हमारे अब तक के राष्ट्रपतियों का कार्यकाल और कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं
1. डॉ राजेन्द्र प्रसाद
स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को मिला था। बहुत ही विनम्र ,सादगी के प्रतीक और भारतीयता से पूर्णतया ओतप्रोत डॉक्टर प्रसाद भारत के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्हें इस पद पर निरंतर दो बार रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त वही एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति भी हैं जिन्होंने 7 वर्ष के भीतर भीतर 3 बार इस पद की शपथ ली थी। पहली बार वह 26 जनवरी 1950 को देश के राष्ट्रपति बने। उसके पश्चात 13 मई 1952 को लोकसभा के पहले चुनाव होने के बाद संवैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत उन्हें देश का विधिवत राष्ट्रपति चुना गया । तत्पश्चात 13 मई 1957 को उन्होंने 7 साल के भीतर भीतर तीसरी बार इस पद की शपथ ली। 13 मई 1962 को उनका यह कार्यकाल पूर्ण हुआ।
वे संविधान सभा के अध्यक्ष भी थे और भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के प्रमुख नेता भी रहे थे। उनको 1962 में भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण से सम्मानित किया गया था।
2. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को हुआ था। उनका जीवन शिक्षा जगत के लिए समर्पित रहा। इसलिए इनके जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा देश में डाली गई। उन्होंने 13 मई 1962 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। 13 मई 1967 तक वह इस पद पर कार्य करते रहे। उनके राष्ट्रपति काल में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का 27 मई 1964 को देहांत हुआ। उसके बाद देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में गुलजारी लाल नंदा ने 27 मई 1964 से 9 जून 1964 तक कार्यभार संभाला। तत्पश्चात इनके द्वारा लाल बहादुर शास्त्री को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाया गया। शास्त्री जी की मृत्यु 11 जनवरी 1966 को हुई तो 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966 तक फिर गुलजारी लाल नंदा को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया। इसके पश्चात 24 जनवरी 1966 को देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बनी । उन्हें भी राष्ट्रपति राधाकृष्णन के द्वारा ही शपथ दिलाई गई थी। इस प्रकार सबसे अधिक प्रधानमंत्रियों को शपथ दिलाने वाले डॉक्टर राधाकृष्णन ही थे।
3. डॉ जाकिर हुसैन
डॉ जाकिर हुसैन स्वतंत्र भारत में पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बने। उन्होंने 13 मई 1967 को राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण किया था।
वही देश के पहले ऐसी राष्ट्रपति रहे जो पद पर रहते हुए मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। इस प्रकार 13 मई को राष्ट्रपति के पदभार ग्रहण करने की संविधानिक परंपरा यहां पर टूट गई। बीच में ही निधन हो जाने के कारण देश को अपना नया राष्ट्रपति चुनने के लिए प्रक्रिया आरंभ करनी पड़ी। 3 मई 1969 को डॉ जाकिर हुसैन की मृत्यु हुई तो उसके पश्चात उपराष्ट्रपति वी0वी0 गिरि को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। 78 दिन तक वे देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे। इसके बाद जब डॉक्टर वी0वी0 गिरि देश के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में सामने आए तो पहली बार देश के चीफ जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्लाह को 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया।
4. वी0वी0 गिरि
13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक देश के राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन रहे। लगभग 2 वर्ष के इस संक्षिप्त से काल में देश ने अपने चार राष्ट्रपतियों को देखा। जिनमें से दो विधिवत संवैधानिक प्रक्रिया से चुने गए राष्ट्रपति थे तो कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में रहे। वी0 वी0 गिरि देश के चौथे राष्ट्रपति बने। जिन्होंने 24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974 तक इस पद पर कार्य किया। देश ने पहली बार 13 मई 1967 से 24 अगस्त 1974 के लगभग 7 वर्ष के कार्यकाल में 5 राष्ट्रपतियों को शपथ लेते हुए देखा। 1975 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।वी0वी0 गिरि अब तक के ऐसे एकमात्र राष्ट्रपति हैं जिनके चुनाव के समय दूसरे चक्र की मतगणना करनी पड़ी थी।
5. फखरुद्दीन अली अहमद
24 अगस्त 1974 को देश के पांचवें राष्ट्रपति के रूप में फखरुद्दीन अली अहमद ने शपथ ग्रहण की। इनके राष्ट्रपति रहते हुए ही देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को पहली बार आपातकाल की घोषणा की थी। फखरुद्दीन अली अहमद देश के दूसरे ऐसे राष्ट्रपति रहे जिनका देहांत राष्ट्रपति रहते हुए हो गया था। तब उपराष्ट्रपति बी0डी0 जत्ती को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।
