डॉ. रमेश ठाकुर
योगी ने अपनी ‘2.0’ सरकार के काम को गहराई से भांपने का प्रयास किया है जिसमें तकरीबन सभी मंत्रालय, विभाग, समितियां व आयोग शामिल हैं, जिन पर बीते सौ दिनों में उन्होंने खुद पैनी निगरानी रखीं और सौ दिन का रिजल्ट तैयार कर जनता के समक्ष पेश किया।
योगी आदित्यनाथ के काम करने का अंदाज अन्य सरकारों, प्रशासकों और मुख्यमंत्रियों से अलहदा होता है। वह कुछ अलग करते हैं, नया करते हैं, प्रत्येक कार्यक्षेत्र में उनकी दृष्टि प्रयोगात्मक होती है। तभी तो उनकी कार्यशैली में समर्पण और ईमानदारी झलकती है। जबसे उनकी सरकार बनी है, अच्छे परिणाम के लिए अपनी टीम के साथ दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। बीते कार्यकाल से कहीं बेहतर दूसरे कार्यकाल को संपन्न करना चाहते हैं। देखिए, हुकूमतों की अव्वल प्राथमिकताएं सेवा, सुरक्षा और सुशासन होती हैं, क्योंकि ये तीनों कड़ियां आवाम से सीधा वास्ता रखती हैं। इन तीनों में काम कैसे हो, जिसके मिजाज को जांचने के लिए मॉनिटरिंग जरूरी होती है जिसके लिए मानक और समय अवधि निर्धारित की जाती है। सरकारों का काम हो, या अन्य किसी अन्य कार्यक्षेत्र का प्रारंभिक रिजल्ट, उनमें अपनी कार्यप्रणाली की सफलता-असफलता को परखने के लिए शुरुआती दिनों के कामों से अंदाजा लगाया जाता है, ऐसा करने से भविष्य में परिणाम निश्चित रूप से मन-मुताबिक निकलते हैं। खुदा ना खास्ता इन शुरुआती दिनों में कहीं कमी दिखे तो उसे समय रहते सुधारने की गुंजाइश भी रहे।
बहरहाल, प्रयोगात्मक रूपी सौ दिनी रिपोर्ट पेश करके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी ‘2.0’ सरकार के काम को गहराई से भांपने का प्रयास किया है जिसमें तकरीबन सभी मंत्रालय, विभाग, समितियां व आयोग शामिल हैं, जिन पर बीते सौ दिनों में उन्होंने खुद पैनी निगरानी रखीं और सौ दिन का रिजल्ट तैयार कर जनता के समक्ष पेश किया। फिलहाल उनके सुशासन के सौ दिनों का जो लेखा-जोखा प्रस्तुत हुआ है उसे उपलब्धियों में नहीं, बल्कि कार्यशैली के आकलन के तौर पर देखा जाए तो बेहतर होगा। ऐसा खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मानते हैं। प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबकि मात्र सौ दिनों के भीतर 1400 से अधिक निवेश परियोजनाओं के लिए 80204 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश सूबे में करना किसी चमत्कार से कम नहीं है। निवेशक उनके नाम से उत्तर प्रदेश में पहुंचने लगे हैं। जबकि, एक वक्त ऐसा भी था जब निवेशक यूपी आने से कतराते थे। अगर कोई आता भी था, तो उसे रंगदारी नेताओं और गुंडों को देनी पड़ती थी।
गौरतलब है कि योगी अपने दूसरे कार्यकाल में समग्र विकास चाहते हैं जिसे पाने के लिए वह जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। मौजूदा वक्त में लागू सभी महत्वाकांक्षी योजनाएं बिना भेदभाव के विभिन्न वर्गों को लाभान्वित कर रही हैं। हाल ही में आयोजित मेगा ऋण मेले के दौरान 1.90 लाख हस्तशिल्पियों, कारीगरों व अन्य मझोले उद्यमियों को 16 हजार करोड़ रुपये का ऋण वितरण किया, जिससे उनकी दशा सुधर सके। इसकी भी समीक्षा इन सौ दिनों की कार्य प्रगति में की गई। सरकार का पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल, मध्य यूपी, बुंदेलखंड के विकास के लिए ज्यादा फोकस है, इन क्षेत्रों में कई प्रस्तावित उद्योग सेक्टर निर्धारित किए हैं। जैसे डेटा सेंटर, कृषि, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, टैक्सटाइल एवं