भारतवर्ष में आर्य समाज की स्थापना हुई तो अंग्रेजों ने आर्य समाज जैसे राष्ट्रवादी संगठन को पंखविहीन करने के उद्देश्य से प्रेरित होकर कॉन्ग्रेस की स्थापना अपने एक सेवानिवृत्त अधिकारी ए ओ ह्यूम से करवाई थी। 1857 की क्रांति में महर्षि दयानंद और उनके लोगों ने जिस प्रकार मिलकर धूम मचाई थी उसके चलते अंग्रेजों को यह स्पष्ट हो गया था कि यदि महर्षि दयानंद के संगठन आर्य समाज पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में 1857 को और भी भयंकरता के साथ दौरा जा सकता है।
भारत में आज जितने भी राजनीतिक दल हैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उन सभी राजनीतिक दलों में सबसे पुराना राजनीतिक दल है। जिसकी स्वीकार्यता पूरे देश में सर्वमान्य एवं एकछत्र रही है और उसी के आधार पर इस राजनीतिक दल ने 60 वर्ष तक देश पर एकछत्र शासन करने का कीर्तिमान भी बनाया है। यद्यपि अब अपने कर्मों का फल भोंकते हुए यह दल हाशिए पर पहुंच चुका है।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनके बाद प्रधानमंत्री बनी उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने भरसक प्रयास किया कि कांग्रेस की जड़ें देश में इतनी गहरी जमा दी जाऐं कि आने वाले सैकड़ों हजारों वर्ष तक भी वे उखड़ने न पाएं, परंतु काल की नियति देखिए कि समय ने उनके सारे प्रयासों पर पानी फेर दिया है और अब यह संगठन हाशिए पर पड़ा अपनी अंतिम सांसे गिनता हुआ लगता है। जैसे सृष्टि में डायनासोर आदि बहुत विशालकाय प्राणी नहीं रहे और आज वे लुप्त हो गये, उनके विषय में कहा जाता है कि वह अपने ही शरीर के बोझ के कारण लुप्त हुए। बिलकुल वैसे ही कांग्रेस रूपी डायनासोर मृतप्राय: है।
कांग्रेस के मृतप्राय: होने के कारण क्या हैं ? आइए, इन कारणों पर विचार करते हैं।
हम सभी ने देखा कि पिछले सप्ताह 5 अगस्त को कांग्रेस के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने देश में बढ़ती महंगाई के विरोध में धरना प्रदर्शन किए। इसमें दो मत नहीं है कि धरने एवं प्रदर्शन करने से भारत का लोकतंत्र समृद्ध होता है। इसलिए किसी भी लोकतंत्र में धरने और प्रदर्शन विपक्ष के द्वारा समय-समय पर सरकार को घेरने और सही मार्ग पर लाने के दृष्टिकोण से करने बहुत आवश्यक होते हैं।परंतु किसी भी कार्य को करने में उसमें अंतर्निहित आशय बहुत महत्वपूर्ण होता है।
कांग्रेस द्वारा 5 अगस्त 2022 को को संसद से लेकर सड़क तक केंद्र की भाजपा नीत मोदी सरकार के विरुद्ध भारी प्रदर्शन एवं विरोध किए। इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी शामिल थे जो प्रधानमंत्री निवास और राष्ट्रपति भवन तक विरोध मार्च करते जा रहे थे। उनमें कांग्रेसी सांसदों, नेताओं के साथ में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी थी। जिनको बाद में पुलिस ने हिरासत में ले लिया तथा शाम को छोड़ दिया गया।
कांग्रेस के इस विरोध प्रदर्शन को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर यह आरोप लगाया है कि कांग्रेस का लोकतंत्र स्वयं खतरे में है, कांग्रेस का भ्रष्टाचार तंत्र खतरे में है। उन्होंने देश की जनता को यह भी बताने का प्रयास किया कि कांग्रेस के यह अलंबरदार न्यायालय से जमानत पर बाहर हैं।
कांग्रेस के द्वारा इस विरोध प्रदर्शन के समय पर काले कपड़े क्यों पहने गए ? आज विचार का केंद्र यही है। कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को काले कपड़े पहन कर क्यों उठाना चाहती थी? इसके अतिरिक्त यह भी बात विचारणीय है कि अपने इस धरना या विरोध प्रदर्शन के लिए कांग्रेस द्वारा 5 अगस्त ही का दिन क्यों चुना गया ?
