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“दुनिया में कितना गम है , मेरा गम कितना कम है “

रविश कुमार जैसे लोग जनता को बरगलाने के लिए ही पैदा हुए हैं लगता है , पूछ रहे हैं कॉर्पोरेट टैक्स कम हो सकता है तो सर्विस टैक्स क्यों नहीं ? तो रविश भाई किसने कहा नहीं हो सकता , बिलकुल हो सकता है , बशर्ते रेस्टॉरेंट में खाना खाने से मॉरीशस , सिंगापौर , हांगकांग को मात देकर अपने देश में विदेशी निवेश लाया जा सकता हो … ब्यूुटी -पार्लर में मसाज करवाने और पीवीआर में फ़िल्में देखने से से बेरोज़गारों को रोज़गार मिलते हों और फिर उस रोज़गार से और टैक्स कलेक्शन होता हो ?
दोस्तों , हम जो करते हैं वो शुद्ध “खर्चा” है , उद्योग “खर्चा” नहीं है… उद्योग आपके समाज के सुनहरे भविष्य की एफडी है , ये छूट जो मिलती है ये उद्योग को मिलती है उद्योगपति को नहीं !! मैं आईटी कम्पनी में काम करता हूँ, आज से एक दशक पहले सस्ते आईटी लेबर के चक्कर में अमेरिकी भागे भागे आते थे भारत में , पर आज हालत ये है की छोटे छोटे देशों ने भारत से कई गुना सस्ता लेबर उपलब्ध करवा दिया है , कोस्टा रिका , इंडोनेशिया , ब्राज़ील , थाईलैंड , फिलीपींस , वियतनाम , मलेशिया जैसे देश रोज़ हमारी आँखों के सामने हमसे हमारी नौकरियां छीन रहे हैं , यही हाल कॉर्पोरेट टैक्स में भी है , ये देश न सिर्फ सस्ता लेबर दे रहे हैं बल्कि भारी मात्रा में छूटें भी दे रहे हैं , ज़मीने दे रहे हैं , फिर कोई उद्योगपति क्यों भारत में निवेश करना चाहेगा ? इसलिए तो कतई नहीं करना चाहेगा की वो निवेश करे , फिर फैक्ट्री बने , फिर हम जैसे निठल्लों को नौकरियां दे , फिर हम अपने क्यूबिकल में बैठे अपने लेपटॉप पर कॉर्पोरेट टैक्स कम करने पर सरकार के कपडे फाड़ें ?
गंभीरता से भी देखें तो , सरकार ने 1000 करोड़ की आय देने वाला वेल्थ टैक्स खत्म कर 9000 करोड़ के (2 % अतिरिक्त टैक्स सुपररिच लोगों पर ) टैक्स का इंतेज़ाम उन्ही अमीरों से कर लिया है , तो कौन मूर्ख इसे अमीरों का बजट कह रहा है ?
इस बहस का एक और पहलू है , सरकार ने एक समझदारी वाला काम किया है , उनके मुताबिक आप बचत में निवेश कीजिये , पेंशन स्कीम में पैसा डालिये , जीवन बीमा में पैसा डालिये , सुकन्या योजना में पैसा डालिये और अपनी बच्ची का भविष्य सुरक्षित कीजिये , घर खरीदिए , हम आपको छूट देंगे और ये छूट इतनी बड़ी मात्रा की है की आपके उस सर्विस टैक्स के दुःख को चुटकियों में भुला देगी , पर यदि आपक चाहते थे की सरकार सीधी छूट स्लेब में देकर नकद राशि आपके पर्स में रख दे तो ये नहीं हो पाया !! आपकी ही तरह थोड़ा दुःख मुझे भी है पर पूरे देश को देखकर और सभी के हितों को देखकर मैं खुश हूँ बहुत खुश हूँ !!
“दुनिया में कितना गम है , मेरा गम कितना कम है “

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