सांगठनिक एकता हिंदू समाज के लिए समय की आवश्यकता

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इतिहास में तीन बार हिन्दुओं का अस्तित्व समाप्त होने ही वाला था। वो समस्याएँ आज के परिदृश्य से ज्यादा भयानक थीं, क्योकि उस समय हिन्दुओं को जोड़ने के लिये कोई सोशल मीडिया नहीं था।*

*पहली चुनौती थी बौद्ध धर्म की। बौद्ध धम्म भले ही कोई अलग धर्म नहीं था, मगर उसने भारतवासियों में अहिंसा का जो बीज बोया, उसने भारत को लम्बे समय तक कष्ट दिया। तब पुष्यमित्र शुंग हुए, जिन्होंने मगध की सत्ता पर कब्जा किया और पुनः वैदिक क्रांति का संचार किया।*
*भारतीयों ने फिर से शस्त्र उठाकर लड़ना शुरू किया और सदियों तक भारत की रक्षा की, पर जिन इलाकों में बौद्ध धम्म प्रबल रहा वो इलाके अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रूप में अब इस्लामिक हैं।*

*दूसरा सबसे भयानक दौर था, जब 1576 में हल्दीघाटी में अकबर की विजय हुई। महाराणा प्रताप के बाद अब कोई हिन्दू राजा शेष नहीं था, जो उसे चुनौती देता। पर अकबर 1581 तक काबुल के अभियानों में उलझा रहा और धीरे-धीरे इस्लाम से उसका मोह भंग होता गया। कहने को अकबर का काल लगभग 50 वर्ष का था, मगर वह इस्लामिक क्रांति के लिये कुछ खास नहीं था।*

*तीसरा सबसे भयानक काल था औरंगजेब का। औरंगजेब ने भी 50 साल राज किया और शुरू के 25 वर्ष उसने सिर्फ रक्तपात किया। मार-काट वाली मुसलमानी नीति की बदौलत उसने अफगानिस्तान, पंजाब और कश्मीर में हिन्दुओं के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। गुरु तेग बहादुर जी और महाराज गोकुल सिंह जाट को इस्लाम के नाम पर कत्ल कर दिया। 1681 में उसे छत्रपति संभाजी महाराज ने चुनौती दी। यहाँ औरंगजेब ने गलती की। उसने मराठों को खत्म करने की प्रतिज्ञा ली और संभाजी से लड़ने महाराष्ट्र आ गया। अकबर ने अंतिम 25 वर्ष ‘दीन ए इलाही’ धर्म अपनाया था, वहीं औरंगजेब ने अंतिम 27 वर्षों तक मराठों से युद्ध किया। परिणाम ये हुआ कि मराठे विजयी हुए और औरंगजेब मारा गया।*
*पाण्डवों की जिस दिल्ली को विदेशी ताकतों ने नोच-नोच कर खाया, उसी दिल्ली को 1737 में पेशवा बाजीराव ने आजाद किया और 20 साल बाद उनके पुत्र पेशवा बालाजीराव ने उसी दिल्ली में हिन्दू स्वराज्य स्थापित किया।*