उपरोक्त प्रश्न का उत्तर निम्न प्रतिप्रश्नों में सम्मिलित है। इसके लिए कांग्रेस के एक परिवार की पृष्ठभूमि को समझना होगा। इसको संक्षिप्त में समझते हैं :-
प्रश्न संख्या 1
नेहरू के दादा गयासुद्दीन मुगल बादशाह अब अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के शासनकाल में दिल्ली के दीवान थे। जब 1857 की क्रांति अपने चरम पर थी, उस समय वह दिल्ली के कोतवाल हुआ करते थे। 1857 में बहादुर शाह को गिरफ्तार करने करके अंग्रेजों ने रंगून भेज दिया और दिल्ली पर अंग्रेजों का आधिपत्य हो गया। गयासुद्दीन अंग्रेजों की नजर से बचने के लिए कश्मीर भाग गए कश्मीर से आगरा गए ,आगरा से इलाहाबाद भागे। आगरा से इलाहाबाद चोरी छुपे जाते समय अंग्रेजों की खुफिया तंत्र के द्वारा पूछने पर अपना नाम पंडित गंगाधर हिंदू बता दिया। मुगल गयासुद्दीन अब पंडित गंगाधर बन गए । जिनके यहां मोतीलाल पैदा हुआ। मोतीलाल ने विधि व्यवसाय इलाहाबाद में प्रारंभ किया। जहां मुबारक अली नामक एक प्रख्यात अधिवक्ता के संपर्क में आए। मुबारक अली के लिए एक खूबसूरत औरत कश्मीर से लेकर के आए क्योंकि मुबारक अली रंगीन मिजाज था। उसी से एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम जवाहरलाल रखा गया और मुबारक अली ने अपनी एक कोठी मोतीलाल नेहरू को गिफ्ट कर दी थी। उन्हीं की वजह से मोतीलाल नेहरू का विधि व्यवसाय में नाम भी हुआ । विधि व्यवसाय का कार्य उचित रूप से चला। इस समय आनंद भवन उसी पुरानी इमारत के पास स्थित है। उसमें पुरानी कोठी आज भी विद्यमान है। मैंने आनंद भवन के पास पुरानी कोठी को भी देखा है, जो सभी के द्वारा देखी जा सकती है ।
यह सभी तथ्य मैंने नहीं बनाए हैं बल्कि प्रसिद्ध लेखक अरविंद घोष की पुस्तक से पढ़े जा सकते हैं। इंदिरा के द्वारा निकाह के समय इस्लाम कबूल करके यहूदी फिरोज जहांगीर से शादी की, यह किसी से छिपा नहीं। जब दोनों में यह तय नहीं हो पा रहा था कौन किसका उपनाम लगाएगा तो महात्मा गांधी ने विवाद को निपटाने के लिए अपना गांधी टाइटल दे दिया। देखिए कहां से कहां पहुंच गए ?
इंदिरा के पुत्र राजीव की शादी सोनिया ईसाई से चर्च में हुई ,यह किसी से छिपा नहीं। राजीव के मरने पर फातिहा पढ़ा गया। उस समय के समाचार पत्रों में छपे चित्र अभी भी उपलब्ध हैं।
राजीव की पुत्री प्रियंका की शादी रॉबर्ट वाड्रा ईसाई से चर्च में ईसाई धर्म के अनुसार संपन्न हुई ,यह किसी से छिपा नहीं।
प्रियंका गांधी के रेहान और मारिया दो बच्चे हैं ।
परंतु दुर्भाग्यवश कांग्रेसियों को प्रियंका में भारत का भविष्य दिखाई दे रहा है । उदाहरण के तौर पर कांग्रेसी प्रियंका को देवी दुर्गा का अवतार बता रहे हैं। जबकि उनको हिंदू, हिंदुत्व, अथवा हिंदू विचारधारा से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है तथा उनके बच्चों के नाम भी हिंदू नहीं हैं।
अतः स्पष्ट होता है कि अपने धर्म ,जाति और गोत्र बदल कर झूठे हिंदू और पंडित बन गए हैं? राहुल गांधी जनेऊ पहन कर ब्राह्मण बने। उसके बाद जनेऊ तारकर दत्तात्रेय ब्राह्मण से लिंगायत वर्ग में पहुंच गए। राजीव और सोनिया का पुत्र राहुल अथवा राहुल की दादी इंदिरा गांधी अथवा इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू या उसके भी पिता मोतीलाल नेहरू या मोतीलाल नेहरू के भी पिता गयासुद्दीन हिंदू कैसे और कब हो गए?
