मुकुल व्यास
खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के पर्यावरण की रक्षा के लिए बनाए जाने वाले नियम-कानून अंतरिक्ष पर भी लागू होने चाहिए। अंतरिक्ष के कचरे से पृथ्वी की निम्न कक्षा पर खतरा बढ़ रहा है। वहां मौजूद ऑब्जेक्ट प्रकाश प्रदूषण उत्पन्न करते हैं, जिसकी वजह से पृथ्वी से अंतरिक्ष का प्रेक्षण करने वाले खगोल वैज्ञानिकों को कठिनाई होती है।
एडिनबरा यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में कहा गया है कि पृथ्वी की सतह से करीब 480 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा कर रहे सैटलाइटों की भीड़ से अंतरिक्ष की कीमती पर्यावरणीय प्रणाली को खतरा पैदा हो रहा है। पृथ्वी पर ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए तैनात किए इन सैकड़ों सैटलाइटों की वजह से पृथ्वी की निम्न कक्षा बहुत तंग होती जा रही है। इसके अलावा बार-बार छोड़े जाने वाले रॉकेट भी वायुमंडल को प्रदूषित कर रहे हैं। यह स्टडी अमेरिका की अपीलीय अदालत में चल रहे एक महत्वपूर्ण मामले से जुड़ी है, जिसका फैसला अंतरिक्ष के पर्यावरण की रक्षा के लिए एक नए आंदोलन की शुरुआत कर सकता है।
अमेरिकी अदालत स्पेस लॉन्चिंग की लाइसेंसिंग को पर्यावरण संबंधी अमेरिकी कानून के साथ जोड़ने के मुद्दे पर विचार कर रही है। इस अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि इन मुद्दों से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें पृथ्वी की निम्न कक्षा को पृथ्वी के पर्यावरण का हिस्सा समझा जाए और उसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरणीय संरक्षण के योग्य समझा जाए। स्कॉटिश अध्ययन दल का मानना है कि दुनिया भर के नीति-निर्धारकों को अंतरिक्ष के लिए एक साझा, नैतिक और टिकाऊ दृष्टिकोण अपनाने के लिए मिलकर काम करना होगा।
स्टडी में कहा गया है कि अंतरिक्ष में मौजूद कचरे से न सिर्फ पृथ्वी को खतरा है बल्कि उन सैटलाइटों को भी खतरा है जो इस समय सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं। बड़ी ही तेज स्पीड से घूमने वाले टूटे हुए सैटलाइटों के हिस्से सामान्य सैटलाइटों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा सैटलाइटों से निकलने वाली चमक प्रकाश प्रदूषण पैदा करती है, जिससे स्पेस रिसर्च के कामों में रुकावट आती है। उदाहरण के तौर पर इसका सबसे खराब असर चिली स्थित वेरा रुबिन ऑब्जर्वेटरी पर पड़ेगा जो अंतरिक्ष और समय का दस वर्षीय सर्वेक्षण करना चाहती है।
अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष को नुकसान पहुंचाने वाले पर्यावरणीय प्रभावों के मद्देनजर आर्थिक और सांस्कृतिक लाभों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। शोधकर्ताओं ने कहा कि नीति-निर्धारकों को ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए स्थापित की जाने वाली सैटलाइट चेन के सारे पर्यावरणीय पहलुओं पर विचार करना चाहिए, जिनमें सैटलाइट छोड़ना, उनका संचालन करना और उन्हें कक्षा से हटाना भी शामिल है।
ध्यान रहे कि ईलॉन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी अंतरिक्ष में 13000 सैटलाइट लगाने वाली है। एमेजॉन भी 2025 तक हजारों सैटलाइटों की तैनाती की योजना बना रही है। दूसरे देश भी ऐसी योजनाएं बना रहे हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि अंतरिक्ष में भिड़ंत के करीबी मामलों में आधे से ज्यादा का संबंध स्पेसएक्स के स्टारलिंक सैटलाइटों से है। स्पेसएक्स जैसे सैटलाइट ऑपरेटरों को अंतरिक्ष में किसी दूसरे सैटलाइट या मलबे के टुकड़े से भिड़ंत से बचने के लिए लगातार उपाय करने पड़ते हैं। साउथ हैंपटन यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में कहा गया है कि पृथ्वी की कक्षा में सैकड़ों स्टारलिंक सैटलाइटों की मौजूदगी से खतरनाक भिड़ंतों के आसार बढ़ते जाएंगे।
शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि हर हफ्ते स्टारलिंक सैटलाइटों की दूसरे सैटलाइटों के साथ करीबी भिड़ंत के औसतन 1600 मामले होते हैं। कुछ मामलों में तो दो ऑब्जेक्ट एक दूसरे के ढाई किलोमीटर नजदीक तक आ गए थे। अगर अंतरिक्ष में दो सैटलाइट टकराते हैं तो उससे मलबे का बादल पैदा होगा, जो उसी इलाके में काम कर रहे दूसरे सैटलाइटों के लिए खतरा बन सकता है। इस स्टडी के प्रमुख लेखक एंडी लारेंस ने कहा कि स्पेस साइंस में निरंतर प्रगति के बाद सैटलाइट लॉन्च करने की लागत कम हो रही है। लागत कम होने से सैटलाइटों की संख्या भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि हम कम खर्च पर अनेक सैटलाइट छोड़ सकते हैं और पृथ्वीवासियों के लाभ के लिए उनका उपयोग कर सकते हैं। लेकिन इसकी हमें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
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