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भागते भूत की लंगोटी ही काफी

सरकार ने काले धन पर जो विधेयक संसद में पेश किया है, उसे जल्दी से जल्दी कानून बनना ही चाहिए। पहले ही 10-11 माह की देरी हो चुकी है। जिन सेठों और नेताओं के अरबों-खरबों रुपए विदेशों में जमा हैं, क्या वे इतने आलसी होंगे कि उन्होंने अभी तक अपने पैसे उन बैंकों में रख रखे होंगे? अगर वे इतने ही आलसी होते तो वे इतने पैसे कैसे कमाते कि जिन्हें उन्हें विदेशी बैंकों में छिपाने पड़ते हैं। मोदी सरकार के बनते ही विदेशों में अपना काल धन छिपाने वालों के छक्के छूट गए थे।

सरकार बनते ही यदि यह कानून बन जाता और विदेशी बैंकों में आने-जाने वाले भारतीयों पर कड़ी निगरानी रखी जाती तो शायद मोदी के हाथ वह खजाना लग जाता, जिसमें से हर भारतीय को वे 15-15 लाख रु. बांट सकते थे, जैसा कि वे अपनी चुनावी सभी में वादा करते रहे थे। लेकिन अब लगता नहीं है कि जो काला धन विदेशों से पकड़ा जाएगा, उसमें से 15-15 हजार रु. भी प्रत्येक भारतीय के हिस्से में आएंगे। सच्चाई तो यह है कि सरकारी जांच समिति के पास विदेशों में छिपे हुए काले धन के बारे में कोई प्रामाणिक आंकड़ा भी नहीं है।

जो भी हो, सरकार ने इस विधेयक में जो सजा और जुर्माने के प्रावधान रखे हैं, वे काफी अच्छे हैं। जो लोग सरकार द्वारा नियत अवधि में अपने काले धन की घोषणा करेंगे, उन्हें छुपाई हुई राशि पर 30 प्रतिशत टैक्स देना होगा और 30 प्रतिशत जुर्माना याने आपने 100 रुपए छिपा रखे हैं तो उसमें से 60 रुपए आपको देने होंगे। आपको कोई सजा नहीं होगी  लेकिन यदि नियत अवधि के बाद भी आपने विदेशों में पैसा छिपा रखा है और आप पकड़े गए तो आपके 100 रुपए में से 90 रु. सरकार जब्त कर लेगी और आपको दस साल की सजा भी हो सकती है। उन बैकों और लेखाकारों (सी.ए.) को भी सजा होगी, जो काला धन छिपाने में मदद करेंगे।

ये प्रावधान तो अच्छे हैं लेकिन काले धन की जड़ तो ज्यों की त्यों हरी है। यह काला धन विदेशों में थोड़े ही पैदा होता है। यह तो भारत में ही पैदा होता है। इसके माता-पिता तो हमारे नेता और बिल्डर लोग ही होते हैं। उन्हें पकड़ने का जब तक कोई पक्का इंतजाम नहीं होगा, काले धन का गंदा नाला बहता रहेगा। मोरिशस का ‘टैक्स-फ्री रुट’ भी आपने खोल रखा है। सारी दुनिया का काला धन मोरिशस की सैर करता हुआ भारत लौट आता है। जितना काला धन विदेशों में जमा है, उससे कई गुना भारत में दौड़ता-फिरता है। सरकार यदि विदेशों से थोड़ा-बहुत भी पकड़ लाती है तो यह भी क्या बुरा है? भागते भूत की लंगोटी ही काफी।

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