ऐसे हुई ‘रत्ती’ शब्द की उत्पत्ति

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वीरेन्द्र त्रिवेदी की फेसबुक वॉल से

‘रत्ती भर’ यह शब्द लगभग हर जगह कहीं न कहीं सुनने को मिलता है। आपने भी इस शब्द को बोला होगा और बहुत लोगों की जुबान से सुना भी होगा। कभी किसी पर गुस्सा आता है तो भी हम कह देते हैं कि ‘तुम्हें रत्ती भर भी शर्म नहीं आई’ या फिर ‘तुम में तो रत्ती भर दिमाग नहीं’। लेकिन क्या आपने कभी इस ‘रत्ती’ का मतलब जानने की कोशिश की है? आखिर यह शब्द आया कहां से? और इसका मतलब क्या होता है?

आमतौर पर भारतीय घरों में लोग एक मुहावरे का इस्तेमाल करते हैं- ‘रत्ती भर’। यह शब्द लगभग हर जगह कहीं न कहीं सुनने को मिलता है। आपने भी इस शब्द को बोला होगा और बहुत लोगों की जुबान से सुना भी होगा। कभी किसी पर गुस्सा आता है तो भी हम कह देते हैं कि ‘तुम्हें रत्ती भर भी शर्म नहीं आई’ या फिर ‘तुम में तो रत्ती भर दिमाग नहीं’। लेकिन क्या आपने कभी इस ‘रत्ती’ का मतलब जानने की कोशिश की है? आखिर यह शब्द आया कहां से? और इसका मतलब क्या होता है?
हमारे बड़े-बुजुर्ग तो जरूर जानते होंगे, लेकिन हमारे भाई-बहन नहीं। बहुत बार हम रत्ती का मतलब थोड़ा या कम समझ लेते हैं, लेकिन इसकी वास्तविक परिभाषा या कहें तो यह वास्तविक रूप में बिल्कुल ही अलग है। यह बहुत आश्चर्य का विषय है।

आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि रत्ती एक प्रकार का पौधा होता है। यह लता जाति की एक वनस्पति है। रत्ती के पौधे को आम भाषा में ‘गुंजा’ कहा जाता है। इसमें मटर जैसी फली लगती है, जिसके अंदर दाने होते हैं। रत्ती के दाने काले और लाल रंग के होते हैं। प्रत्येक फली में 4-5 गुंजा के बीज निकलते हैं। जब आप इसे छूने की कोशिश करेंगे तो यह आपको मोतियों की तरह कड़ा प्रतीत होगा। पक जाने के बाद यह बीज पेड़ों से गिर जाता है। ज्यादातर आप इसे पहाड़ों में ही पाएंगे।
पुराने जमाने में रत्ती का इस्तेमाल सोने या किसी जेवरात के भार को मापने के लिए किया जाता था। रत्ती में सोने या मोती के तौल के चलन की शुरूआत सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में होता आ रहा है। इस मापन की विधि को किसी भी आधुनिक यंत्र से ज्यादा विश्वासनीय और बढ़िया माना जाता है। अगर वजन मापने की आधुनिक मशीन के हिसाब से देखें तो एक रत्ती लगभग 0.121497 ग्राम की होती है।

‘रत्ती’ की फली के अंदर मौजूद बीजों का वजन करेंगे, तो सबका वजन एक समान ही होगा। इसमें एक मिलीग्राम का भी अंतर नहीं आता है। एकबारगी तो इनसानों की बनाई गई मशीन पर से भरोसा उठ भी सकता है और यंत्र से भी गलती हो सकती है। लेकिन इस पर आप आंख बंद करके विश्वास कर सकते हैं। प्रकृति द्वारा दिए गए इस ‘गूंजा’ नामक पौधे के बीज का वजन कभी इधर से उधर नहीं होता है।

ऐसा माना जाता है कि रत्ती के पत्ते को चबाने से मुंह में होने वाले छाले ठीक हो जाते हैं।
साथ ही, इसके जड़ को भी सेहत के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। आपने कई लोगों को ‘गूंजा’ पहने हुए भी देखा होगा। कुछ लोग अंगूठी बनवा कर तो कुछ लोग माला बनाकर इसे पहनते हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ‘रत्ती’ सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है।
आपको यह जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि ‘रत्ती’ की फली के अंदर मौजूद बीजों का वजन करेंगे, तो सबका वजन एक समान ही होगा। इसमें एक मिलीग्राम का भी अंतर नहीं आता है। एकबारगी तो इनसानों की बनाई गई मशीन पर से भरोसा उठ भी सकता है और यंत्र से भी गलती हो सकती है। लेकिन इस पर आप आंख बंद करके विश्वास कर सकते हैं। प्रकृति द्वारा दिए गए इस ‘गूंजा’ नामक पौधे के बीज का वजन कभी इधर से उधर नहीं होता है।
पहले यह पौधा हिमाचल प्रदेश में बहुत अधिक पाया जाता था, पर जैसे-जैसे मानव प्रकृति पर हावी होने की कोशिश कर रहा है, वैसे-वैसे बहुत सी चीजें लुप्त होती जा रही हैं, जिनमें रत्ती भी शामिल है।  

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