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“काव्य मुक्तक”

१-
पहुँचकर भी बुलंदी पर कभी अभिमान मत करना,
किसी सच्चे तपस्वी का कभी अपमान मत करना,
बात कहना सदा ऐसी दिलों में प्रेम भर दे जो,
दिलों में मैल हो जिनके वहाँ जलपान मत करना,

२-
शहीदों को नवाओ माथ वो निष्काम होते हैं,
शहीद अल्लाह के बंदे शहीद राम होते हैं,
शहीदों की सहादत को कभी मत बाँटना यारो,
शहीदों की मजारों पर ही चारो धाम होते हैं,

३-
दिलों से नफरतों की दूरियों को पाटना सीखो,
बुराई के सभी बंधन यहाँ तुम काटना सीखो,
बहुत अनमोल है जीवन जरा सद्काम भी कर लो,
सदा विष बाँटने वालो सुधा भी बाँटना सीखो,

४-
जिन्दगी जंग है जिसमें बहुत से शूरमा हारे,
जिन्दगी रंग है ऐसा जो कई रूप सँवारे,
जिन्दगी आश है विश्वास है तलाश सबके लिए,
जिन्दगीं चीज वो है जो रुलाये और पुचकारे,

५-
मिलो जब भी बुजुर्गों से बात की मर्म को समझो,
अदब से पास में बैठो व उनके कर्म को समझो,
सिर को झुकाकर पैर छू आशीष लो उनका सदा,
फिर चिन्तन करो मंथन करो और धर्म को समझो,

‘चेतन’ नितिन खरे
महोबा, उ.प्र.

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