N0455.Date 14/07/2022
यदि मुसलमान किसी दूसरे ग्रह में गए तो ???
वैसे तो ऐसा होना संभव नहीं है ,क्योंकि मुसलमान विज्ञानं को कुफ्र मानते हैं , लेकिन कुछ दिन पहले पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद खान ने दावा किया की पाकिस्तान चीन की मदद से 2022 में अंतरिक्ष में एक यान भेजेगा ,जिसमे एक मानव भी होगा ,इसका उद्देश्य यह पता करना है कि क्या मुसलमान चन्द्रमा और मंगल में भी रह सकते हैं ?
हम जानते हैं कि अगले पचास सालों तक इसकी कोई संभावना नहीं है , फिर भी कुछ देर के लिए मान भी लें क़ि अगर मुसलमान बड़ी संख्यामे चन्द्रमा और मंगल में गए तो यह बातें होंगी ,
1 – अल्लाह झूठा साबित हो जायेगा ,क्योंकि अल्लाह ने कुरान में दावा कि है ,’
” हे मनुष्यों और जिन्नों के गिरोह अगर तुम में सामर्थ्य हो तो तुम धरती से आकाशों की सीमा से बाहर निकल कर बताओ ,तुम हरगिज बाहर नहीं निकल सकोगे ” सूरा -रहमान 55 :33
2-सभी काफिर माने जायेंगे क्योंकि उन्होंने अल्लाह और कुरान के विरुद्ध काम किया है
3-नमाज नहीं पढ़ सकेंगे , क्योंकि नमाज काबा की तरफ मुंह करके पढ़ी जाती है , और जब चंद्र और मंगल में काबा ही नहीं होगा तो नमाज कैसे होगी ? क्या वहां नया काबा बनवा लेंगे ?
4-ईद भी नहीं मना सकेंगे , मुस्लिम दूज का चाँद देख करके ही ईद की घोषणा करते हैं , और जब वह खुद ही चाँद या मंगल पर ही बैठे होंगे तो किसको देख कर ईद को घोषणा करेंगे ?
5-हज भी नहीं हो सकेगा , हज में काबा की परिक्रमा अनिवार्य है , जब काबा पृथ्वी पर ही रह जायेगा तो मुस्लमान किसकी तवाफ़ करेंगे , ? हज कैसे होगा ?
6-कुरबानी भी नहीं होगी , हो सकता है कि चन्द्रमा और अन्य ग्रहों में ऐसे जानवर हो ,सूअर जैसे हों , जो हराम हो तो मुस्लिम किसकी क़ुरबानी करेंगे , पृत्वी से मंगल या चन्द्रमा पर एक बकरा भी ले जाने का करोड़ों रुपया लग जायेगा !
इस तरह से अवैज्ञानिक , और मूर्खता भरी बातों पर आधारित इस्लाम खुद ही बेकार हो जायेगा ,
इसके विपरीत हिन्दुओं के लिए कोई समस्या नहीं होगी , वह कहीं भी एक मंदिर बना कर किसी की भी मूर्ति स्थापित करके पूजा करते रहेंगे , या कहीं भी यज्शाला बना कर यज्ञ करते रहेंगे ,
हमारे विद्वान् पाठक इस विषय पर और अधिक विस्तार से लोगों को इस्लाम की निस्सारता के बारे में बताएँगे ऐसी अपेक्षा है
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इस लेख के मूल लेखक श्री बृजनंदन शर्मा के व्यक्तिगत विचार है।