरता से पढ़ती तो वह हिंदुत्व के बारे में अपनी धारणाओं को बदल सकती थी, परंतु उसने अपनी ही मूर्खतापूर्ण धारणाओं को हिंदुत्व के बारे में गढ़ा और उन्हीं मूर्खतापूर्ण धारणाओं के अनुसार न्यायालयों में शपथ पत्र देती रही या मंचों से भाषण झाड़ती रही। इसके पीछे उसका उद्देश्य केवल एक रहा कि मुसलमान मत उसे मिलते रहें और वह देश पर शासन करती रहे। इसी सोच के चलते आज देश में इस्लामिक कट्टरवाद और आतंकवाद बढ़ा है। जिसके परिणाम स्वरूप देश फिर एक बार विभाजन की ओर बढ़ता जा रहा है।
क्रमश:
देवेंद्र सिंह आर्य एडवोकेट
चेयरमैन : उगता भारत समाचार पत्र