ईश्वर की महिमा का सशक्त हस्ताक्षर हृदय’

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शरीर हाथी जैसा विशाल हो या चीटी जैसा छोटा, नभ
मे उड़ने वाले परिंदे हो या जल में तैरने वाली मछलियां हृदय प्रत्येक उस जीव में धड़कता है, जिसका जीवन प्राण वायु ऑक्सीजन पर आधारित है। भगवान का प्रत्येक गढा हुआ जीव दिलदार है अर्थात हृदय का स्वामी है। हृदय अनूठा पंप है जो रक्त परिसंचरण प्रणाली का केंद्र है… मनुष्य सर्वाधिक बुद्धिमान विवेकशील सर्वश्रेष्ठ प्राणी है…. मनुष्य भगवान की सर्वोत्तम कृति है लेकिन इसका मतलब कदापि नहीं है कि अन्य मनुष्येतर प्राणियों हाथी घोड़ा कुत्ता बिल्ली जिराफ भालू शेर चूहा सांप मगरमच्छ को ईश्वर ने बस यूं ही रच दिया उन्हें भी विशिष्ट खूबियों से ईश्वर ने सज्जित किया….है।

विवेचना प्रकृति के थलचर नभचर उभयचर जीवो के हृदय की ही करते हैं….. हृदय इन जीवों के लिए भी उतना ही प्रधान जरूरी अंग है जितना हम मनुष्यों के लिए। भगवान के बनाए इस अजायबघर में चर्चा सर्वप्रथम मगरमच्छ से ही करते हैं। मगरमच्छ के हृदय में एक एक्स्ट्रा वाल्व होता है जिससे यह अपने रक्त के बहाव को फेफड़े से पेट की ओर डायवर्ट कर देता है… इससे उसे भोजन को पचाने में मदद मिलती है। भालू का अपने हृदय पर इतना जबरदस्त नियंत्रण होता है भालू का ह्रदय 1 मिनट में 40 बार धड़कता है भालू जब शीत निद्रा में जाता है तो धड़कनों की संख्या को वह 8 धड़कन प्रति मिनट तक ले आता है यह काबिलियत किसी भी अन्य जीव में नहीं है सिवाय मेंढक के ,इंसान में तो कभी भी नहीं। बात सर्वाधिक ऊंची मजबूत गर्दन वाले जंतु जिराफ की करें तो इसके ह्रदय की मांसपेशी इतनी मजबूत होती गुरुत्वाकर्षण बल को मात देते हुए जिराफ का हृदय धड़ से ऊंचे जिराफ के मस्तिष्क को भी रक्त की आपूर्ति करता है….. जिराफ की गर्दन में हृदय से दूर एक्स्ट्रा वाल्व भी इसमें काम आता है…. जिराफ का सामान्य रक्तचाप 280/ 180mm hg रहता है जो किसी भी स्तनधारी में सर्वाधिक है…. हम इंसानों के सामान्य रक्तचाप 120/80 से दुगना…. वैसे हृदय की मजबूती की बात करें तो इंसानों का ह्रदय भी कम मजबूत नहीं होता…. हृदय जिन मांसपेशियों से बना है वह शरीर की सबसे मजबूत मांसपेशियां होती हैं कोई दूसरा अंग पुरुषों के शरीर में मांस पेशी के मामले में इतना मजबूत नहीं होता हां लेकिन मातृशक्ति की बच्चेदानी (यूट्रस) की मांसपेशियां मजबूती के मामले में हृदय की मांसपेशियों को चुनौती देती हैं लेकिन बच्चादानी जीवन में केवल कुछ अवसरों पर ही काम आती है लेकिन ह्रदय जीवन भर मजबूती से धड़कता है सर्वाधिक कार्य का भार उसी पर रहता है दिन हो या रात सर्दी हो या गर्मी इसका काम है लय और ताल में धड़कते रहना सामान्य अवस्था में 72 धड़कन प्रति मिनट। धड़कना बंद हुआ और हमारा खेल खत्म । हृदय की धड़कने की संख्या से ध्यान आया व्हेल मछली का हृदय 1 मिनट में केवल 6 बार धड़कता है वही पिग्मी छछूंदर का हृदय 1 मिनट में 1300 बार धड़कता है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है… किसी अन्य स्तनधारी जीव का हृदय इतनी तेजी से नहीं धड़कता लेकिन एक छोटी सी नन्ही चिड़िया हमिंग बर्ड का हृदय भी लगभग इतनी ही तेजी से धड़कता है जिसका कुल वजन 2 ग्राम होता है कितना! नन्ना हृदय उसके पास होगा। बात जब हृदय के आकार