ओडीएफ की अपार सफलता
खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) के लिए बीकानेर में हो रहे
प्रयासों पर जिला कलेक्टर ने नई दिल्ली में दिया प्रस्तुतीकरण
ओडीएफ की अपार सफलता के लिए बीकानेर जिले के प्रयासों को मिली भरपूर सराहना
नई दिल्ली, 13 मार्च, 2015।
भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की ओर से नई दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित जिला कलक्टर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीकानेर की जिला कलेक्टर आरती डोगरा ने खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) के लिए जिले में हो रहे प्रयासों से संबंधित एक प्रजेंटेशन देश के चालीस जिला कलक्टर्स के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसकी कार्यक्रम में उपस्थित सभी कलक्टर्स ने मुक्तकंठ से सराहा की।
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की ओर से आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर संदर्भ व्यक्ति के रूप में डोगरा ने कहा कि सुदूर ढाणियों में फैले बीकानेर जिले को ओडीएफ बनाने की शुरूआत करना बेहद चुनौतीपूर्ण था लेकिन प्रत्येक वर्ग का सहयोग लेते हुए इसे जन-जन का अभियान बनाया जा सका। उन्होंने देश भर से आए कलक्टर्स को बताया कि बीकानेर जिला क्षेत्राफल की दृष्टि से देश का चौथा सबसे बड़ा जिला है तथा 28 हजार 466 स्क्वॉयर किलोमीटर क्षेत्रा तक फैला हुआ है। ग्रामीण महिलाओं में शिक्षा का अभाव है तथा पर्याप्त मात्रा में पेयजल की उपलब्धता न होना भी ओडीएफ अभियान में बाधक था, लेकिन अप्रैल 2013 में शुरू हुए इस अभियान को दृढ़ इच्छा शक्ति और नवाचारों के माध्यम से सफलता की ओर अग्रसर किया जा सका है।
आमजन को बार-बार समझाया महत्व
पावर पाइंट प्रजेंटेशन की 27 स्लाइड्स के माध्यम से जिला कलक्टर ने बताया कि ग्रामीणों को बार-बार ओडीएफ के फायदों के बारे में समझाया गया। वे स्वयं ग्रामीणों के बीच गईं। रात्रि चौपालों के दौरान ग्रामीणों को इसका महत्त्व बताया। जिला परिषद और स्वच्छता से जुड़े अधिकारियों को भेजा। जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया। उन्हें ओडीएफ से संबधित प्रशिक्षण भी दिया गया। जिला और ब्लॉक स्तर पर कॉर्डिनेटर और ग्राम पंचायत स्तर तक मोटिवेटर्स नियुक्त किए गए।
नालबड़ी बनी पहली ओडीएफ पंचायत
जिला कलक्टर ने बताया कि अभियान के प्रति ग्रामीणों में इतना उत्साह था, कि अप्रैल 2013 में अभियान की शुरूआत के दस दिनों बाद ही नाल बड़ी को जिले की पहली ओडीएफ ग्राम पंचायत बनने का गौरव प्राप्त हुआ। इक्कीस ग्राम पंचायतें पहले महीने ही ओडीएफ बनने की ओर अग्रसर हो गईं और देखते ही देखते जिले की 219 में से लगभग दो सौ ग्राम पंचायतें ओडीएफ बन गईं।
सवालों की हुई बौछार
आरती डोगरा द्वारा प्रजेंटेशन पूर्ण करने के बाद विभिन्न प्रांतों से आए जिला कलक्टर्स ने कौतुहल और उत्सुकता से कईं प्रश्न किए। आमजन की सहभागिता, स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग, सर्वे, ट्रिगरिंग आदि कैसे संभव हो पाया, इस दौरान क्या-क्या मुसीबतें आईं और उनका निदान कैसे किया गया, किस प्रकार से मोबाइल सर्वे किया गया? जैसे अनेक प्रश्न, विभिन्न जिला कलक्टरों ने रखे, जिनका सटीक और त्वरित जवाब डोगरा ने दिए। प्रजेटेंशन प्रस्तुत करने वालों में डोगरा सहित तीन ट्रेनर और विभिन्न प्रांतों के चालीस कलक्टर शामिल थे।
मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम की हुई सराहना
जिला कलक्टर आरती डोगरा द्वारा बताया गया कि जिला स्वच्छता मिशन द्वारा अधिकृत सर्वेक्षण दल ने विभिन्न गांवों में जाकर मौके पर सर्वे किया। अधिकृत सर्वेक्षण दल गांव के प्रत्येक दसवें घर का सर्वेक्षण व्यक्तिगत रूप से देखकर करता था। इसमें शौचालय की स्थिति का आकलन किया जाता था। यह सर्वेक्षण विभिन्न स्वतंत्रा सर्वेक्षणकर्ताओं के माध्यम से करवाया जाता था। दल द्वारा गांवों में घरों के साथ-साथ आंगनबाड़ी केन्द्रों और विद्यालयों में बने शौचालयों का निरीक्षण भी किया गया।
तीन चुनाव भी हुए अभियान के दौरान
जिला कलक्टर आरती डोगरा ने बताया कि खुले में शौच से मुक्ति कार्यक्रम शुरू करने के बाद तीन बड़े और महत्त्वपूर्ण चुनाव भी हुए। आमजन ने मतदाता जागरूकता अभियान में भागीदारी निभाने के साथ-साथ ओडीएफ में भी जमकर योगदान दिया। अभियान के दौरान विधानसभा, लोकसभा और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी हुए, लेकिन ओडीएफ की गति कहीं प्रभावित नहीं हुई और ग्रामीणों ने मतदान में भागीदारी के साथ-साथ ओडीएफ का कार्य भी पूर्ण गंभीरता के साथ किया।
सीटी, टॉर्च और लाठी बने ओडीएफ क्रांति के हथियार
डोगरा ने विभिन्न जिलों के कलक्टर्स को बातचीत के दौरान बताया कि गांवों को ओडीएफ बनाने के लिए जिले के विभिन्न गांवों में गठित स्थानीय दल अलसुबह से ही सीटी बजाते हुए, एक हाथ में टॉर्च और दूसरे हाथ में लाठी लिए हुए घूमते रहते। इस दौरान अगर कोई व्यक्ति खुले में शौच के लिए जाता नजर आता तो उन्हें खुले में शौच से होने वाले नुकसान के बारे में समझाते।
महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर रहीं साथ
बीकानेर जिले को ओडीएफ बनाने में अधिकारियों, कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों और विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की भागीदारी तो थी ही, लेकिन ग्रामीण महिलाएं भी इस अभियान में कंधे से कंधा मिलाकर सकारात्मक सहयोग देने से पीछे नहीं रहीं। महिलाएं मोबाइल सर्वे करने वालों को भी गांवों में बने आंगनबाड़ी केन्द्रों आदि तक स्वयं लेकर जातीं।
पूरे साल चलेगा प्रशिक्षण कार्यक्रम
स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिला कलक्टरों का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे साल चलेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले चरण में देशभर के विभिन्न प्रांतों के चालीस जिला कलक्टरों ने भाग लिया। पहले चरण में प्रजेंटेशन देने वालों में राजस्थान से आरती डोगरा ने इकलौती प्रतिनिधि के रूप में अपना प्रस्तुतिकरण दिया।