हमारे देश में ऐसे तीन अवसर आए हैं जब देश को कार्यवाहक राष्ट्रपति चुनना पड़ा है। पहली बार जाकिर हुसैन की मृत्यु के उपरांत तत्कालीन उपराष्ट्रपति वी0वी0 गिरि को राष्ट्रपति का दायित्व सौंपा गया था। वह पहले ऐसे उपराष्ट्रपति थे, जिन्हें देश का पहला कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। इसके बाद मोहम्मद हिदायतुल्लाह ( चीफ जस्टिस ) को भी यह दायित्व सौंपा गया, जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है। जब देश के पांचवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का भी पद पर रहते हुए देहांत हो गया तो उस समय देश के उपराष्ट्रपति बी0डी0 जत्ती को 11 फरवरी 1977 से अगले 164 दिन के लिए देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।
6. नीलम संजीव रेड्डी
नीलम संजीव रेड्डी ने देश के राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई 1977 को शपथ ग्रहण की थी। यहीं से देश के नए राष्ट्रपति के हर पांचवें वर्ष में 25 जुलाई को शपथ लेने की परंपरा पड़ गई। संजीवा रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति थे। उस समय पहली बार देश में कांग्रेस की सरकार नहीं थी। श्रीमती इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाने का दंड देकर जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया था। तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी। इस प्रकार पहली बार देश को कांग्रेस से अलग का एक राष्ट्रपति मिला। इनके कार्यकाल में देश की सत्ता मोरारजी देसाई के हाथों से चौधरी चरण सिंह के हाथों में और चौधरी चरण सिंह के हाथों से फिर इंदिरा गांधी के हाथों में जाने का इतिहास बना। यही देश के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति रहे हैं जिन्होंने राष्ट्रपति पद का दो बार चुनाव लड़ा था। पहली बार वह वी0वी0 गिरी के सामने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे थे । जिसमें उन्हें विफलता प्राप्त हुई थी। पर 1977 में जब वह राष्ट्रपति पद के लिए दोबारा खड़े हुए तो उन्हें देश का राष्ट्रपति बनने में सफलता प्राप्त हो गई।
7. ज्ञानी जैल सिंह
पंजाब में बढ़ते खालिस्तानी आतंकवाद से निपटने के लिए इंदिरा गांधी की कांग्रेसमें उस समय ज्ञानी जैल सिंह को देश का सातवां राष्ट्रपति बनाया था। इस पद पर निर्वाचित होने से पहले ज्ञानी जैल सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री और केंद्र में भी मंत्री रहे थे। उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए भारतीय डाकघर से संबंधित विधेयक पर अपने विशेषाधिकार का प्रयोग किया था। उनकी अपनी ही मूल पार्टी कांग्रेस की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब 1984 में पंजाब में ब्लू स्टार ऑपरेशन किया तो ज्ञानी जैलसिंह को गहरा आघात लगा था। उनके कार्यकाल में ही इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर को खालिस्तानी आतंकवादियों के द्वारा कर दी गई थी। तब ज्ञानी जैल सिंह ने देश का अगला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी को नियुक्त किया था। बाद में राजीव गांधी की उपेक्षा से दुखी होकर उन्होंने कथित रूप से एक बार उनकी सरकार को गिराने की तैयारी कर ली थी। ज्ञानी जैल सिंह के कार्यकाल में ही सिख विरोधी दंगे देश में भड़के थे। ज्ञानी जैल सिंह 25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987 तक इस पद पर रहे।
8. आर. वेंकटरमण
आर0 वेंकटरमण उस समय देश के मंझे हुए राजनीतिज्ञों में गिने जाते थे। 1984 से 1987 तक वह देश के उपराष्ट्रपति भी रहे थे। विशिष्ट शैली और कार्यप्रणाली के लिए वह लोगों के बीच सम्मान प्राप्त करते थे। और वेंकटरमन विधि व्यवसायी रहे थे। इसके अतिरिक्त वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और कुशल राजनीतिज्ञ थे। आर0 वेंकटरमण के राष्ट्रपति काल में उनके द्वारा वी0पी0 सिंह, चंद्रशेखर और पी0वी0 नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। 25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992 तक वह देश के राष्ट्रपति रहे। डॉ राधाकृष्णन ने अपने काल में दो प्रधानमंत्रियों लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को शपथ दिलाई थी वहीं आर वेंकटरमन ने अपने कार्यकाल में देश के तीन प्रधानमंत्रियों को शपथ दिलाई थी।
9. डॉ शंकर दयाल शर्मा
शंकर दयाल शर्मा देश के नौवें राष्ट्रपति बनाए गए। राष्ट्रपति बनने से पहले वह देश के उपराष्ट्रपति के महत्वपूर्ण पद पर भी कार्य कर चुके थे। इसके अतिरिक्त 1952 से 1956 तक वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे थे। 1956 से 1967 तक वह केंद्र में कैबिनेट मंत्री रहे। इंटरनेशनल बार एसोसिएशन द्वारा लिविंग लीजेंड ऑफ लॉ अवार्ड ऑफ रिकग्निशन पुरस्कार से सम्मानित भी हुए थे। 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 तक वह देश के राष्ट्रपति रहे।
