देश के 5 राज्यों के आर्थिक चक्र पर भी प्रभाव पड़ता है कावड़ यात्रा का
दिनेश मानसेरा
दो साल के कोविड काल के बाद शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर कारोबारियों में भारी उत्साह देखने में आया है। अनुमान है कि इस बार ये यात्रा करीब तीन हजार करोड़ का कारोबार करके जाएगी।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कांवड़ यात्रा को लेकर राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद कहा कि इस बार चार करोड़ के आसपास कांवड़ यात्री हरिद्वार गंगा जल लेने आ सकते हैं। उन्होंने यह अनुमान इस आधार पर लगाया कि कोविड से पहले तीन करोड़ से ज्यादा कांवड़ यात्री यहां आए थे और चारधाम की यात्रा में शिवभक्तों की भीड़ को देखते हुए इस बार कांवड़ भक्तों की संख्या में इजाफा जरूर होगा।
कांवड़ से जुड़ी सामग्री के कारोबार को देखते हुए यह साल व्यापारियों के लिए बहुत बेहतर जाने वाला है।
सहारनपुर में कांवड़ टी-शर्ट, कपड़े, अंगोछे, नेकर आदि का थोक का कारोबार होता है। इस वक्त कपड़े का बाजार भगवा रंग से पटा पड़ा है। कारोबारी योग चुग कहते हैं कि अकेले करीब दो सौ करोड़ की टी-शर्ट का कारोबार हुआ है। उन्होंने बताया कि बुलडोजर बाबा, मोदी, योगी की टीशर्ट इस वक्त शिव की तस्वीरों से ज्यादा बिक गई हैं। सौ से चार सौ रुपए तक टी-शर्ट की कीमत है।
नजीबाबाद में लकड़ी की टोकरियां बनाने वाले समीर कहते हैं कि इस बार टोकरियों की मांग बहुत ज्यादा है। हमारे कारीगर सालभर इस पर लगे रहते हैं। दो साल काम नहीं हुआ, लेकिन इस बार सब कसर पूरी हो गई।
प्लास्टिक जेरिकेन का विकल्प अभी भी खोजा जा रहा है। इसके बावजूद एल्युमिनियम, पीतल जेरिकेन कलश आदि का बाजार भी बढ़ता देखा जा रहा है। हरिद्वार के प्रकार अविक्षित रमन कहते हैं इस साल कांवड़ यात्रा भव्य और उत्साह के साथ चलेगी। उन्होंने बताया कि यूपी, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल राज्यों से बड़ी संख्या में कांवड़ यात्री आने वाले हैं।
तिरंगे का बोलबाला
आजादी का अमृत महोत्सव नजदीक है। कांवड़ यात्रा में शिवभक्तों के हाथों में इस बार भगवा ध्वज के साथ-साथ बड़े- बड़े राष्ट्रीय ध्वज भी होंगे। जानकारी के अनुसार बाजार में तिरंगे झंडों के सैकड़ों स्टाल अभी से लगने शुरू हो गए हैं। कांवड़ यात्रा मार्ग पर कांवड़ियों के हाथों में लहराते तिरंगे का कारोबार भी करोड़ों में होगा। लंगर, भोजनालय में राशन का कारोबार भी करीब एक हजार करोड़ के आंकड़े को छुएगा।
कांवड़ यात्रा मार्ग पर लगने वाले एक-एक भंडारे में राशन, तेल, गैस, पानी, जूस और लेबर आदि का खर्च जोड़कर लाखों में आता है। यात्रा मार्ग में हजारों शिविर और भंडारे चलते हैं और दान-दाताओं के सहयोग से इन्हे चलाया जाता है। इसके अलावा, डीजे संगीत, वाहन, डीजल-पेट्रोल आदि का कारोबार भी कांवड़ मेले में खूब चलता है। पुलिस- प्रशासन के दस-दस हजार पुलिसकर्मी हर राज्य में कांवड़ ड्यूटी पर रहते हैं, जिन पर सरकार का खर्च भी करोड़ों में पहुंचता ही है।
जिन शहरों के मंदिरों में कांवड़ पहुंचती है वहां के शिवालय के आसपास भी लगने वाले शिव यात्री मेलों में सैकड़ों दुकानों का भी हिसाब-किताब करोड़ों के कारोबार तक पहुंचता है। उत्तराखंड व्यापार मंडल के अध्यक्ष नवीन वर्मा कहते हैं कि उत्तराखंड की धार्मिक यात्राओं से ही यहां की इकोनॉमी चलती है। कांवड़ यात्रा से हजारों करोड़ का कारोबार होने लगा है। यही वजह है कि सरकार भी इसे आयोजित करने में दिलचस्पी लेती रही है।
यूपी सरकार में योगी राज की वापसी के बाद से कांवड़ यात्रा एक प्रतिष्ठा यात्रा में बदल गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा करते देखे गए हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कांवड़ यात्रा को लेकर उत्साह दिखाया है और आदेश जारी किए हैं कि कांवड़ यात्रा व्यवस्थित हो कांवड़ियों के साथ आदर का व्यवहार किया जाए।