रिश्तेदार और गांव वाले अक्सर कहते थे कि पढ़-लिखकर क्या तूं अफसर बन जाएगी। गुस्सा तो बहुत आता था, मगर कोई प्रतिक्रिया देने के बजाए मैं मन लगाकर पढ़ती थी। इरादा और मजबूत होता था। मैं उन निराशावादी बातें करने वालों को जवाब तो देना चाहती थी, मगर अपनी प्रतिभा से, अपने हुनर से और मजबूत इरादों से। आज उन लोगों को शायद जवाब मिल गया होगा। आज मैं 25 वर्ष की उम्र में बरनाला की सहायक कमिश्नर (जनरल) हूं। यह कहना है नवांशहर जिला के गांव जलालपुर की बेटी सोनम चौधरी का।
पिता ने सपनों को पूरा करने में दिया सहयोग
1990 में जन्मी सोनम गुर्जर बिरादरी से संबंधित हैं। उनके पिता सतनाम सिंह खेतीबाड़ी से जुड़े हैं। परिवार में तो क्या उनकी रिश्तेदारी में भी कोई अधिकारी नहीं था और न ही कोई ऊंची पहुंच। अपने छोटे-छोटे कामों के लिए सरकारी दफ्तरों में धक्के खाने के बाद सोनम ने अधिकारी बनकर सिस्टम सुधारने की ठानी। पिता सतनाम सिंह ने पूरा साथ दिया। आखिर मेहनत रंग लाई और वह पीसीएस की पहली परीक्षा में ही क्वालीफाई कर गईं। बरनाला में भी सोनम अपने दफ्तर के अलावा बाहर भी सुबह से शाम तक लोगों की समस्याओं के समाधान में जुटी रहती हैं और ड्यूटी पर भी सभी अधिकारियों से पहले पहुंचती हैं। सोनम ने बताया कि कंप्यूटर साइंस इंजीनियर की डिग्री हासिल करने के बाद उन्हें आरबीआई में नौकरी मिल गई, लेकिन उनका लक्ष्य सिविल प्रशासन में अधिकारी बनना था और वह ड्यूटी के बाद पीसीएस की तैयारी करतीं। सोनम ने बताया कि उनके अधिकारी बनने से परिवार, पूरी बिरादरी व क्षेत्र का नाम ऊंचा हुआ है और उनके परिजनों को पूरा गर्व है।
अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा सोनम गुर्जर को उनकी उपलब्धि पर बधाई देती है