Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र

कांग्रेस की मोहरा थी तीस्ता सीतलवाड*

*राष्ट्र-चिंतन*

कांग्रेस की लूटिया भी तीस्ता सीतलवाड़ जैसे एनजीओबाज बुद्धिजीवियों ने डूबोयी

*आचार्य श्री विष्णुगुप्त*
====================

तीस्ता सीतलवाड को लेकर नये-नये खुलासे हो रहे हैं। नये-नये खुलासे से न केवल तीस्ता सीतलवाड़ प्रश्नों के घेरे में हैं बल्कि कांग्रेस भी प्रश्नों के घेरे में हैं। सोनिया गांधी और अहमद पटेल की छबि खराब हुई है। गुजरात दंगे पर आधारित तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर नये-नये खुलासे का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा, क्या इससे कांग्रेस की परेशानियां बढ़ेगी, खासकर गुजरात विधान सभा के चुनाव में नये-नये खुलासों का आधार बना कर भाजपा कांग्रेस को घेरेगी और जनता के बीच में कांग्रेस को अलोकप्रिय बनायेगी?
तीस्ता सीतलवाड़ पर सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल से तीस लाख रूपये लेने का आरोप लगा है। तीस लाख रूपये दो भागों में ली थी। पहली बार पांच लाख और दूसरी बार 25 लाख रूपये तीस्ता ने ली थी। गुजरात दंगे की राजनीति ने कांग्रेस को बहुत बड़ा नुकसान किया है। कांग्रेस की वर्तमान कमजोरी की जड़ में गुजरात दंगे की राजनीति ही है। कभी सोनिया गांधी ने नरेन्द्र मोदी को विनाशक और संहारक कही थी। विनाशक और संहारक के उद्बोधन के बाद गुजरात में कांग्रेस का पतन होना शुरू हो गया था, कांगेस गुजरात में हाशिये पर बैठ गयी, इसके अलावा गुजरात की राजनीति का प्रभाव केन्द्र की राजनीति पर भी पड़ा। नरेन्द्र मोदी गुजरात से देश की राजनीति के शिखर पर बैठ गये। इसमें सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि मुस्लिम परस्त सभी राजनीतिक दलों और मुस्लिम परस्त बु;िजीवियों के साथ ही साथ मुस्लिम परस्त एनजीओ भी दोषी है। तीस्ता सीतलवाड़ भी एनजीओबाज है। तीस्ता सीतलवाड़ अपने एनजीओ के माध्यम से गुजरात दंगे को लेकर हिन्दुओं के खिलाफ अभियान चला रखी थी और नरेन्द्र मोदी को जेल भेजवाने का सपना देखती थी। नरेन्द्र मोदी को जेल भेजवाने का सपना देखते-देखते तीस्ता खुद सलाखांें के अंदर कैद हो गयी।
तीस्ता सीतलवाड़ पर कांग्रेस से पैसे लेने का आरोप कितना सही और कितना गलत है, इसका न्यायिक परीक्षण होना शेष है। पर एसआईटी का कहना है कि उसके प्रमाण मौजूद है। एसआईटी तीस्ता सीतलवाड़ के कदाचार और भ्रष्टचार तथा झूठ की जांच कर रही है। एसआईटी की जांच गुजरात सरकार और केन्द्र सरकार के आदेश पर नहीं हो रही है। एसआईटी की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है। सुप्रीम कोटे के आदेश पर ही तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किया गया था। तीस्ता सीतलवाड़ के साथ ही साथ दो पूर्व सरकारी अधिकारी संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार को भी गिरफ्तार किया गया था। नरेन्द्र मोदी को एसआईटी ने गुजरात दंगें को लेकर क्लीन चिट दी थी। एसआईटी द्वारा नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट देने पर तीस्ता सीतलवाड़ आक्रोशित थी और एसआईटी की क्लिन चिट को तथ्यहीन और फर्जी बताती थी। तीस्ता सीतलवाड़ ने मोदी की छबि को खराब करने और हिन्दुओं को अराजक, हिंसक व दंगाई ठहराने की साजिश रची थी। गुजरात दंगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहशान जाफरी की मौत हुई थी। एहशान जाफरी के संबंध में भी गुजरात दंगे को लेकर विभिन्न चर्चाएं होती रही हैं। एहशान जाफरी पर दंगों के दौरान मुस्लिम आबादी को गोलबंद करने और मुस्लिम आबादी को उकसाने की चर्चाएं होती रहती हैं। एहशान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने एसआईटी की जांच को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने परीक्षण में पाया कि एसआईटी की जांच रिपोर्ट सही है और जांच रिपोर्ट को गलत टहराने के लिए जो हथकंडे अपनाये गये हैं वह अपराध की श्रेणी में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी पर दया जरूर दिखायी पर तीस्ता सीतलवाड, संजीव भट्ट और डीजीपी आरबी श्रीकुमार पर सख्ती दिखायी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नरेन्द्र मोदी को फंसाने के लिए तीस्ता सीतलवाड़, संजीव भट और आरबी श्रीकुमार जैसे लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कराये, झूठ और प्रपंच का सहारा लिया गया, किसी राजनीतिक विचार की प्रगाढता के लिए ऐसा किया गया। सुर्पीम कोटे ने सीधे तौर पर तीस्ता सीतलवाड़ आदि पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिया था। इसके उपरांत ही तीस्ता सीतलवाड़ को मुबंई से गिरफ्तार किया गया था। संजीव भट्ट पहले से ही एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास भुगत रहा था। आरबी श्रीकुमार भी गिरफ्तार होकर गुजरात की जेल में बंद है। संजीव भट्ट आईपीएस अधिकारी थे जबकि आरबी श्रीकुमार गुजरात के डीजीपी रह चुके हैं।
तीस्ता सीतलवाड़ के कांग्रेस से रिश्ते कौन नहीं जानता है? उसके रिश्ते सीधे सोनिया गांधी से रहे हैं,तीस्ता सीतलवाड़ की पहुंच मनमोहन सिंह सरकार तक थी। मनमोहन सिंह को भी तीस्ता सीतलवाड़ राजनीति और इस्लाम मजहब का ज्ञान देती थी। चर्चा तो यहां तक है कि मनमोहन सिहं के एक लोमहर्षक बयान के पीछे भी तीस्ता का ही हाथ था। मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान एक भीषण लोमहर्षक बयान दिया था। मनमोहन सिंह का बयान था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों को है। मनमोहन सिंह के इस बयान पर काफी बवाल मचा था। भाजपा ने इस बयान को जमकर भुनाया था। भाजपा ने इस बयान को तुष्टीकरण की श्रेणी का बयान बताया था। कांग्रेस को उस काल में खुशफहमी हो गयी थी कि उनकी सत्ता तो अजर-अमर है, अंनत काल तक सत्ता उनके हाथ में रहेगी, हिन्दू तो मार खाने और अपमानित होने के बाद भी उसे ही वोट देने के लिए बाध्य होंगे। सत्ता हिन्दू नहीं बल्कि मुसलमान बनाते हैं, मुसलमानों के बल पर ही कांग्रेस की सत्ता है। नेहरू से लेकर सोनिया गांधी तक ऐसे ही राजनीतिक समीकरण के आग्रही रहे हैं।
