आपका अपना समाचार पत्र ‘उगता भारत’ अपने 12 वर्ष पूर्ण कर 13 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। 12 वर्ष का यह काल कई उतार-चढ़ावों को लेकर आया, परंतु पाठकों का सतत प्यार और आशीर्वाद हमको प्राप्त होता रहा, उसके फलस्वरूप यह समय कब गुजर गया, पता ही नहीं चला।
किसी भी समाचार पत्र के लिए 12 वर्ष का काल कोई बहुत अधिक नहीं होता, परंतु प्रारंभिक अवस्था के संघर्ष के 12 वर्ष निश्चय ही बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अतिरिक्त यह भी एक सच्चाई है कि 12 वर्ष के संघर्ष में यह बात निश्चित हो जाती है कि पत्र जिन उद्देश्यों, संकल्पों और विचारों को लेकर जन्मा था , क्या आप उन पर खरा भी उतर रहा है या नहीं। यदि इस तर्क तुला पर हम सब उगता भरत समाचार पत्र को तोलने का प्रयास करते हैं तो निश्चय ही दावे के साथ यह कहा जा सकता है किइसने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। बिना किसी भी प्रकार की बाधा की प्रवाह किए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहा।
उसी का परिणाम है कि आज संपूर्ण भारत वर्ष में इतिहास को दोबारा लिखे जाने का विमर्श बड़ी तेजी से मान्यता प्राप्त कर चुका है। इस विमर्श को बनाने में माना कि उगता भारत की भूमिका सर्वोपरि नहीं है लेकिन महत्वपूर्ण अवश्य है। यह हम इसलिए कह रहे हैं कि 1235 वर्षीय स्वाधीनता संग्राम पर और उसके अमर बलिदानियों पर जितना प्रकाश इस समाचार पत्र ने डाला है उतना किसी अन्य समाचार पत्र ने नहीं डाला।
भारत के अनेक वीर वीरांगनाओं को विद्यार्थियों और आज की युवा पीढ़ी के समक्ष लाने में अनेक ऐतिहासिक स्थलों को सबके समक्ष उपस्थित करने में और इतिहास संबंधी अनेक छल प्रपंचों को उद्घाटित करने में इस समाचार पत्र ने कभी कोई संकोच नहीं किया। वास्तव में राष्ट्र सेवा वह नहीं है जिसमें पेट पालने के लिए समाचार पत्रों को स्थापित कर लिया जाता है या अधिकारियों पर रौब जमाने के लिए उनसे धन वसूलने के लिए कार्य आरंभ कर दिया जाता है , इसके विपरीत हमारी मान्यता रही कि लोगों को देश, धर्म और संस्कृति के साथ हुए अन्याय और छल प्रपंचों के बारे में सही और तथ्यात्मक जानकारी दी जाए। जिससे आने वाली पीढ़ी अपने अतीत के गौरवपूर्ण पृष्ठों को भली प्रकार समझ सके। इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर इस समाचार पत्र की स्थापना की गई थी। इसने लूट, हत्या, डकैती और बलात्कार की नकारात्मक खबरों को प्रकाशित न करके देश की युवा पीढ़ी को सकारात्मक ऊर्जा से ऊर्जित कर सही दिशा पकड़ाने का प्रयास किया।
देश के साहसिक और तेजस्वी नेतृत्व के माध्यम से तेजस्वी राष्ट्रवाद की दिशा में यदि कोई सकारात्मक कदम उठाया गया तो उसका भी बिना किसी आलोचना की प्रवाह किए इसने समर्थन किया। देश की राजनीति में छद्म धर्मनिरपेक्षता और तुष्टीकरण की मूर्खतापूर्ण देशघाती नीतियों का भी इसने निसंकोच खंडन किया। राष्ट्र को बलवती करने वाली हर उस विचारधारा, सोच, चिंतन और मंथन की प्रक्रिया का इस समाचार पत्र ने सदैव समर्थन और मंडन किया। पत्रकारिता के क्षेत्र में जो लोग केवल धन ऐंठने के दृष्टिकोण से कार्य करते रहे हैं उनको कभी इसने प्राथमिकता नहीं दी।
अपनी इसी विशेषता के कारण आज देश के राष्ट्रवादी चिंतन के लोगों, लेखकों, कवियों, साहित्यकारों, सृजनशील मस्तिष्क के धनी गंभीर चिंतकों के लिए उगता भारत बहुत ही ग्रहणीय बन चुका है। राजस्थान के राज्यपाल स्वर्गीय श्री कल्याण सिंह जी, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक जी, केंद्र व प्रदेश के कई मंत्री और अधिकारी इस समाचार पत्र कि राष्ट्र सेवा की मुक्त कंठ में प्रशंसा कर चुके हैं। उनका मार्गदर्शन भी कई बिंदुओं पर हमको प्राप्त होता रहा है। जिसके आशातीत परिणाम प्राप्त हुए हैं।
हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि अपने सीमित साधनों के साथ आगे भी इस समाचार पत्र को लेकर हम चलते रहेंगे। इसके सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे और राष्ट्रभाव से प्रेरित होकर ही अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहेंगे। ईश्वर कृपा और आपका आशीर्वाद हमारे लिए सदैव ही अभिलषित रहेगा।
देवेंद्र सिंह आर्य एडवोकेट
चेयरमैन : उगता भारत
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।