बिमल राय
एक कहावत है- जो रोगिया के भावे, उहे बैदा फरमावे। पिछले विधानसभा चुनावों के बाद हताशा से उबरने में लगी बंगाल बीजेपी को जैसे महुआ ने संजीवनी दे दी है। इस काम में और लोग भी लगे हैं, पर फिलहाल महुआ की ही चर्चा करें। आज देश में नूपुर शर्मा प्रकरण पर जो बवाल मचा है, उसे देखते हुए राजनीतिक समझ रखने वालों से संयम की उम्मीद की जा रही थी। पर एक मीडिया कॉन्क्लेव में, महफिल लूटने के लिए महुआ ने काली विवाद को चुना। अनजाने में नहीं, जान बूझकर। वह काली, जिनकी भक्त खुद उनकी नेता ममता बनर्जी हैं, और वह रहती भी मां की गोद यानी कालीघाट में ही हैं।
अब बीजेपी महुआ के खिलाफ आवाज उठा रही है। सिलीगुड़ी और कोलकाता में सांसद के खिलाफ थानों में शिकायतें दर्ज हुई हैं। बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तो यहां तक कहा कि बीजेपी की महिला मोर्चा सदस्य थानों में जाएंगी और उनकी गिरफ्तारी की मांग करेंगी। सुकांत के मुताबिक तृणमूल का बयान से पल्ला झाड़ना काफी नहीं है, महुआ को पार्टी से निलंबित किया जाना चाहिए। बंगाल में बीजेपी की उम्मीद जगा रहे नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि मोइत्रा के खिलाफ विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक वह देवी काली पर अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगती हैं। उनके मुताबिक यह आखिरी बार है, जब वह बंगाल में हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजक शब्दों का इस्तेमाल करने वाले लोगों को बर्दाश्त कर रहे हैं। अगली बार वह किसी को अपने देवी-देवताओं के खिलाफ बोलने का मौका नहीं देंगे। उन्होंने कहा, ‘हम तब तक विरोध बंद नहीं करेंगे, जब तक कि वह अपने कान पकड़कर माफी नहीं मांगतीं।’ बीजेपी का साफ कहना है कि ममता बनर्जी सिर्फ चुनावी फायदे के लिए खुद को हिंदुओं का हिमायती दिखाती हैं। उनके हिदुत्व प्रेम की असलियत इस प्रकरण से जाहिर हो गई है। ममता के खिलाफ अपनी बात साबित करने के लिए उसके पास उदाहरणों की कमी नहीं है। पिछले विधानसभा चुनावों के पहले सायोनी घोष को टीएमसी यूथ विंग का अध्यक्ष बनाया गया। इसे लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सवाल किया था। उनके मुताबिक सायोनी घोष को नई जिम्मेदारी देकर ममता ने बड़ी गलती कर दी थी क्योंकि उनके इस फैसले से बंगाल के हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची। इसके पहले ममता के भतीजे अभिषेक इस पद पर थे। इतने बड़े प्रमोशन से यह संदेश गया कि ममता हिंदुओं की भावनाओं के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। कुछ साल पहले सायोनी घोष के ट्विटर हैंडल से शिवलिंग की एक ऐसी फोटो शेयर की गई थी, जिसे बेहद आपत्तिजनक माना गया था। हंगामा मचने के बाद सायोनी ने सफाई दी कि उनका अकाउंट हैक हो गया था। इस पूरे विवाद पर अभिषेक बनर्जी ने कहा था कि बीजेपी को समझना होगा कि पश्चिम बंगाल में हिंदू-मुस्लिम नहीं चलता है। हालांकि, आसनसोल दक्षिण सीट पर सायोनी घोष बीजेपी प्रत्याशी से हार गईं और कहा गया कि ऐसा हिंदू वोटरों की नाराजगी की वजह से हुआ।