तीस्ता सीतलवाड़ सोनिया गांधी की कितनी नजदीकी रही है, इसका एक प्रमाण और भी है। मनमोहन सिंह की सरकार में एक ताकतवार राष्टीय सलाहकार परिषद का निर्माण किया गया था। राष्टीय सलाहकार परिषद का अध्यक्ष सोनिया गांधी को बनाया गया था। सोनिया गांधी की अघ्यक्षता वाली राष्टीय सलाहकार परिषद का सदस्य तीस्ता सीतलवाड़ को बनाया गया था। कांग्रेस समर्थक और हिन्दू विरोधी एनजीओ और बुद्धिजीवियों को खोज-खोज कर राष्टीय सलाहकार परिषद का सदस्य बनाया गया था। तीस्ता सीतलवाड़ ने राष्टीय सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में सोनिया गांधी को एक खतरनाक और भीषण विखंडनकारी सलाह दी थी। इसी सलाह पर सोनिया गांधी ने एक दंगा रोधी कानून का मसौदा तैयार करायी थी। दंगा रोधी कानून का मसौदा बहुत ही विखंडनकारी और हिन्दू विरोधी था। दंगा विरोधी कानून में यह शामिल था कि कहीं भी दंगा होगा तो दोषी हिन्दू ही होंगे, दंगे की सुनवाई करने वाला जज मुस्लिम होगा, दंगे के नियंत्रण करने वाले अधिकाराी मुस्लिम होंगे, किसी मुस्लिम ने शिकायत में गवाही दे दी तो फिर हिन्दू ही दंगाई कहलायेगा, दंगे के दौरान मुसलमानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हिन्दुओं के उपर होगी, इसके अलावा भी बहुत सारी बातें राष्ट की एकता और अखंडता को चुनौती देने वाली थी। इस विखंडनकारी मसौदे के खिलाफ भाजपा, संघ और विहिप आदि संगठनों ने राष्टव्यापी अभियान चलाये थे, धरणा-प्रदर्शन खूब हुए थे। अगर 2014 में कांग्रेस की पराजय नहीं होती और मनमोहन सिंह-सोनिया गांधी की सरकार का पतन नही होता तो निश्चित मानिये कि उस दंगा रोधी मसौदे को संसद से पास करा कर कानून बना दिया जाता। इसके अलावा तीस्ता सीतलवाड़ राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर जनता के बीच स्वीकार्यता स्थापित कराने के राजनीतिक अभियान चलाती थी।
केन्द्र में कांग्रेस सरकार के दौरान तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ को लाखों नहीं बल्कि करोड़ों के फंड मिले थे। इसके अलावा तीस्ता सीतलवाड को विदेशों से भी करोड़ों के फंड मिलते रहे हैं। लेकिन तत्कालीन केन्द्रीय सरकार और विदेशों से मिले धन राशि का तीस्ता सीतलवाड़ ने क्या किया, यह जानकार आप हैरान-परेशान होंगे और आश्चर्यचकित भी होंगे। तीस्ता ने धन राशि को अपने हवाई यात्रा, विदेशों के शैर करने और महंगी-महंगी अपसंस्कृति की मानसिकता को संतुष्ट करने पर लूटा दी। जबकि तत्कालीन कांग्रेस सरकार और विदेशों से धन राशि सामाजिक कार्य के लिए मिले थे। सही तो यह है कि तीस्ता सीतलवाड़ जैसे एनजीओबाज विदेशों और देश से धन राशि वसूल कर उसका दुरूपयोग विखंडनकारी, हिंसाकारी और एक विशेष समुदाय-विचार धारा को संतुष्ट करने के लिए करते हैं। एनजीओ में घपले बाजी के भी कई मुकदमे तीस्ता सीतलवाड़ पर चल रहे हैं। निश्चित तौर पर तीस्ता सीतलवाड के भ्रष्टचार, विखंडनकारी और हिंसक मानसिकता के घेरे में कांग्रेस फंसी हुई है। अगले गुजरात विधान सभा के चुनाव में भाजपा तीस्ता सीतलवाड़ और सोनिया गांधी के रिश्ते को जमकर भुनायेगी।

*संपर्क*
*आचार्य श्री विष्णुगुप्त*
*नई दिल्ली*
*मोबाइल 9315206123*
====================

Comment:Cancel reply

Exit mobile version