आयुष चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दे रही है सरकार – मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे
नई दिल्ली, 13 फरवरी, 2015। राजस्थान की मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे ने कहा कि राज्य सरकार परम्परागत भारतीय चिकित्सा पद्धतियों आयुर्वेद, योग, सिद्ध, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा तथा होम्योपैथी को बढ़ावा दे रही है।
मुख्यमंत्राी श्रीमती राजे ने शुक्रवार को एसएमएस इन्वेस्टमेंट ग्राउंड में राष्ट्रीय आरोग्य मेले के शुभारंभ समारोह में सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए हमें अपने खानपान तथा दिनचर्या में बदलाव लाना होगा। प्रिवेंटिव मेडिसन, कम चिकनाईयुक्त भोजन, प्राणायाम, योग तथा मेडिटेशन से मनुष्य दीर्घकाल तक स्वस्थ रह सकता है।
श्रीमती राजे ने फल, सब्जी तथा खाने की चीजों में यूरिया तथा रसायनिक खादों के बढ़ते उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए खेती में इनके कम इस्तेमाल पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों को जैविक खेती के फायदों से अवगत कराना होगा। जैविक खेती से उत्पन्न फसल महंगी होती है किन्तु वह मनुष्य के लिये आरोग्यकारी होती है। उन्होंने कहा कि परम्परागत रूप से महिलाएं अधिक तेल डालकर भोजन बनाती हैं जो स्वास्थ्य के लिये अत्यंत हानिकारक है। इससे मनुष्य को बाइपास सर्जरी, बेरियाट्रिक सर्जरी तथा डाइबिटीज झेलनी पड़ती है। इसलिए कम तेल वाला भोजन बनाएं। उन्होंने कहा कि जिन रोगों का उपचार एलोपैथी में नहीं है, उन बीमारियों का इलाज आयुर्वेद, होमियोपैथी तथा यूनानी जैसी पद्धतियों में उपलब्ध है।
मुख्यमंत्राी ने कहा कि संवेदना के बिना दूसरों का दर्द नहीं समझा जा सकता। आयुर्वेद के चिकित्सक संवेदना के साथ अपने मरीजों का उपचार करते हैं तथा कम प्रसिद्ध होने के बावजूद सुंदर काम करते हैं। जनता को अब एलोपैथी के झंझटों को समझने की आवश्यकता है। हमें अपने परम्परागत ज्ञान को पहचानना होगा। जब जर्मनी ने हमारी संस्कृत को पहचाना तो हमने भी उसकी तरफ ध्यान दिया। जब दुनिया ने जड़ी-बूटियों को पूछना आरम्भ किया तो हमने भी उनकी तरफ ध्यान दिया।
श्रीमती राजे ने कहा कि दुनिया ने 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का निर्णय इसलिये लिया है क्योंकि वे योग और प्राणायाम की शक्ति को पहचान चुके हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाया गया स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि जयपुर का एसएमएस हॉस्पीटल राज्य का बेहतरीन हॉस्पीटल है, जिसमें इलाज करवाने के लिए न केवल राजस्थान से बल्कि अन्य राज्यों से भी मरीज आते हैं।
समारोह में केन्द्रीय आयुष राज्यमंत्राी श्री श्रीपद नाइक ने कहा कि राजस्थान में आयुर्वेद का सुदृढ़ ढांचा मौजूद है तथा राज्य में आयुष शिक्षा तथा चिकित्सा का अच्छा काम हो रहा है।
राज्य के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्राी श्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राष्ट्रीय आयुष मेले में 13 विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाएं भाग ले रही हैं और 10 विशिष्ट रोगों के निदान के लिए देशभर के ख्याति प्राप्त आयुष विशेषज्ञ मेले में उपस्थित रहेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में आयुष चिकित्सा के प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सक निकलते हैं लेकिन राज्य के 28 प्रतिशत आबादी ही आयुष चिकित्सा का लाभ उठाती है। हमें इसमें जागरूकता लाने की आवश्यकता है।
आयुर्वेद विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री प्रीतम सिंह, केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के संयुक्त शासन सचिव श्री अनिल गनेरीवाला ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर भारतीय उद्योग परिसंघ के उपाध्यक्ष श्री सुरेश पोद्दार तथा क्षेत्रीय निदेशक श्री इन्द्रपाल सिंह भी उपस्थित थे।
9 आयुष विशेषज्ञ सम्मानित
मुख्यमंत्राी एवं केेन्द्रीय मंत्री ने इस अवसर पर भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए डॉ. बनवारीलाल गौड, वैद्य बनवारीलाल मिश्रा, श्री रमेश कुमार भूतिया, राधेश्याम गर्ग, श्री शोभलाल औदीच्य, श्री गिरेन्द्र पाल, डॉ. जे.बी. दरियानी, श्री पंकज शर्मा तथा डॉ. शौकत अली को सम्मानित किया।