गयासुद्दीन एक मुगल था जो नेहरू का दादा था। बाबर जो एक मुगल था । उसका बाप उज्बेकिस्तान का था जो तैमूर लंग के परिवार से था। तथा मां मंगोलिया के चिंगिश खाकान (जिसको इतिहास में चंगेज खान कहते हैं) के परिवार से थी। बाबर ने 1526 में मुगल सल्तनत की नींव भारतवर्ष में डाली। बाबर के वारिसों में दिल्ली का अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर था। जिसका दीवान गयासुद्दीन मुगल था। आज भारतवर्ष में वोट प्राप्त करने के लिए बाबर मुगलों के वंशज भारत की जनता को छलने के लिए जनेऊ अथवा ब्रह्मसूत्र पहनते हैं।
अब यदि इतना मानसिक दिवालियापन कांग्रेस का हो गया परंतु भारतवर्ष में अब वह पीढ़ी समाप्त हो चुकी है जो कांग्रेस को यह समझकर वोट देती रही कि उन्होंने आजादी दिलाई है,
तथा कांग्रेसी ही देश की गरीबी दूर करेगी।
जबकि यह सत्य है कि न तो कांग्रेस ने स्वतंत्रता दिलाई और ना ही स्वतंत्रता महात्मा गांधी के चरखा ने दिलाई। यह झूठ दशकों तक पढ़ाया जाता रहा। स्वतंत्रता तो दुर्गादास राठौड़, सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार, प्रतिहार शासकों का सामंत बप्पा रावल, (जिन के विषय में यह कहना अनुचित है कि वह महाराणा प्रताप के पूर्वज थे।
बप्पा रावल 8 वीं सदी के आरंभ में प्रतिहार वंश के प्रथम शासक नागभट्ट के सामंत रहे। काल 720 – 30 ई 0 के दशक में था। महाराणा प्रताप और बप्पा रावल में लगभग साढ़े 8 सौ वर्ष का अंतर है। महाराणा प्रताप का जन्म 1540 में हुआ था। रानी दुर्गावती,शिवाजी, महाराणा प्रताप, गुरु गोविंद सिंह, सरदार भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजा भोज परमार उज्जैन तथा धारा नगरी का राजा, राजा सुहेलदेव, राजा कुंवर सिंह,विक्रमादित्य, नागभट्ट प्रथम और नागभट्ट द्वितीय, चंद्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार, समुद्रगुप्त, स्कंद गुप्त, छत्रसाल बुंदेला, आल्हा ऊदल, राजा भाटी, सिद्ध श्री देवराज भाटी, हम्मीर देव चौहान, विग्रहराज चौहान, महाराणा राज सिंह,राणा हमीर सिंह, रानी कर्णावती, राजकुमारी रत्ना बाई, रानी रुद्रा देवी ,हाड़ी रानी, रानी पद्मावती ,रामप्यारी गूजरी भीमदेव सोलंकीआदि 700000 ,(सात लाख) शहीदों के बलिदान से प्राप्त हुई थी।
वास्तव में भारत वर्ष में इस समय वह पीढ़ी है जो भारतवर्ष के स्वतंत्रता के इतिहास को सही रूप से पढ़ रही है और प्रस्तुत कर रही है। भारत वर्ष के इतिहास का जो विद्रूपीकरण एवं विलोपीकरण कारण हुआ, उसको वर्तमान नवीन पीढी समझ चुकी है। जिसमें नेहरू और गांधी एवं कांग्रेस के अन्य तत्कालीन नेताओं के छल सामने आ रहे हैं। परंतु कांग्रेसी वास्तविकता के धरातल को समझने में अभी गफलत में है। कांग्रेस का नेतृत्व भी यह सोचता है कि भारतवर्ष के जनमानस को अभी भी बहकाया एवं भ्रमित किया जा सकता है, तथा छला जा सकता है। जैसा कि 60 वर्ष तक छलते रहे। भारतवर्ष की जनता को सच्चा इतिहास नहीं पढ़ाया गया बल्कि नेहरू की साजिश से मौलाना अबुल कलाम आजाद से लेकर इंदिरा गांधी के शासनकाल में प्रोफ़ेसर नूरुल हसन के शिक्षा मंत्री होने तक, सभी 5 शिक्षा मंत्रियों का मुसलमान होने के कारण, भारतवर्ष के सच्चे इतिहास से कोई संबंध नहीं रखा गया । अर्थात भारतीय जनमानस को सच्चे इतिहास से दूर रखा गया।
क्रमश:
देवेंद्र सिंह आर्य एडवोकेट
चेयरमैन : उगता भारत समाचार पत्र