हैंडलूम, नवीनीकृत ऊर्जा, रिन्यूएबल एनर्जी, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग हाउसिंग, हेल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी, फूड प्रोसेसिंग, डिफेंस एयर स्पेस, शिक्षा, पशुधन, फिल्म एंड मीडिया आदि। अगर ये सभी योजनाएं अगले एकाध वर्षों में भी लागू हो जाएं, तो इन पिछड़े इलाकों की तकदीर ही बदल जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी की इस बार सबसे ज्यादा नजर अफसरशाहों पर है। क्योंकि बीते कार्यकाल में कई ऐसी रिपोर्टस् सामने आईं थीं जिनमें अधिकारियों की लापरवाही से तमाम योजनाएं धरातल पर नहीं उतरीं। ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों पर इस बार नकेल कसने की रणनीति बनाई गई। अंगद की तहर वर्षों से पांव जमाए बैठे अधिकारियों के सिंडिकेट को तोड़ने को भी नियम बनाए गए हैं। तीन साल से ज्यादा समय से टिके अधिकारियों को हटना होगा। ये फैसला निश्चित रूप से काबिले तारीफ है। क्योंकि कुंडी मारकर बैठे अधिकारी अधिकांश भ्रष्टाचार के समुद्र में गोता लगाते हैं। पीडब्ल्यू विभाग को मलाईदार माना जाता है, जहां वर्षों से इंजीनियर टिके हैं। उन सभी पर भ्रष्टाचार के मामले भी लंबित हैं। उन सभी को इधर-उधर करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके अलावा सुरक्षा का मसला प्रदेश में हमेशा चिंतनीय रहा था जिसे काफी हद तक दुरुस्त किया गया। माफियाओं और पारिवारिक पार्टियों के गठजोड़ को खंडित कर दिया गया है। इनका कभी थाने-कचहरियों में बोलबाला हुआ करता था, उस तंत्र को भी तोड़ा गया। सीएम योगी ने अपराध व माफियागिरी पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाकर जनता के मन में दृढ़ विश्वास पैदा किया है।
बहरहाल, सूबे की सूरत अगले पांच वर्षों में बदले इसके लिए उद्यमियों को आमंत्रित किया जा रहा है। सरकार के आमंत्रण पर उद्यमी पहुंचने भी लगे हैं। इस कड़ी में बड़े निवेशकों में दिग्गज उद्यमी अडानी ग्रुप ने सत्तर हजार करोड़ रुपए, आदित्य बिड़ला ग्रुप ने चालीस हजार करोड़ और हीरानन्दानी ग्रुप ने अगले पांच साल में हर साल 1000 करोड़ रुपये के निवेश करने का वादा किया है। दिग्गज औद्योगिक घरानों का उत्तर प्रदेश में निवेश करना सबसे पसंदीदा स्थान बन चुका है। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, कारोबारी सुगमता, भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी औद्योगिक नीतियां निवेशकों को भा रही हैं। व्यापारी अब बिना डरे खुलकर अपना व्यापार करते हैं। सरकार उनकी सुरक्षा कवच बन गई है।
कमाई के हिसाब से सरकार अब घाटे में नहीं है। क्योंकि कमाई वाले क्षेत्रों से भी नतीजे शानदार आ रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में वैश्विक महामारी कोरोना के बावजूद प्रदेश के निर्यात में तीस फीसद वृद्धि दर्ज हुई। एमएसएमई विभाग और अमेजन के बीच हाल ही में एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर दस्तखत किए गये हैं। अमेजन के कानपुर में एक डिजिटल केंद्र का शुभारंभ हुआ। इससे एमएसएमई और ओडीओपी इकाइयों को अपना उत्पाद बेचने में सहूलियत होगी। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में भी बेहतरीन प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके अलावा सरकार के समक्ष चुनौतियां अभी कई हैं, उन चुनौतियों से निपटने के लिए कमर ऐसी ही कसे रखनी होगी। सभी मंत्रियों और उनके मंत्रालयों व अधिकारियों की कार्य शैलियों पर भी पैनी नजर रखनी होगी।