बजट में दिखी अच्छे दिनों की आशा
सुरेश हिन्दुस्थानी
मात्र नौ मास पुरानी मोदी सरकार का बहुप्रतीक्षित आर्थिक बजट देश में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 28 फरवरी को देश की महा पंचायत लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया गया। यदि हम बजट के मूल रूप का आकलन करें तो हम यह पाएंगे कि देश के वित्त मंत्री ने ध्वंस अर्थव्यवस्था के भग्नावशेषों पर एक विकासपूर्ण अर्थव्यवस्था का बीजारोपण करने का प्रयास किया है और घाटे की अर्थव्यवस्था से एक उभरती हुई अर्थ व्यवस्था की ओर ले जाने का साहस भी प्रस्तुत किया है।
यह विकासोन्मुख एवं नई अर्थव्यवस्था का बजट है। इस बजट के मूल में मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया की अवधारणा दिखाई देती है। मेरी नजर में यह देश की बीमार अर्थव्यवस्था के लिए कड़वी दवाई है। बजट में भले ही त्वरित कोई लाभ दिखाई नहीं दे रहा हो, लेकिन आने वाले समय में इसका प्रभावी असर होगा, यह लगने लगा है। वास्तव में यह तो सत्य है कि केन्द्र की मोदी सरकार वर्तमान की अपेक्षा भविष्य के सपने बनाने में अपनी योजनाएं बना रही है, और उसी योजना के तहत इस बजट को भी बनाया गया है। इस बजट के लिए देश के अंदर भले ही कुछ बेमेल स्वर मुखरित हो रहे हों, लेकिन आर्थिक विशेषज्ञ निश्चित ही इससे सरोकार रखते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा विश्व के कई देश भी भारत सरकार के बजट की तारीफ कर चुके हैं। एक विदेशी विद्वान ने तो यहां तक कह दिया है कि इससे पूर्व की सरकारों ने जो भी बजट बनाया उसमें भारत के उत्थान की दिशा नहीं रहती थी। विशेषकर संप्रग के सभी बजट जनता को लाभ दिलाने वाले होते थे, लेकिन देश की हालत कमजोर करने वाले होते थे, बाद में उसका प्रभाव जनता पर ही होता था। कहा जाता है कि बजट में जितनी लुभावनी बातें होंगी, उतना ही देश के लिए विनाशकारी होगा, इसके विपरीत जितना कठोर होगा, उतना ही देश के हित में होगा। नरेन्द्र मोदी की सरकार इस बजट के माध्यम से निश्चित ही देश को उत्थान के मार्ग पर ले जाने का प्रयास कर रही है।
इस सरकार ने पहली बार देश की विकास दर 8.5 प्रतिशत करने तथा आमजन के जीवन में खुशहाली लाने की इच्छा दर्शाई है। यह विकासशील बजट निश्चित रुपेण देश को घाटे की अर्थव्यवस्था से निकालकर उभरती अर्थ व्यवस्था की ओर ले जाने में सक्षम सिद्ध होगा। सरकार के इस बजट से जहां डूबती अर्थव्यवस्था को किनारा मिलेगा वहां दूसरी ओर इस बजट से भ्रष्टाचार सहित काले धन पर रोक लगेगी तथा तिजोरियों में बन्द कालाधन भी सामने आएगा। इस बजट का विरोध वही लोग ज्यादा कर रहे हैं, जिनकी नीति और नीयत में दोष है।
देश को वित्तमंत्री अरुण जेटली सहित मोदी सरकार की इस बात पर विश्वास करना होगा कि यह अर्थनीति में बड़े बदलाव का समय है। सरकार ने बजट को संतुलित तथा प्रभावी बनाते हुए मध्यम वर्ग की नाराजगी का भी भारी खतरा उठाकर इसे निराश किया है। सरकार ने नए बजट में इस बात का ध्यान रखा है कि इसमें लोक लुभावन घोषणाओं के बजाय अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करने वाली दीर्घकालिक आर्थिक योजनाओं का समावेश किया गया। सरकार ने और देश के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस बजट में देश की रुग्ण अर्थ व्यवस्था को गतिमान करने वाले प्रभावी प्रावधान रखे हैं जिसमें नए रोजगारों का सृजन, स्मार्ट इंडिया, पर्याप्त बिजली, इंडिया 2019, रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी कलपुर्जों का निर्माण जैसे दीर्घगामी लक्ष्य शामिल हंै। जबकि अन्य