जिनकी रक्तवाह्नियो में सनातन धर्म प्रवाहित होता है उनके समक्ष आयु सीमा का कोई बन्धन नही होता। हम बात कर रहे हैं भदरी रियासत के बड़े महाराज राजा उदय प्रताप सिंह जी की जिनकी आयु लगभग 89 वर्ष की हो चुकी है । इस आयु में ज्यादातर सनातनी अपने पारिवारीक व सामाजिक दायित्वों से दूर होकर तीर्थ स्थानों के दर्शन कर पुण्य अर्जित करना चाहते हैं। परन्तु बड़े महाराज जी सनातन को शसक्त करना एवं सनातनियो को संगठित करना ही सर्वश्रेष्ठ कर्म व पुण्य मानते हैं । यही कारण है आज भारत की तथाकथित बड़ी बड़ी रियासतों के राजा, महाराजा , बड़े बड़े राजनेता , नूपुर शर्मा व सनातन के विरुद्ध क्रियान्वित होते षड्यंत्र पर मौन हैं। उस वक्त भदरी रियासत के महाराजा उदय प्रताप सिंह जी नूपुर शर्मा का समर्थन भी कर रहे हैं ओर सनातनी युवाओं को संगठित रहने की प्रेरणा भी दे रहे हैं । बड़े महाराज जी उन धर्म प्रहरियों में से एक हैं जिन्होंने सनातन को शसक्त करने हेतु असंख्य संघर्ष , त्याग व सहयोग हिन्दू समाज का किया है । बड़े महाराज जी ने विश्व हिन्दू परिषद व राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ को उस काल खंड में मजबूत किया था जब इन संगठनों को धन , बल व संख्या की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी । इसमें कोई संदेह नही है कि आज की युवा पीढ़ी को हिंदुत्व के नाम पर हो रहे आडम्बरो से दूर रहकर , सनातन धर्म को किस तरह शसक्त किया जाए , धर्म की सेवा किस प्रकार की जाए। इसकी प्रेरणा बड़े महाराज राजा उदय प्रताप सिंह जी से प्राप्त करनी चाहिए । जिनका रक्त , सामर्थ्य व पुरुषार्थ पूर्ण रूप से धर्म को समर्पित है । इस प्रकार की ऊर्जा किसी भी व्यक्ति में तभी अर्जित हो सकती है जब मन व मष्तिष्क चिरस्थायी रूप से धर्म को समर्पित हो ।
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