भारत क्रिकेट का विश्व कप जीते सभी देशवासियो की हार्दिक अभिलाषा है।यह आज राष्ट्रभक्ति का एक तथाकथित प्रतीक बन गई है। इसीलिए हम सब तथाकथित गुलामो के खेल में अपना असीमित समय व धन व्यय करके और प्रतिदिन के आवश्यक कार्यो आदि से भी विमुख होकर इसमें आनन्द की अनोखी अनुभूति पाते है ।कुछ क्रिकेट प्रेमी तो जब पाकिस्तान या बंगला देश से मैच होता है तो अपने देश की जीत के लिए हवन आदि करने में भी गौरव अनुभव करते है।
लेकिन यह भी अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है की क्रिकेट मैचो की जो चर्चाये टी .वी. पर प्रसारित की जाती उसमें पाकिस्तान के खिलाड़ियों को विशेषज्ञ के रूप में एक हीरो बना कर प्रस्तुत किया जाता आ रहा है। जबकि पाकिस्तान अपनी धूर्त शत्रुता पूर्ण कुटिल नीतियों से भारत को हरसंभव प्रयासो द्वारा जिसमे युद्धविराम उल्लंघन व आतंकवादियो की घुसपैठ का निरंतर चलते हुए सिलसिले को रोकना ही नहीं चाहता ।उसपर उल्टा वह खेल, फ़िल्म व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमो के बहाने अपने नागरिको को हमारे देश में भेजता ही रहता है ।हमारे देश के नागरिक इतने अधिक उदार व सहनशील है कि उनको मनोरंजन के नाम पर शत्रु की मुस्लिम कट्टरता से उपजी कुटिल चालो का आभास ही नहीं हो पाता।
परंतु अगर इस देशभक्ति का सकारात्मक पक्ष देखा जाये तो क्रिकेट के खेल की भावना के जनून से जन जन में राष्ट्र प्रेम का जो भाव भर रहा है उसे यदि अपने देश के उस स्वर्णिम युग से जिसमें प्राचीन ज्ञान की गंगा के बहने से जगत में हमारा देश जगदगुरु के सिंहासन पर आसीन था , से अवगत कराया जाय तो उसे इस आनंद की असीम अनुभूति होगी ।
अतःउस प्रतीति व गौरव को पुनःपाने के लिए हम इस खेल के जनून को क्यों नहीं अपने स्वर्णिम युग को पाने की दिशा की ओर अग्रसर होते? यह भी सोचो कि विश्व में अमेरिका,रूस,चीन,जापान,जर्मनी, फ्रांस आदि अधिकतर विकसित देशो के नागरिक अपनी राष्ट्रभक्ति क्रिकेट आदि खेलो में नहीं राष्ट्र के स्वाभिमान व उत्थान के लिए समर्पित करते है।
क्या हम अपने इसी समर्पण व राष्ट्रभक्ति के भाव से राष्ट्र आराधन करके अपनी भारतमाता को पुनः विश्व के उच्च सिंहासन पर बैठा कर अपने सांस्कृतिक गौरव की लालिमा से वैश्विक जिहाद को जला कर मानवता की रक्षा व उसके उज्जवल भविष्य के लिए विश्व शान्ति की स्थापना नहीं कर सकते ?
“आओ सोचे इस ओर जरा, दूर करे अन्धकार भरा” ।
विनोद कुमार सर्वोदय
नया गंज.गाज़ियाबाद