कृपया अवलोकन करें :-
- पाकिस्तान की जेलों में यातना भुगत रहे 56 भारतीय युद्घ बंदियों एवं अन्य निर्दोष कैदियों को मुक्त करायें : विदित हो कि 1965 के भारत पाक युद्घ के समय 56 भारतीय सैनिक पाकिस्तान सेना के द्वारा अपहृत कर लिये गये थे, जिन सभी के नाम कई बार समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें युद्घ बंदी बनाकर वहां की जेलों में यातनापूर्ण जीवन जीने को विवश किया गया। जबकि 1971 में भारत पाक युद्घ के समय पाकिस्तानी सेना के 93000 सैनिकों ने बांगलादेश क्षेत्र में युद्घरत भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था तो उन सभी को भारत लाकर विशेष शिविरों में रखा गया। बाद में 1972 में शिमला समझौता के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन सभी युद्घबंदियों को पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया तथा उन्हें भारत के शिविरों से हटाकर सीमा पर भेजने की सुरक्षित व्यवस्था की गयी। 93000 पाकिस्तानी युद्घबंदी भारत ने वापिस भेजे परंतु 1965 युद्घ के 56 भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान की जेलों से वापिस लेने का कोई प्रयत्न आज तक नही किया गया। मोदी सरकार इस दिशा में पहल करे तो समय की कसौटी पर एक प्रेरक अध्याय लिखा जा सकेगा। उन 56 में से अब कितने जीवित बचे होंगे, यह भी मर्मान्तक पीड़ा देने वाला विषय है।
- बांग्लादेश व पाकिस्तान में हिन्दू उत्पीडऩ रोकने के उपाय किये जाएं-बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) में देश विभाजन के बाद 33 प्रतिशत हिंदू थे, अब मात्र 11 प्रतिशत शेष रह गये हैं। पश्चिमी पाकिस्तान में 1947 में 22 प्रतिशत हिंदू रह गये थे जो अब केवल 2.2 शेष रह गये हैं। बलात धर्मांतरण, कन्याओं का अपहरण आदि अनेक कारण हैं जो हिंदू उन्मूलन का आधार बनाये गये हैं। यदि भारत में आकर ये पड़ोसी हिंदू बसना चाहते हैं तो उन्हें भारत सरकार द्वारा नागरिकता का अधिकार प्रदान नही किया जाता और वे नारकीय जीवन जीने के लिए विवश कर दिये जाते हैं। दूसरी ओर बांगलादेश से 5 करोड़ मुस्लिम घुसपैठिये भारत में प्रवेश करके विभिन्न प्रदेशों में रह रहे हैं जिनमें से लाखों की संख्या में वोटर कार्ड तक बनवाने में सफल रहे। वर्तमान सरकार इस संदर्भ में गंभीरता पूर्वक विचार कर सार्थक पहल करे, यह नितांत आवश्यक है।
- पंथ निरपेक्ष भारत में हिन्दुओं की उपेक्षा व मुस्लिमों को विशेष अधिकार व सुविधा के प्रावधान समाप्त किये जायें-भारत सरकार ने 2014 के बजट में मुस्लिम मरदसों को सौ करोड़ रूपये देने की घोषणा की, किंतु संस्कृत पाठशालाओं व गुरूकुलों के लिए कोई राशि नही दी गयी। विभिन्न राज्य सरकारें घोषणा करती हैं कि मुस्लिम युवती के विवाह पर पचास हजार रूपये दिये जाएंगे, परंतु हिन्दू युवती निर्धन परिवार से जुड़ी हो तो भी उसके लिए बजट में कोई स्थान नही है। केन्द्र सरकार ऐसे सभी भेदभाव भरे प्रावधानों पर रोक लगाकर समता पूर्वक योजनाएं संचालित करे तो यह राष्ट्रीय सदभावना के लिए अति उत्तम होगा।
- सिकंदर महान का इतिहास समाप्त कर, चाणक्य व चंद्रगुप्त महान के राष्ट्रीय इतिहास का नव निर्माण करें-यह कितनी विचित्र ऐतिहासिक विडंबना है कि यूनान का सिकंदर भारत पर आक्रमण कर लाखों भारतीयों की हत्या करते हुए डेढ़ वर्ष तक यहां कई क्षेत्रों में युद्घ करता रहा। बाद में पराजित होकर वापिस जाते हुए रास्ते में ही मर गया। उसके बाद उसके सेनापति सैल्यूकस ने फिर से भारी सेना के साथ भारत पर आक्रमण किया जिसे चंद्रगुप्त मौर्य व आचार्य चाणक्य के दिशा निर्देश से संचालित युद्घ में भारी पराजय का सामना करना पड़ा। भारत पर आक्रमण करने वाले लुटेरे सिकंदर को हमारे इतिहास में सिकंदर महान पढ़ाया जाता है जबकि वास्तव में चाणक्य महान/चंद्रगुप्त महान पढ़ाया जाना चाहिए। वर्तमान सरकार इस कलंकित इतिहास को बदलकर नवीन प्रेरणादायी इतिहास का सृजन करे, यह भारत के नवयुवकों के लिए एक महान संदेश होगा।
- शिक्षक भर्ती अभियान में व्यापक सुधार की आवश्यकता-अकेले उत्तर प्रदेश में कक्षा 8 तक के विद्यालयों में सरकार को दो लाख शिक्षक चाहिए, जब कि तीन वर्ष में मात्र 76000 समायोजित किये जा सके हैं। एक विद्यालय में केवल एक शिक्षक वाले प्रसंग भी देश भर में लाखों मिलेंगे। सर्वशिक्षा अभियान 2009 से घोषित किया गया परंतु शिक्षक भर्ती अभियान नही चल सका। बेरोजगार डिग्रीधारी युवक लाखों की संख्या में शिक्षक बनने के लिए आवेदन कर चुके हैं। प्रश्न दिल्ली का हो या किसी अन्य राजा का, सर्वत्र सरकारी तिरस्कार भुगत रहे हैं शिक्षा युवा। वर्तमान में देशभर में बारह लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं। केन्द्र सरकार इस समस्या का समाधान अवश्य करे। क्रमश: