विनोद कुमार सर्वोदय
साम्प्रदायिक सोहार्द, धार्मिक सहिष्णुता व आपसी भाईचारे पर केवल हिन्दुओ को ही उपदेश देना एक गलत परम्परा बनी हुई है। सामान्यत लोगो कि “धर्मनिरपेक्ष मानसिकता” , महात्मा कहे जाने वाले गांधीजी के समान , केवल हिन्दुओ को ही अपना परामर्श देने के दुराग्रह से बाहर नहीं निकलना चाहती,क्यों ? क्योंकि वह सहनशील है ,उदार है, सहिष्णु है, विवादों व संघर्षो से बचता है, विस्फोट व विनाशकारी कार्यो से दूर रहता है ?
अभी कुछ महीनो से दिल्ली में चर्चो व मिशनरी स्कूलो में हुई छुट पुट चोरी व तोड़फोड़ आदि की घटनाओ की जांच करें बिना ही हिन्दुओ की उदारता को ही तथाकथित धर्मनिर्पेक्षतावादियों ने संदेहात्मक बना दिया।केंद्रीय सरकार भी एकदम सक्रिय हो गई, यहां तक कि मोदी जी ने भी चिंता व्यक्त करते हुए सभी धर्मो का सम्मान रखते हुए धार्मिक सहिष्णुता बनाये रखने पर ही बल दिया । क्या पिछले लगभग एक वर्ष में केवल एनसीआर क्षेत्र में हिन्दू धर्म स्थलों पर हुई लगभग 265 घटनाओं पर किसी ने अब तक कोई चिंतन करके अपनी “शुद्ध” धर्मनिरपेक्षता का परिचय दिया? गुजरात व मध्यप्रदेश आदि में पहले भी कई बार चर्चो व ननो आदि पर हुए झुठे हमलो की सत्यता उजागर होती रही है जिसमे उसी धर्म के लोगो के शामिल होने की पुष्टि हुई थी तब भी इन ढोंगी धर्मनिर्पेक्षतावादियों की किरकिरी हुई थी ।
अल्पसंख्यको में बिना कारण भय उत्पन्न करके वैश्विक समाज को भारत के विरुद्ध भड़काने के झूठे षड्यन्त्रो से कब तक राष्ट्र को अवनति के मार्ग पर ढकेलने का कुप्रयास जारी रहेगा? सदियो से चला आ रहा अमानवीय धर्मपरिवर्तन तो स्वीकार है परंतु धर्मपरावर्तन या घर वापसी को राक्षस बना कर बहुसंख्यक हिन्दुओ को ही अपराधी बनाने का षड्यंत्र क्यों रचा जा रहा है।इसी प्रकार लव जिहाद की सच्चाई को नकारना भविष्य में बहुसंख्यक हिन्दुओ की भयंकर ऐतिहासिक भूल बन जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं।
अमरीका के राष्ट्रपति ओबामा जी ने भी हमारे संविधान के अनुच्छेद 25 की चर्चा करके हमें सहिष्णुता का पाठ याद कराने का ही प्रयास किया , परंतु उसी संविधान के सन्दर्भ से “समान नागरिक संहिता” के अनच्छेद 44 व कश्मीर के लिए “अनुच्छेद 370” पर कोई चर्चा न करके अपने ऊपर थोपी गई मानसिकता के ही दर्शन कराये। अतः राष्ट्र का स्वस्थ निर्माण सत्यमेव जयते व शुद्ध धर्मनिरपेक्षता के ही आधार पर हो न कि गांधीगिरी व मुन्नाभाई के भ्रमित करने वाले क्रिया -कलापो (तर्ज़) पर।