*इन तीन घटनाओं का तात्पर्य यह है कि भारत कभी इस्लामिक देश नहीं बनेगा, ना ही हिन्दू प्रभाव से शून्य होगा। जो लोग बिहार के एक एमएलए से डरे हुए हैं, वे ना डरें, बल्कि ये तो मौका है वो खुद ही को नंगा कर रहे हैं। आपको तो बस उनकी तस्वीरें वायरल करनी हैं। मुसलमानों को ‘हिंदुस्तान’ शब्द से नफरत है, ये बात कोई हिंदूवादी ना जानता हो, मैं तो ऐसा नहीं मानता। तो इसमें घबराने की बात क्या है? हो सकता है इस देश पर कभी उनका प्रभाव ज्यादा हो जाये। हो सकता है इस देश में शरिया भी आ जाये, मगर अपने पूर्वजों पर भरोसा रखिये। हम फिर से उठेंगे। 1657 में जब औरंगजेब बादशाह बना था, तब किसने सोचा था कि 100 साल बाद 1757 में मुगल ही खत्म हो जाएँगे? इसी तरह, 2020 में किसने सोचा है कि 2120 में क्या होगा???*
*जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी सेना बनाई थी, तब उसमें सिर्फ 50 मराठा सैनिक थे। जब गोकुल सिंह जाट खड़े हुए थे, उनके साथ मात्र 40 जाट थे। जब गुरु हरगोविंद सिंह जी ने आह्वान किया था, तब उनके साथ मात्र 25 सिख थे। हेडगेवार जी का संघ 5 स्वयंसेवको से शुरू हुआ था। मगर आज देखिये, इन सभी के नाम पर आर्मी, रेजीमेंट्स और विशाल संगठन हैं। बात ये नहीं है कि आपका अंतिम लक्ष्य क्या है? बात ये है कि आप लोगों को प्रेरित करते हैं या हतोत्साहित। जब दिल्ली पर मराठों का शासन आया, तब तक शिवाजी महाराज के स्वर्गवास को 70 वर्ष हो चुके थे। पर जो शुरुआत उन्होंने की, वो हमें सीखना चाहिए। एक मुस्लिम नेता बयान देता है और आप सहम जाते हैं और बहकी-बहकी सी बातें करते हैं, तो बेहतर है आप पोस्ट ना लिखें… क्योकि आप निर्माण नहीं कर रहे हैं, सिर्फ जड़ें खोखली कर रहे हैं। इसलिये किसी मुस्लिम नेता से डरें नहीं, बल्कि उनकी सच्चाई उजागर करें और बारबार -‘भारत इस्लामिक राष्ट्र बन जायेगा’- बोलकर अपने ही भाइयों का उत्साह कम ना करें। गीता का वह संदेश सदैव याद रहे- “हम थे भी, हम हैं भी और हम होंगे भी।”*
*आपसे निवेदन करता हूँ इस पोस्ट को हल्के में न लें।आपके पास जितने भी ग्रुप हैं, उन सभी ग्रुप में ये पोस्ट भेजें, आपका आभार धन्यवाद होगा।मैंने तो मेरा कर्तव्य निभा दिया, अब आपकी बारी। देश सर्वोपरि है, थोड़ा समय निकालकर पोस्ट जरूर पढ़ें। सोचें कि हिन्दू एकता क्यों जरूरी है!*🙏
*वे सभी हमारी एकता से घबराये हुए हैं! पिछले 4 सालों में 7 से 19 राज्यों में पैर पसारती BJP से सहमें हुए हैं। ओड़ीशा-बंगाल से तमिलनाडु तक की राजनीति में मोदी की धमक से डरे हुए हैं! उन्हें मालूम है कि अगले दो सालों में अगर मोदी जी के विजयरथ को नहीं रोका गया तो 2025 तक RSS – विहिप – HUV जैसे हिन्दूवादी संगठन के झण्डे के नीचे हिन्दू इतने शक्तिशाली हो जायेंगे कि उन्हें दबाना नामुमकिन हो जायेगा! उनके लिए तो अगला वर्ष अस्तित्व की लड़ाई का है! हिन्दू वोट बैंक को क्षत-विक्षत करने का हर हथकण्डा अपनाया गया! बरसों की जातिवादी- तुष्टिकरण की राजनीति को यूँ बर्बाद होते देखना उनके लिए असहनीय है!*
*शुरुआत JNU – मूल निवासी – बेमुला- अख़लाक़ से की गयी। कभी गुजरात के दलितों-पटेलों को भड़काया, तो कभी हरियाणा के जाटों को और कभी महाराष्ट्र के मराठों और दलित को! विरोधी खुलकर मैदान में हैं! वे चाहते हैं कि आप लड़ें।सवर्ण-दलित लड़े, जाट-सैनी, मराठा-पटेल, यादव-राजपूत-ब्राह्मण, जाटव-बुनकर-कुम्भार- सब आपस में कट मरें! उन्हें बस आपके टूटने का इंतज़ार है!*

*भीम आर्मी का गठन और बीच सड़क पर गाय काटकर खाना या फिर बाबा साहेब अम्बेडकर की तस्वीर के आगे प्रभु हनुमान जी का अपमान- ये सभी उसी साजिश का हिस्सा है!वे पाकिस्तान से मोदी जी को हटाने की मिन्नत कर चुके हैं! सेना का मनोबल तोड़ने की कोशिश रोज की जाती है। उन्होंने आतंकी – नक्सली – हुर्रियत-पत्थरबाज तक का भी समर्थन करके देख लिया! EVM और इलेक्शन कमीशन, CBI जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर उँगली उठा चुके! तैयार रहिये, इस साल इनसे भी बिकट परिस्थितियाँ खड़ी की जाएँगी! आपको उकसाने – भड़काने का हर संभव प्रयास किया जायेगा! नरेन्द्र मोदी की समझ-बूझ और सोशल मीडिया की जागरूकता से अब तक उनके सारे पासे उलटे पड़ रहे हैं। हर वार खाली जा रहा है। प्रभु की कृपा रही, तो मोदी जी आगे भी विरोधियों को जोरदार पटखनी देंगे! राज्यसभा में बहुमत भी हो गया। सदियों के बाद आई है यह समग्र हिन्दू -एकता, इसे यूँ न खोने दें! हम सबको व्यक्तिगत दुश्मनी और अहं की लड़ाई को छोड़कर इस एकजुटता को बनाए रखने का समय है। आँखें पूरी खोलिए भाइयों…. 🙏🏽*
*याद रखिये, निशाने पर न ब्राह्मण हैं, न जैन हैं, न मराठा हैं, न वैश्य हैं, न राजपूत हैं, न गुर्जर हैं, न दलित हैं, न पिछड़े हैं। स्थान और अवसर के अनुसार जातियाँ बदलेंगी, क्योंकि… निशाने पर हिन्दू हैं, निशाने पर हिन्दू धर्म है, निशाने पर भारत है, निशाने पर भारतीयता है। इनको तोड़ना ही उनका मकसद है। वो JNU वाला नारा याद है न? “भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह… इंशा अल्लाह।”*
*देश-विरोधी और हिन्दू-विरोधी शक्तियाँ अपना काम शुरू कर चुकी हैं। अब बारी हमारी और आपकी है। हमें और आपको केवल और केवल इतना ही करना है कि जातिवाद, ऊँच-नीच, अगड़े-पिछड़े, भाषावाद, क्षेत्रवाद आदि सभी तरह के भेदभाव भुलाकर एक रहना है, संगठित रहना है। भूल जाइए आप ब्राह्मण हैं, बनिया हैं या ठाकुर हैं, SC/ST या बाल्मीकि हैं। हम सब केवल हिन्दू हैं। दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है हमारे और आपके पास।*

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