द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर प्रधानमंत्री ने दिए नए संकेत
अशोक मधुप
ओडिशा की रहने वालीं द्रौपदी मुर्मू इससे पहले झारखंड की पहली महिला आदिवासी राज्यपाल भी रह चुकी हैं। उनकी उम्र 64 साल है। यह पहला मौका है जब देश को आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलने जा रही हैं। इससे पहले अब तक देश में कोई आदिवासी राष्ट्रपति नहीं रहा।
झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा की संसदीय दल की बैठक में द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी गई। इस घोषणा के बाद इन कयासों को विराम लग गया कि देश के मुस्लिमों और मुस्लिम देशों को प्रसन्न करने के लिए भाजपा राष्ट्रीय विचारधारा वाले किसी मुस्लिम को राष्ट्रपति बना सकती है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपूर शर्मा की मुहम्मद साहब के बारे में की गयी विवादास्पद टिप्पणी के बाद देश के मुस्लिम ही नाराज नहीं थे, अपितु इस बयान को लेकर कई मुस्लिम देश भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके थे। कुछ स्थानों पर भारतीय सामानों का बहिष्कार भी शुरू हुआ था। इसे लेकर और देश में उत्पन्न हालात के मद्देनजर अखबारी और राजनैतिक खेमों में ये कयास लगाए जा रहे थे, कि भाजपा किसी राष्ट्रवादी मुस्लिम को राष्ट्रपति बना सकती है। इसके लिए केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान और केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के विभाग के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के नाम की जोर−शोर से चर्चा थी। मुख्तार अब्बास नकवी का राज्यसभा कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में हाल में हुए राज्यसभा के चुनाव में उन्हें भाजपा द्वारा टिकट न दिए जाने से इन चर्चाओं को बल मिल रहा था। अब झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा होने से इन कयासों को विराम लग गया। स्पष्ट हो गया कि भाजपा को इस विरोध की ज्यादा चिंता नहीं है। उसका लक्ष्य आगामी तीन राज्यों के विधानसभा और 2024 का लोकसभा चुनाव है।
ओडिशा की रहने वालीं द्रौपदी मुर्मू इससे पहले झारखंड की पहली महिला आदिवासी राज्यपाल भी रह चुकी हैं। उनकी उम्र 64 साल है। यह पहला मौका है जब देश को आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलने जा रही हैं। इससे पहले अब तक देश में कोई आदिवासी राष्ट्रपति नहीं रहा। इस लिहाज से मुर्मू आदिवासी और महिला, दोनों वर्ग में फिट बैठती हैं। उनके नाम के ऐलान के साथ ही राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा का यह निर्णय यह बताता है कि गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा का फोकस इन प्रदेशों के आदिवासी समुदाय पर है। माना जा रहा है कि पार्टी ने द्रोपदी मुर्मू को टिकट देकर आदिवासी वोटों को साधने का प्रयास किया है। वे महिला हैं। भाजपा पहले ही महिला वोट पर फोकस किए हुए है। महिला मतदाता भाजपा की बड़ी ताकत हैं। इन महिला वोटर को अपने से जोड़े रखने के लिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का भले ही यह कहना है कि भाजपा गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के वोटरों को रिझाने के लिए ऐसा कर रही है किंतु यह भी सच है कि उसका यह निर्णय 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी उसे लाभ पंहुचा सकता है। जहां तक मुख्तार अब्बास नकवी की बात है तो उनको हाल में ना राज्यसभा का टिकट मिला, ना ही रामपुर लोकसभा उपचुनाव लड़ाने के लिए भाजपा ने उन्हें टिकट दिया। इससे इन बातों को बल मिलता है कि भाजपा आगे चलकर उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने का इरादा रखती है। हालाकि ये राजनीति है। यह पल–पल बदलती रहती है। उपराष्ट्रपति चुनाव के समय क्या हालात होंगे? यह अभी नहीं कहा जा सकता।
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