निर्भय कर्ण
आतंकवाद को रोकने के लिए पूरी दुनिया प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हमेशा प्रतिबद्ध नजर आती है और इसके लिए एक से बढ़कर एक दावा भी किया जाता रहता है। इसके बावजूद आतंकवाद की घटना समय दर समय होती ही रहती है। एशिया की ही बात करें तो भारत विभीत्ष रूप से आतंकवाद का शिकार है और उससे वह उबरने की कोशिश में लगातार लगा हुआ है। इसके लिए भारत अपनी सुरक्षा तंत्र को लगातार सख्त करने के लिए प्रयासरत है लेकिन आतंकवाद की काली छाया इस कदर इसके पीछे पड़ी है कि आतंकवाद रूकने के बजाय लगातार जारी ही है। तमाम आतंकवादी घटनाओं के जांच के दौरान यह निकल कर आता है कि इन घटनाओं में लिप्त आतंकवादी भ्रष्टाचारियों के बल पर नकली कागजात और अन्य आवश्यक सामानों को आसानी से अपने लिए सुलभ करा लेते हैं। हाल ही में इस बात का खुलासा हुआ कि ‘इंडियन मुजाहिद्दीन’ के चार लड़ाकु ‘डॉ. सहनवाज’, ‘मोहम्मद खालिद’, ‘अबु रसिद’ व सलमान शेख का नागरिकता व पासपोर्ट नेपाली था। ये चारों आतंकवादी भारत में 2008 में बनारस, गोरखपुर, फैजाबाद, जयपुर, अहमदाबाद, लखनऊ और दिल्ली में हुए बम विस्फोट श्रृंखला में लिप्त थे और भारत के मोस्ट वान्टेड सूची में शालिम है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नकली दस्तावेज बनाने में ये आतंकवादी कैसे सफल हो जाते हैं।
उपरोक्त चारों की नागरिकता और पासपोर्ट ने नेपाल व भारत के सुरक्षा तंत्र को सकते में डाल दिया है। इस घटना से यह स्पष्ट हो चला कि किस प्रकार गलत कार्यों में संलिप्त व्यक्ति व संगठन किसी भी देश की नागरिकता, पासपोर्ट समेत तमाम जरूरी आवश्यक कागजात पैसे के बल पर बना लेते हैं, और फिर सुनियोजित कार्य को अंजाम दे दिया जाता है। नागरिकता-पासपोर्ट जैसे कागजात किसी व्यक्ति की पहचान होती है जिसके जरिए वह अपनी पहचान को सत्यापित करता है। ऐसे में किसी अन्य शहर/देश का व्यक्ति कार्यालयों में कार्यरत् अधिकारी को तमाम हथकंडों से अपने वश में करके जरूरी कागजात बनाने के लिए तैयार करते हैं। अधिकतर अधिकारी पैसे के लालच में आकर गैरकाूननी कार्य करते हैं। ऐसे अधिकारी काली कमाई से कुबेर बनने की चाहत रखते हैं। लेकिन वह इस बात को भूल जाते हैं कि वह जो गलत कार्य कर रहे हैं, उससे न जाने कितनों की जान-माल का नुकसान होता है। इससे न केवल वे अपने कार्यों के साथ अन्याय करते हैं अपितु अपने गांव/शहर/देश का भी नाम धूमिल करते हैं जो दूसरे देशों के लिए भी काफी घातक साबित होता है।
भारत अकेले आतंकवाद को पछाड़ने के लिए प्रतिबद्ध तो है लेकिन भारत को इसमें तब सफलता मिलेगी जब इसके पड़ोसी देश भी ईमानदारी रूप से सहयोग करेंगे। यह विदित है कि पाकिस्तान परोक्ष व अपरोक्ष से भारत से अलग होने के बाद आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है जिसका सबूत भारत ने बार-बार अंतर्राष्ट्रीय मंच को देता रहा लेकिन हालात जस का तस बना हुआ है। पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को अपने व पड़ोसी देशों के सरजमीं से लगातार संरक्षण देता रहा है। वह नेपाल व बांग्लादेश जैसे विभिन्न देशों से आतंकवाद जैसे घिनौने कार्य को भारत में अंजाम देने के लिए प्रयासरत रहता है। ऐसे में भ्रष्टाचार भी आतंकवाद को फैलाने में काफी अहम भूमिका अदा करती है, जिस पर नकेल कसना न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि आवश्यक भी।
यह सभी जानते हैं कि भ्रष्ट अधिकारियों की संख्या काफी अधिक है जिसमें प्रत्येक की पहचान करना किसी भी सुरक्षा एजेंसी के लिए संभव नहीं होता। लेकिन ऐसी नीति/योजना बनानी होगी जिससे कि इस प्रकार के गलत कार्यों पर अंकुश लगाया जा सके। भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान कर उन्हें तत्काल न केवल सेवामुक्त कर दिया जाना चाहिए बल्कि ऐसी सजा भी हो जिससे कि दूसरे अधिकारी भी उससे सबक ले सके। सुरक्षा एजेंसियों को अपने तंत्र को इस कदर मजबूत बनाने की आवश्यकता है जिससे कि न केवल अपने देश की बल्कि अन्य देशों की संप्रभुता पर भी कोई आंच न आ पाए।