10. के. आर. नारायणन
25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक देश के दसवें राष्ट्रपति के रूप में डॉ के आर नारायणन ने कार्य किया। डॉ के आर नारायणन देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो दलित समाज से आते थे। वे लोकसभा चुनाव मतदान करने वाले तथा राज्य की विधानसभा को सम्बोधित करने वाले पहले राष्ट्रपति थे।
11. डॉ ए0 पी0 जे0 अब्दुल कलाम
25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक देश के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में देश के बहुत ही सम्मानित व्यक्तित्व के स्वामी डॉक्टर ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम ने कार्य किया। उन्हें सम्मान के साथ देश के लोग मिसाइल मैन के नाम से पुकारते थे। बहुत ही विनम्रता और सादगी की प्रतिमूर्ति डॉक्टर कलाम बहुत ही लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे। अपने पद की गरिमा को चार चांद लगाए और जनता के बीच बड़ी विनम्रता के साथ संवाद करने में सफलता प्राप्त की। डॉ कलाम वैज्ञानिक से राष्ट्रपति बने थे। देश ने उनकी सेवाओं के दृष्टिगत उन्हें सम्मान देने में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी। वे भारत के पहले राष्ट्रपति थे जो सर्वाधिक मतों से जीते थे। उनके निर्देशन में रोहिणी-1 उपग्रह, अग्नि और पृथ्वी मिसाइलो का सफल प्रक्षेपण किया गया था. यहा तक कि 1974 एवं 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था। 1997 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
12. श्रीमती प्रतिभा सिंह पाटिल
डॉ प्रतिभा सिंह पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य प्राप्त करती हैं। जब वह देश की राष्ट्रपति बनाई गई तो उससे पहले वह राजस्थान की राज्यपाल थीं। 1962 से 1985 तक वह पांच बार महाराष्ट्र की विधानसभा की सदस्य भी रही थीं।1991 में लोकसभा के लिए अमरावती से चुनी गई थीं। इतना ही नहीं , वह सुखोई विमान उड़ाने वाली पहली महिला राष्ट्रपति भी हैं। 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक वह इस पद पर कार्य करती रहीं।
13. प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति एक बहुत ही बुद्धिमान कुशल राजनेता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के जिस मंत्रालय में भी काम किया उसमें अपनी विशेष पहचान और छाप छोड़ी। उन्होंने 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक इस पद पर कार्य किया। चुनाव लड़ने से पहले केंद्र सरकार में वित्त मंत्री के पद पर थे। उनको 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार प्रदान किया गया था। उनकी योग्यता और प्रतिभा का लोग सम्मान करते थे। उन्हें 2008 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा असैनिक सम्मान पद्म विभूषण प्रदान किया गया था। प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति थे।
14. राम नाथ कोविंद
राम नाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर, 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के परौंखा नामक गांव में हुआ था। रामनाथ कोविंद बहुत ही विनम्र और शालीन व्यक्तित्व के राष्ट्रपति रहे हैं। उन्होंने विपक्षी सांसदों के साथ भी बहुत बेहतरीन संबंध स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। रामनाथ कोविंद एक वकील के रूप में भी विख्यात हुए। वे भारत के 14वें राष्ट्रपति रहे हैं। जो आज ही सेवानिवृत्त हुए हैं। राम नाथ कोविंद 25 जुलाई, 2017 को राष्ट्रपति बने थे। राष्ट्रपति बनने से पहले वे बिहार के पूर्व गवर्नर थे। राजनीतिक समस्याओं के प्रति उनके दृष्टिकोण की उनके विरोधी भी प्रशंसा करते देखे गए हैं। जिससे उन्हें वर्तमान भारतीय राजनीति में विशेष सम्मान प्राप्त हुआ। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में विशेष और उल्लेखनीय कार्य किया।
15. द्रौपदी मुर्मू
25 जुलाई 2022 को आज द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी हैं। वह देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति हैं जो स्वतंत्र भारत में जन्मी है। वे ऐसी भी पहली राष्ट्रपति हैं जो आदिवासी समाज से आती हैं और इस रूप में पहली बार किसी आदिवासी महिला को देश का राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में एक संथाली आदिवासी परिवार बिरंची नारायण टुडू के घर हुआ था। वह झारखंड की पूर्व राज्यपाल रही हैं। उन्हें वर्ष 2007 में, ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक (विधान सभा सदस्य) के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। द्रौपदी मुर्मू एक गंभीर प्रकृति की महिला राष्ट्रपति हैं। जिनका अपना विशेष व्यक्तित्व है। उनको जीवन में कई बार कई प्रकार के सदमे लगे हैं, परंतु उन सब के बीच उन्होंने अपने आपको संभाल कर राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित किया रखा है।
25 जुलाई 2022
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत