भारत के कम्युनिस्ट हमेशा अपने मुंह मिया मिट्ठू बने रहते हैं। सबसे अधिक दोहरा चरित्र रखते हैं। दूसरों को फासीवादी बताते हैं। हिंदुओं को रात दिन गाली देते हैं। परन्तु मीडिया पर इनका नियंत्रण होने से इनका सच सामने नहीं आता।
बंगाल मे 35 साल इनका शासन रहा। भारत मे सबसे अधिक सड़क पर सोने वाले लोग कोलकाता में हैं। एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया (वेश्या स्थान) सोनगाझी बंगाल मे है।
केरल मे इनका राज्य है। पूरे भारत मे कोरोना नियंत्रण मे हो गया था परन्तु उस समय भी केरल मे अनियंत्रित था।
ISIS नामक इस्लामिक आतंकवादी संगठन मे जाने वाले सर्वाधिक भारतीय केरल से हैं। सबसे अधिक लव जेहाद के मामले केरल के हैं। लव जेहाद शब्द का प्रयोग स्वयम केरल उच्च न्यायालय ने किया था।
21 अगस्त 2018 को केरल के मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि UAE ने 700 करोड़ की सहायता का आश्वासन दिया है। पोस्ट मे बाएँ ओर अगस्त 2018 का चित्र है। 24 अगस्त को UAE शासन ने कहा कि उन्होने कोई सहायता करने को नहीं कहा था।
क्यों रचा गया ये षड्यंत्र–
इजरायल ने बड़ी मात्रा में सहायता सामग्री भेजी थी । मीडिया दबा रहा था पर सोशल मीडिया इसे दबने नही दे रहा था। अब इजरायल की सहायता को नगण्य दिखाने के लिए यह प्रपंच रच गया। पहले UAE की 700 करोड़ की मदद की झूठी अफवाह फैलाई। फिर यह अफवाह फैलाई कि मोदी ने सहयोग लेने से मना कर दिया। फिर सी.पी.एम. के नेता ने कहा कि जितनी मदद ठुकराई है उतनी मोदी दे।
तसलीमा नसरीन और बंगाली कम्युनिस्ट सरकार (लज्जा कि लेखिका)
इसी तरह 2 साल पहले प्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने फेसबुक पोस्ट मे बताया कि 2001 मे बुद्धदेव भट्टाचार्य और विमान बोस ने उन्हे हवाई जहाज मे मरवाने की कोशिश की। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि वे खुद भी वामपंथी विचारक थीं, सो उन्हें उम्मीद थी कि बांग्लादेश से निकाले जाने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल में शरण मिलेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, बल्कि वामपंथियों द्वारा उन्हें ज्यादा परेशान किया गया और कोलकाता से उन्हें बाहर फेंक दिया गया।
उनकी पुस्तक ‘लज्जा’ पर प्रतिबंध लगने के बाद बुद्धदेव को उनके चेहरे से भी नफरत हो गई थी। हालांकि दो साल बाद पुस्तक पर लगे प्रतिबंध को कोलकाता हाईकोर्ट ने हटाने का निर्देश दिया, लेकिन इसके बाद उन्हें कई बार पुलिस ने फोन किया और उन्हें तत्काल राज्य छोड़ने के आदेश के साथ ही चार माह तक नजरबंद रखा गया। इधर, सड़कों पर ‘तस्लीमा गो बैक’ के नारे लगने लगे। इस बीच एक नवंबर, 2001 को पुलिस ने उन्हें उठा लिया और उन्हें एक अज्ञात घर में ले जाकर नजरबंद कर दिया गया। हालांकि जब उन्होंने सवाल किया तो उन्हें बताया गया कि सिद्दीकुल्ला के समर्थक उनकी हत्या कर सकते हैं। खैर, उनकी लोकप्रियता के कारण उनकी जान बच गई वरना तत्कालीन वाम सरकार उनकी हत्या भी कर सकती थी।
तस्लीमा की पुस्तक ‘लज्जा’ का सीक्कल ‘शेमलेस’ भारत में सांप्रदायिक तनावों पर आधारित है कि किस प्रकार ये लोगों के जीवन पर गहरा घाव छोड़ जाते हैं। तस्लीमा की विवादास्पद पुस्तक का यह सीक्कल उस समय लिखा गया जब वह कोलकाता में रह रही थीं। उनकी पहली पुस्तक ‘लज्जा’ की कहानी बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं की प्रताड़ना पर आधारित थी। जिसकी कहानी के आखिर में सुरंजन दत्ता और उनका परिवार सुरक्षा की उम्मीद में कोलकाता आ जाता है
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