वरदान है यह हार, भाजपा के लिए!
दिल्ली में भाजपा को ऐसी हार मिली है, जैसी इस शहर में अब से पहले किसी प्रमुख पार्टी को नहीं मिली। कांग्रेस के सफाए पर किसी को भी आश्चर्य या दुख नहीं है। उसके बारे में कुछ चर्चा करना भी जरुरी नहीं है। लेकिन भाजपा के लिए तो यह हार वरदान की तरह उतरी है। यदि इस चुनाव में भाजपा की करारी हार नहीं होती और भाजपा किसी तरह अपनी नाव खंवा ले जाती तो वह दिल्ली की नदी तो पार कर लेती लेकिन भारत के बीच समुद्र में डूब जाती। और ऐसी डूबती कि उस पर आंसू बहाने वाले भी नहीं मिलते। 30 साल में पहली बार मिला जनादेश या तो अधबीच में दुबारा चुनाव के मुंह में चला जाता या देश में फिर खून की नदियां बहतीं। वैसी ही जैसी कि 2002 में गुजरात में बही थीं, हालांकि उसका कारण सांप्रदायिक नहीं होता, कुछ और होता।
भाजपा को आभारी होना चाहिए, दिल्ली की प्रबुद्ध जनता का, कि जिसने केंद्र सरकार को उसकी गाढ़ी नींद से जगा दिया। दिल्ली के धक्के से अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे प्रांतीय नेताओं को समझ में आ गया होगा कि पार्टी के अखिल भारतीय और स्थानीय नेताओं की उपेक्षा का परिणाम क्या होता है? इसका अर्थ यह नहीं कि इन नेताओं ने जान-बूझकर भाजपा को हराने की कोशिश की है। नेता सब साथ थे या मौन थे लेकिन आम जनता के बीच संदेश यह फैला कि भाजपा भी कांग्रेस की तरह प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनती जा रही है। वह मां-बेटा पार्टी है और यह गुज्जू-गुज्जू पार्टी है। इस पार्टी में संघ की भूमिका भी हाशिए में खिसकती जा रही थी। मोदी और शाह मिलकर मोदीशाह बन जाते, उसके पहले ही दिल्ली की जनता ने उन्हें दरी पर बिठा दिया है। कांग्रेसमुक्त भारत का नारा देने वालों को उन्होंने लगभग भाजपामुक्त दिल्ली थमा दी है। उन्होंने मोदी और शाह के अहंकार को झाड़ू लगा दी है। उन्हें उनकी असली हैसियत बता दी है। इससे अधिक सूक्ष्म स्वच्छता अभियान क्या हो सकता है? दिल्ली की जनता को श्रेय है कि उसने भाजपा और देश, दोनों में डूबते हुए लोकतंत्र को उबार लिया है।
अरविंद केजरीवाल को छोटा करने के लिए प्रधानमंत्री ने अरविंद पर अरविंद की दुम से वार किया। दुम तो टेढ़ी की टेढ़ी ही रही, अरविंद ने प्रधानमंत्रीजी को सीधा कर दिया। यह हार और किसी की नहीं, सीधी नरेंद्र मोदी की हार है। अरविंद ने काशी का बदला दिल्ली में चुका दिया। आम आदमी पार्टी ने चुनाव अभियान के दौरान जिस गरिमा और मर्यादा का परिचय दिया, उसका बखान हम कभी दीनदयालजी और अटलजी के मुंह से सुना करते थे लेकिन मोदी और बेदी की जोड़ी ने सारी मर्यादा का ‘ओबामा’ या ‘ओ बीमा’ कर दिया। भाजपा को हताश होने की अब भी जरुरत नहीं है। उसको वोट अब भी लगभग उतने ही मिले हैं, जितने कि पहले मिले थे। जो हार मिली है, वह अपने आप को महान नेता समझ लेने वालों की है। यह हार मदहोश ऐरावतों पर अंकुश का काम करेगी।