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हिन्‍दी का एक अनमोल रत्‍न खो गया

उगता  भारत डॉट काम  के संपादक राकेश  कुमार  आर्य  ने  डॉ. कैलाश वाजपेयी के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि कैलाश वाजपेयी हिन्‍दी जगत  के  एक अनमोल  रत्‍न  थे। वे एक श्रेष्ठ कवि होने के साथ—साथ उच्च कोटि के विद्वान भी थे। उनके आकस्मिक निधन की खबर से उगता भारत परिवार  दु:खी  है। उगता भारत परिवार ईश्वर से उन्हें सदगति प्रदान करने की प्रार्थना करता है।

ज्ञात रहे कि प्रसिद्ध  साहित्यकार डॉ. कैलाश वाजपेयी का गत बुधवार सुबह हृदयाघात से निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी डॉ. रूपा वाजपेयी और पुत्री अनन्या वाजपेयी हैं।

देर रात सीने में दर्द होने पर डॉ. कैलाश वाजपेयी को दक्षिणी दिल्ली के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने संपूर्ण विश्‍व को अलविदा कह दिया।  शाम पांच बजे लोधी कॉलोनी स्थित श्मशान गृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

उगता भारत के संपादक राकेश कुमार आर्य  ने कहा कि हिंदी के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित कवि कैलाश वाजपेयी के निधन से हिंदी कविता को गंभीर क्षति हुई है। वाजपेयी दार्शनिक व्‍यक्तित्‍व के कवि थे। उन्होंने कविता के शिल्प में भी परिवर्तन किया था। उनकी कविताओं के अनुवाद कई भाषाओं में हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कविताएं प्रस्तुत की थीं।

‘हवा में हस्ताक्षर’ पर मिला था साहित्य अकादमी पुरस्कार

डॉ. कैलाश वाजपेयी का जन्म 11 नवंबर 1936 में उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से वाचस्पति की उपाधि हासिल की और कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज में भी उन्होंने अध्यापन किया और 2004 में सेवानिवृत हुए। काव्य संग्रह ‘हवा में हस्ताक्षर’ पर उन्हें 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था। वर्ष 2008 से 2013 तक साहित्य अकादमी की सामान्य परिषद के सदस्य भी रहे। उनकी प्रसिद्ध कृतियां संक्रांत, तीसरा अंधेरा, महास्वप्न का समंदर, सूफीनामा, पृथ्वी का कृष्णपक्ष हैं। उनके निधन से हिन्‍दी जगत ने एक अनमोल रत्‍न को खो दिया है।

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