घोषित योजनाओं में प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना, देश में 24 घण्टे बिजली देने वाली 5 ऊर्जा योजनाएं, सीनियर सिटीजन हेतु 9000 करोड़ का वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष, अल्पसंख्यकों के लिए नई मंजिल योजना में 23000 करोड़ का कल्याण कोष जैसी लोककल्याणकारी योजनाओं से देश सार्थक दिशा में गतिशील होगा इसके अतिरिक्त गरीबजन के लिए 12 रुपए में बीमा योजना, गोल्डन बीमा, गोल्डन कोइन, विदेशी निवेश को प्राथमिकता सामाजिक विकास की नई अटल योजना, टेक्स फ्री ब्रांड घोषणाएं शामिल की गई हैं। यह गरीबजन सहित देश का कायाकल्प करने में समर्थ सिद्ध होगी।
इस बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक बड़ी राशि 70000 रुपयों का सुरक्षित कोष किया गया है तथा इस बजट में गरीब कल्याण की योजनाओं के साथ टैक्स फ्री ब्रांड और ऊर्जा, सफाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि विस्तार सहित अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं का समावेश किया है। इन तमाम कारणों से देश में मुद्रा स्फीति कम होगी तथा देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
यह कटु सत्य है कि इस बजट से मध्यम वर्ग को घोर निराशा हुई है। उसे मोदी सरकार से टैक्स स्लेब में कमी सहित कई अपेक्षाएं थी, परन्तु उसे अरुण जेटली के बजट से निराश होना पड़ा है। बजट में बहुप्रतीक्षित टैक्स स्लेब में कमी सहित प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने वाली लोक लुभावन घोषणा नहीं हुई है। इच्छित आशाओं के टूटने से उसका आहत होना स्वाभाविक है। सर्विस टैक्स वृद्धि से उसके आर्थिक बोझ में बढ़ोतरी होने से वह निराश भी है। परन्तु उसे यह सोचना होगा कि देश के सर्वांगीण विकास में ही मध्यम वर्ग का विकास निहित है। परन्तु जब बजट के दीर्घगामी लक्ष्यों सहित विदेशी निवेश के आधिक्य सहित निर्धारित रोडमेप से देश सहित मध्यमवर्ग को भी अप्रत्याशित लाभ होगा। उस समय मध्यम वर्ग के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह बात होगी कि इस छोटे दर्द से भविष्य के बड़े लाभ का वह सृजनकर्ता बनेगा और उसे देश के स्वर्णिम विकास में सहभागी बनने का भी अवसर मिलेगा।
इस बजट के क्रियान्वयन के लिए सरकार को, उत्कृष्ट कर्म की लेखनी से क्रियान्वयन की ओर युद्ध स्तरीय कदम उठाने होंगे। देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश को कृषि उद्योग, स्वास्थ्य, ऊर्जा के क्षेत्र में सर्वांगीण विकास के जो सपने दिखाए उनका क्रियान्वयन का रोडमेप आमजन की सहभागिता के साथ उसे पूरा करना होगा। 125 करोड़ आमजन की आकांक्षाओं की डोर अरुण जेटली वित्त मंत्री के करिश्मे से बंधी हुई है। मोदी सरकार और उसके वित्तमंत्री अरुण जेटली की लड़ाई और चुनौती बड़ी है। इस सरकार को वायदों के क्रियान्वयन पर पूरी नजर रखते हुए कृषि, उद्योग, ग्रामीण रोजगार और ग्रामीण पलायन पर रोक, कृषक और कृषि की भरपूर सहायता, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा औद्योगिक वातावरण, शिक्षा प्रसार, आदिवासी निम्नजन सहायता सुविधाओं जैसे अति आवश्यक मुद्दों को वरीयता रखनी होगी। सरकार की डगर कांटों भरी है यह बजट सरकार सहित वित्तमंत्री अरुण जेटली की अग्नि परीक्षा है। चुनौती बड़ी है, परन्तु जन आकांक्षाओं तथा जनादेश का आशीर्वाद इस नवोदित सरकार को मिला है। उसकी सफलता उसे आमजन से जोड़ेगी। प्रकृति ने उसे जो संविधान प्रदत्त दायित्व सौंपा है उसका फलीभूत होना राष्ट्रीय हित में है। देश सिर्फ इस सरकार के लिए मंगल कामना कर सकता है।