भूलकर मौसम पतझड़ का सावन से हाँथ मिला लेना
बाहर जेल के जब जाओ जीवन से हाँथ मिला लेना
हरियाणा (गुडगाँव)- हरियाणा की गुडगाँव जेल में कैदियों की मानसिकता बदलने एवं उन्हें सदमार्ग में लाने के उद्देश्य से एक विराट कविसम्मेलन का आयोजन किया गया | जिसमें १ हजार से ज्यादा कैदियों ने कविता का रसास्वादन किया एवं भरपूर ठहाके लगाये | फरीदाबाद केयुवा कवि प्रभात परवाना के संचालन में कार्यक्रम का शुभारम्भ महोबा बुन्देलखण्ड से पधारे युवा कवि ‘चेतन‘ नितिन खरे द्वारा गौ माता एवं माँशारदे की वन्दना से हुआ | बंदी सुधार की दिशा में कविता पाठ करते हुए आपने कहा–
बाहर की दुनिया भी मानो लगती जैसे सपना हो,
सबसे ही विश्वास उठा हो न कोई लगता अपना हो,
ऐसी दुनिया को भी यारो अंतिम आज सलाम करें,
जो खुशियाँ ही छीन ले हमसे ऐसे क्यों हम काम करें,
आतंकी हमले पर ‘चेतन‘ नितिन द्वारा सुनाई गयी रचना की सबने खूब सराहना की और जोरदार तालियों से सभागार गुंजायमान हो गया |
तत्पश्चात ग्रेटर नोएडा से पधारे युवा ओजस्वी कवि अमित शर्मा ने काव्य पाठ पाठ किया | उनकी पंक्तियाँ–
जहाँ बंधन हो नफरत के वहाँ प्यार कभी नहीं होता है
हर संकट का निपटारा हथियार कभी नहीं होता है
भूलकर मौसम पतझड़ का सावन से हाँथ मिला लेना
बाहर जेल के जब जाओ जीवन से हाँथ मिला लेना
को बेहद सराहना मिली | इस कविता को सुनकर सभी कैदी बेहद भावुक हो गये | दिल्ली से आये कवि संदीप वशिष्ठ ने बेहद चुटीले अंदाज में पहलेसभी कैदियों को जी भर के गुदगुदाया फिर कई व्यंग्य रचनाओं से उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया |
कवि प्रभात परवाना की कविता ने सभी कैदियों पर जहाँ एक ओर देश धर्म पर जीने की शिक्षा दी वहीँ उन्हें उनके भावी जीवन को खुशहाल बनानेकी संभावनाओं पर जोर दिया | कवियत्री दिव्या ज्योति ने अपने मधुर कंठ से जब अपनी रचना–
‘भारत वालो कोई ऐसा काम न करो,
अपने प्यारे देश को बदनाम न करो ‘
का पाठ किया तो उन्हें खूब तालियाँ एवं स्नेह मिला | कार्यक्रम के अंत में जेल प्रभारी कुलबीर सिंह जी एवं उप प्रभारी रमेश कुमार जी ने सभीकवियों का आभार व्यक्त किया | साथ ही भविष्य में कैदियों की सुधार की दिशा में और भी साहित्यिक आयोजन करने का आग्रह किया |