देश में एक समान स्वदेशी, सार्थक एवं मूल्य आधारित शिक्षा पद्धति लागू होनी चाहिए
नई दिल्ली, 21 मार्च, 2015। राजस्थान के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्राी श्री कालीचरण सराफ ने सुझाव दिया है कि देश में एक समान स्वदेशी, सार्थक एवं मूल्य आधारित शिक्षा पद्धति लागू की जानी चाहिए। साथ ही पाठ्यक्रमों में देश के महापुरूषों की जीवनी योग और नैतिक शिक्षा को भी शामिल किया जाना चाहिए।
श्री सर्राफ शनिवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्राी श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति के सम्बंध में राज्य सरकारों के साथ परामर्श के लिए आयोजित बैठक में बोल रहे थे।
उन्होने सुझाव दिया कि देश के हर भाग में बहुसंकाय विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाए। साथ ही नये महाविद्यालयों की स्थापना एवं उनके विकास के लिए राज्य सरकारों के सीमित संसाधनों को देखते हुए प्रवासी भारतीयों से सम्पर्क कर उनका योगदान भी लिया जाए। श्री सर्राफ ने बताया कि देश-विदेश में प्रवासियों की बहुत बड़ी संख्या है जो कि शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रो में गांवों कस्बों एवं शहरों को गोद लेकर सरकार के साथ कल्याणकारी कार्यो में अहमं भूमिका निभाना चाहते है। श्री सराफ ने यह सुझाव भी दिया कि शिक्षा सम्बंधी कार्यो के लिए आरक्षित लेकिन अनुउपयोगी भूमि का एक ‘‘लेंड-बैंक’’ बनाकर उन पर नये शैक्षणिक कैम्पस बनाने पर विचार किया जाना चाहिए।
श्री सराफ ने सुझाव दिया कि आठवीं तक की परीक्षाएं होने की पुरानी पद्धति को ही फिर से शुरू किया जाना जरूरी है अन्यथा आठवीं तक अनुत्तीर्ण घोषित नहीं किए जा रहे विद्यार्थी नवर्मी कक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पा रहे है और इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होने शिक्षा से संस्कार की गौरवमयी भारतीय परम्परा का अनुसरण करने के लिए नैतिक शिक्षा योग और महराणा प्रताप, शिवाजी जैसे महापुरूषों की जीवनी को पाठ्यक्रमों में शामिल करवाया जाना चाहिए।
श्री सराफ ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्राी श्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत शिक्षा परिसरों की सफाई के साथ ही प्रत्येक शिक्षण संस्था को स्वच्छता अभियान के लिए एक गांव गौद लेने की अनिवार्यता से जोड़ना चाहिए। साथ ही सामुदायिक सेवा और श्रमदान को महाविद्यालयी पाठ्यकक्रमों का अंग बनाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि राजस्थान में मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में शिक्षा नीति के अन्तर्गत बहुस्तरीय परामर्श की संभागवार प्रक्रिया ‘ज्ञान-चौपाल’ के द्वारा शुरू की गई है।
श्री सर्राफ ने सुझाव दिया ‘‘प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति एक अनपढ़ को पठाये’’ हर शिक्षा संस्थान में केंद्र की मदद से ‘स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स’ स्थापित होवे और महिला शिक्षा को निःशुल्क किया जाना चाहिए। साथ ही प्राईवेट विश्व विद्यालयों के लिए एक नियामक बोर्ड का गठन भी होना चाहिए। साथ ही उच्च एवं तकनीकी शिक्षा संस्थाओं का नामकरण महापुरूषों, स्वतंत्राता सेनानियों, वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, शहीदों आदि के नाम पर किया जाना चाहिए।
श्री सर्राफ ने सीमावर्ती जिलों के उच्च एवं तकनीकी महाविद्यालयों में एन.सी.सी. में प्रवेश को अनिवार्य किए जाने के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि राजस्थान जैसे सीमांत राज्य में विद्यार्थियों को सीमाओं की रक्षा के लिए तैयार करने की दृष्टि से यह अच्छी पहल साबित होगा। उन्होनंे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्राी को 29 वर्षो के बाद नई शिक्षा नीति के सम्बंध में नये सिरे से परामर्श शुरू करने के लिए बधाई दी। बैठक में राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा सचिव श्री अश्विनी भगत और माध्यमिक शिक्षा सचिव श्री नरेश पाल गंगवार भी मौजूद थे।