द्रव्यमान की हो रही है तो भगवान ने एक निश्चित अनुपात में सभी जीवो के हृदय को गढा है जितने भी जीवधारी हैं उन सभी के शरीर के कुल द्रव्यमान हृदय के द्रव्यमान का अनुपात 0.6 होता है… अर्थात शरीर के आकार की अपेक्षा हृदय का आकार निश्चित होता है लेकिन इस नियम का एक अपवाद भी है कुत्ते का ह्रदय उसके शरीर की अपेक्षा अनुपात के कुछ बडा होता है यह अनुपात 0.8 होता है। वैज्ञानिक आज तक इसे नहीं समझ पाए है। बात मानव हृदय की ही करें तो कितना अनुशासित इमानदार यह अंग है यह इसी बात से पता चलता है रक्त में हमेशा डूबे रहने वाला ह्रदय अपने लिए स्वतंत्र शुद्ध ऑक्सीजन युक्त रक्त बचाकर नही रखता वह भी रक्त के लिए शरीर पर ही निर्भर है…. अर्थात शरीर के अन्य अंगों को शुद्ध रक्त की आपूर्ति करने वाला हृदय खुद भी शरीर के इसी आपूर्ति तंत्र का हिस्सा है अर्थात उसे भी धड़कने के लिए रक्त को पंप करने के लिए शुद्ध रक्त की आवश्यकता होती है अपनी कोशिकाओं मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए….. जब-जब हृदय को रक्त लाने वाली कोरोनरी धमनी कोलस्ट्रोल वसा से भर जाती है उनमें ब्लॉक उत्पन्न हो जाता है तो हृदय भी शुद्ध रक्त के अभाव में दम तोड़ देता है उसकी मांसपेशियां मरने लगती है मांसपेशियों के मरने से जो दर्द होता है उसे ही एंजाइना पेन या एंजाइना पेक्टोरिस कहते हैं और जब यह मांसपेशियों का डैमेज ह्रदय के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है तो इसे ही हृदयाघात कहते हैं….. डैमेज के अनुपात में ही हृदय की कार्य क्षमता घट जाती है…. अच्छा खासा इंसान ह्रदय रोगी घोषित कर दिया जाता है जीवित बचने के मामले में….एक ऐसा भी जलचर जीव है जेबराफिश जिसका हृदय कितना भी डैमेज हो जाए वह पूरी तरह रीजेनरेट नया हो जाता है । अनुसंधानकर्ता इस विषय पर गहराई से अनुसंधान कर रहे हैं जेबराफिश की तरह मनुष्य के हृदय को रीजेनरेट कर दिया जाए…. अभी तो यह दूर की कौड़ी है….। जगत में लाखों प्रकार के जीव है सभी के हृदय में विशेष विशेष खुबिया भगवान ने डाली हैं सभी खूबियों को इस लेख में उल्लेखित नहीं किया जा सकता मानव मस्तिष्क से बाहर की यह विषय वस्तु है। आखिरी उदाहरण के तौर पर चीता के हृदय को ही लेते हैं जिसका ह्रदय इतना रेस्पॉन्सिव होता है 1 सेकंड में ही चीता की धड़कन 120 प्रति मिनट से 220 प्रति मिनट हो जाती है जो इसे सर्वाधिक चुस्त-दुरुस्त जीव घोषित करती है।।। पक्षियों, इंसान सहित सभी स्तनधारी जीवो का ह्रदय चार भागों में विभाजित होता है वही जितने भी सरीसृप है उनका हृदय दो भागों में विभाजित होता है…. जितने भी मच्छर मक्खी ततैया आदि कीट है उनका हृदय थैलीनुमा ना होकर लंबी ट्यूब के आकार का होता है….।

लेख के अंत में और इस जीवन के मेरे चौथे दशक में हृदय की गहराइयों से हृदय जैसे अनूठे अंग के सर्जक परमपिता परमेश्वर का आभार! जिसने सभी जीवो को छोटे बड़े लेकिन हैरतअंगेज अनूठे हृदय का स्वामी बनाया और जो परमेश्वर सभी के हृदय में विराजमान हैं।

कभी उस भगवान का अनुभव करना हो तो अपने वक्ष स्थल में मध्य से बायी और हाथ रख कर हृदय व हृदय की धड़कनों को महसूस कीजिए गिने सुने यही जीवन का संगीत है जिसके तारों को झंकृत भगवान कर रहा है प्रतिपल।

आर्य सागर खारी ✍✍✍

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