गत रविवार को संस्कार भारती, जिला गौतम बुद्ध नगर (मेरठ प्रान्त ) के तत्वावधान में सेक्टर –६२ नॉएडा स्थित अरविन्द भवन के सभागार मेंप्रथम समागम एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया | दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात कार्यक्रम का सुभारम्भ वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि श्री मदनलाल वर्मा ‘क्रान्त‘ जी की अध्यक्षता में बरेली से पधारे कवि श्री रंजन ‘विशद‘ जी के कुशल संचालन में युवा कवि उदितेंदु निश्छल जी के कंठ से माँवाणी की वन्दना से हुआ | वरिष्ठ साहित्यकार कवि एवं संस्कार भारती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रमुख आचार्य श्री देवेन्द्र देव जी एवं मेरठप्रान्त के अध्यक्ष डॉ.श्री राजीव लोचन शर्मा जी के सान्निध्य में उपरोक्त कार्यक्रम के आयोजन में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री कुमार राकेश(वरिष्ठ पत्रकार ) एवं श्री अजित कुमार सिंह (भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी ) की उपस्थिति रही | सभी अतिथियों एवं अन्य सभी लोगो कास्वागत उद्बोधन जिला मार्गदर्शक एवं स्वागताधाक्ष श्री शम्भू ठाकुर ने किया | दूसरे चरण में काव्य पाठ का आयोजन संपन्न हुआ जिसमेआमंत्रित कवियों द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी गयी | आमंत्रित कवि सर्वश्री अशोक मधुप, अनिल श्रीवास्तव, अमित शर्मा (ग्रेटर नोएडा),चेतन नितिन खरे (महोबा) एवं सतीश सार्थक ने शानदार काव्य पाठ किया | युवा कवि ‘चेतन‘ नितिन खरे ने शहीदों को याद करते हुए अपने काव्यपाठ में कहा–
शहीदों को नवाओ माथ वो निष्काम होते हैं,
शहीद अल्लाह के बंदे शहीद राम होते हैं,
शहीदों की शहादत को कभी मत बाँटना यारो,
शहीदों की मजारों पर ही चारो धाम होते हैं,
कवि अमित शर्मा ने कहा–
“धरा ये जिस पर डोल रही है हम उसी केंद्र के बिंदु हैं,
गर्व से कहो हम हिन्दू हैं हम हिन्दू हैं हम हिन्दू हैं“
बरेली के सुप्रसिद्ध कवि रंजन ‘विशद ने कहा–
मस्तियाँ गम की पनाहों में बदल जायेंगी,
दिल की खुशियाँ भी कराहों में बदल जायेंगी
अपनी इच्छाओं को सीमाओं में बाँधे रखिये,
वरना ये बढ़कर गुनाहों में बदल जायेंगी
श्री “क्रान्त‘ जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ साथ अपनी रचनाओ से खासकर संस्कृत की एक रचना से समां बांध दिया | आचार्य श्रीदेवेन्द्र देव ने भी उत्तम कविताओं का पाठ किया जिसे सुनकर श्रोताओं ने काफी सराहा | विशिष्ट अतिथि श्री कुमार राकेश ने अपने अनुभव बांटेऔर कार्यक्रम की सफलता के लिए आयोजकों कि भूरी भूरी प्रशंशा की| इसके साथ ही डॉ. श्री राजीव लोचन शर्मा जी ने संस्कार भारती के उद्द्येशऔर समाज निर्माण में इसकी उपयोगिता के ऊपर प्रकाश डाला |