राष्ट्रपति चुनाव : हार के अंतर को कम करना ही यशवंत सिन्हा के लिए बड़ी चुनौती
राष्ट्रपति पद के लिए होने जा रहे चुनाव की कहानी अब बड़े रोचक दौर में पहुंच चुकी है। अभी राजनीतिक दल बड़ी तेजी से अपना ध्रुवीकरण कर रहे हैं। फिलहाल राजग की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। उनकी स्थिति दिन प्रतिदिन मजबूत होती जा रही है और विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के सामने अब केवल एक ही विचारणीय बात है कि वह अपनी हार के अंतर को कम कैसे करें?
विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लिए महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम और सत्ता परिवर्तन भी झटका देने वाला है क्योंकि शिवसेना के बागियों समेत करीब 50 विधायकों का वोट जो उन्हें मिलता अब वह मुर्मू के खाते में जाएगा। महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 है और इस हिसाब से सिन्हा के खाते में जाने वाला करीब 8750 वोट मुर्मू को चला जाएगा। राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा के 543 व राज्यसभा के 233 सांसदों के कुल मत का वैल्यू 5,43,200 है। एक सांसद के वोट का वैल्यू 700 है। जबकि सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के कुल 4033 विधायकों के मतों का कुल वैल्यू 5,43,231 है।
इस तरह राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों और विधायकों के कुल मतों की संख्या 10,86,431 है, जिसमें द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में एनडीए के साथ आए दलों के वोटों को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा साढ़े छह लाख को पार कर चुका है। विपक्षी खेमे के एक अन्य झामुमो ने राजग को संदेश दे दिया है कि उसका वोट द्रौपदी मुर्मू को है। जबकि झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई कांग्रेसी विधायक भी असमंजस में हैं कि वोट किसे दें। ध्यान रहे कि राष्ट्रपति चुनाव में व्हिप नहीं होता है। राज्यों में पक्ष और विपक्ष के बीच वोटों के अंतर का फासला इसी से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र की सत्ता पर कब्जा करने के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 19 राज्यों में सरकार व बहुमत है।
विपक्षी दलों के पास अब केवल सात राज्यों छत्तीसगढ, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में ही सत्ता है। ओडि़शा, आंध्रप्रदेश, पंजाब और दिल्ली की सत्तारुढ पार्टियां सत्तापक्ष या विपक्ष की खेमेबंदी का हिस्सा नहीं हैं। ओडिशा की सत्तारूढ़ बीजेडी और आंध्रप्रदेश की सत्ता में काबिज वाइएसआर कांग्रेस ने तो मुर्मू के नामांकन के मौके पर ही अपने प्रतिनिधि को भेज तस्वीर साफ कर दी थी। दिल्ली व पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने अभी तक राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, मगर यह भी रोचक है कि राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में हुई विपक्षी दलों की बैठक में आप शामिल नहीं हुई थी। ऐसे में आप के मुर्मू के पक्ष में आने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा रहा है।
विपक्षी खेमे में आने वाले संभावित वोटों के भी सियासी वजहों से एनडीए उम्मीदवार के खाते में जाने की इस रफ्तार को देखते हुए सिन्हा के लिए 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में मीरा कुमार के बनाए रिकार्ड को पार करना आसान नहीं होगा। मीरा कुमार को इस चुनाव में 3,67,314 वोट मिला जो राष्ट्रपति चुनाव में शिकस्त खाने के बावजूद अब तक का सबसे अधिक वोट हासिल करने का रिकार्ड है। जबकि राष्ट्रपति चुने गए रामनाथ कोविंद को 7,02,044 वोट हासिल हुए और वे बड़े अंतर से जीतने में कामयाब रहे। बहरहाल मौजूदा राष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के रुख और संकेतों को देखते हुए सिन्हा के लिए मूर्मू के साथ वोटों के बढ़ते फासले को कम करना अब मुश्किल होता जा रहा है।
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।