पिछले साल ईद समारोह में मंच से ममता ने कह दिया कि दुधारू गाय की लात भी बर्दाश्त की जा सकती है। इसे भी तुष्टीकरण की नीति जारी रखने का ही संकेत माना गया। हालांकि हिंदू बुरा न मानें, इसलिए लगभग हर चुनावी सभा में दीदी चंडीपाठ करती रही हैं। कुछ साल पहले उन्होंने 16 सप्ताह का संतोषी माता का व्रत रखा था और मनौती मांगी थी कि अगर सिंगूर में टाटा के हाथों खरीदी गई जमीन वापस मिल गई तो मैं माता का मंदिर बनवा दूंगी। 2019 में उन्होंने मंदिर बनवाया। यह अलग बात है कि सिंगूर मामले की वजह से बंगाल में पूंजी निवेश का दरवाजा लगभग बंद हो चुका है। दीदी ने दीघा में 8 करोड़ की जमीन खरीदी है और 128 करोड़ की लागत से पुरी जैसा जगन्नाथ मंदिर बनवा रही हैं। जब वह इतनी बड़ी सरकारी राशि हिंदू आस्था पर खर्च कर रही हैं तो स्वाभाविक ही उम्मीद करती हैं कि इससे हिंदू खुश हो जाएंगे और वह संतुलन बना लेंगी। वह एक कुशल नट की तरह संतुलन बनाती हुई दिखती भी हैं, लेकिन यह दुधारी तलवार पर चलने जैसा है। हाल ही में उन्होंने एलान किया कि 21 जुलाई के शहीद दिवस पर वह बीजेपी के खिलाफ जिहाद की शुरुआत करेंगी। बाद में उन्होंने सफाई दी कि इसका मतलब विरोध से था। सवाल है कि देश के मौजूदा माहौल को देखते हुए क्या उन्हें जिहाद शब्द का प्रयोग करना चाहिए था?
बंगाल में मुस्लिम वोटों का प्रतिशत 28 से 30 के आसपास है। इस तरह ममता का 30 प्रतिशत वोट बैंक रिजर्व है। बाकी वोट वह हिंदुओं के अपेक्षाकृत सेकुलर हिस्सों से हासिल कर निश्चिंत होना चाहती हैं। मगर हवा का रुख पलट रहा है। वह भी इसे समझ रही हैं। शुभेंदु अधिकारी की सभाओं में जैसी भीड़ उमड़ रही है, उसे देखते हुए महुआ जैसे नेताओं का बयान ममता को भारी पड़ सकता है। महुआ के बयान से दूरी दिखाना तृणमूल चीफ की बदली रणनीति का हिस्सा है। हिंदुत्व के मुद्दे पर महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के साथ बीजेपी के सरकार बनाने और तेलंगाना में पीएम नरेंद्र मोदी की जनसभा में जबर्दस्त भीड़ उमड़ने का संदेश ममता ने भी पढ़ लिया है। महुआ मोइत्रा के विवाद पर वह कोई जोखिम नहीं मोल लेना चाहेंगी।
टी एम सी और उसकी नेता ममता बनर्जी वह गुर नही जिन्हे बी जे पी खा जाय ममता बनर्जी को हरा पर बंगाल की सत्ता हथियाने केलिए मोदी ,अमित शाह ,नड्डा ,भगवत ने अरबो रुपये खर्च किए , सारा केंद्रीय मंत्री मंडल , सभी बी जे पी शासित राज्यो सारी शक्तिया, बी जे पी की का जमा अपार फंड और 10 वर्षतक आर एस एस ने जनधनसाधानो का प्रयोग किया था / चुनाव आयोग पर नाजायद दबाव डाल चुनाव की 8 तारीख़े लगवाई अमित शाह ने कई टी एम सी विधायको और सांसदो नेताओ को मंत्री पद व धन का लालच दे अपनेपक्ष मे मिलाया । सभी नेता “जे श्री राम ” का नारा लगवाने मे अपना गला खराब कर लिया। फिर भी ममता ने गिरा कर बुरी तरह लतियाया. अब मोदी अपना शैव मत छोड़ , ” श्री राम ” को किनारे पटक काली जी के पीछे पड़ गये। भगवान राम को अपदस्थ कर काली जी को चुनाव प्रचारक बनाने की ढोल पीट रहे है। आज बंगाल की दूसरी शेरनी महुवा मोइत्रा मोदी ,अमित, भगवत से दो दो हाथ करने को ताल थोक रही है। बी जेपी को हिंदू धर्म का अज्ञानी और ढोंगी बता रही है।ममता और महुवा उत्तर प्रदेश की माया नही जिन्हे धमकी या लालच से दबाया जा सके।
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