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आज का चिंतन महत्वपूर्ण लेख

भारत में ही होनी चाहिए विश्व शांति केंद्र की स्थापना

रचना श्रीवास्तव, अमेरीका

शनिवार जून ४ ,२०२२ को कैलिफ़ोर्निया ,अमेरिका के जैन सेंटर ऑफ़ साउदर्न (southern ) कैलिफोर्निया (JCSC )के साथ मिल कर ‘फेडरेशन ऑफ़ जैन एसोसिएशन इन नार्थ अमेरिका (JAINA )’ने भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और महावीर दर्शन पर शान्ति और संघर्ष पर संवाद का आयोजन ,अहिन्सा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य लोकेश मुनि जी ,आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक पूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी तथा सिख धर्म के दूत (अम्बेस्डर )भाई साहब श्री सतपाल सिंह जी खालसा जी की दिव्य उपस्थिति में किया गया। इस कार्यक्रम में स्वामी नारायण मंदिर से स्वामी श्री दिव्यचरण जी और स्वामी श्री अखण्ड आनन्द जी भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम का प्रारम्भ जेएससीएससी ( JCSC), के उपाध्यक्ष श्री समीर शाह ने किया। उन्होंने मंच पर अंजल जैन को आमंत्रित किया जिन्होंने अपने नृत्य और गायन से सभी का मन मोह लिया। इसके बाद मंच पर आये जेएससीएससी ( JCSC) के अध्यक्ष श्री योगेश शाह जी ने सभा में उपस्थित सभी पदाधिकारिओं और अतिथियों का स्वागत किया और वहाँ उपस्थित होने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। नितिन शाह जी ने जैन सेंटर के बारे में बताया कि १९९१ से अभी तक लगातार एक रविवार छोड़ के दूसरे रविवार को भाषा और धर्म की कक्षाएँ चलती हैं जिसमें करीब ४५० बच्चे भाग लेते हैं और यहाँ जैनियों की किताबों का बहुत बड़ा पुस्तकालय है, भारत के बाहर कहीं भी इससे बड़ा पुस्तकालय नहीं है।आपने आगे बताया कि कोविड के समय JCSC ने सभी जगह सहायता पहुंचाई थी। आपने बताया कि यहाँ युवा जैन असोशिएशन भी है।

तत्पश्चात जेएआईएनए (JAINA ) के भूतपूर्व अध्यक्ष श्री महेश जी मंच पर आये आपने बहुत ही आदर और सम्मान के साथ अभिनेता श्री विवेक ओबेरॉय जी को बहुत ही उत्तम परिचय के साथ मंच पर आमंत्रित किया। श्री विवेक आनन्द ओबेरॉय जी ने मंच पर आते ही कहा कि भारत में दुनिया का शांति केंद्र (वर्ल्ड पीस सेंटर )बनने जा रहा है ये बहुत सौभाग्य की बात है। आपने सेवा के महत्व को भी बताया। आपने आगे कहा कि ‘दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं एक जो सहायता कर सकते हैं और एक वो जिनको सहायता की आवश्यकता होती है। ‘इसके बाद मंच पर प्रार्थना के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया गया।

इस कार्यक्रम में शांति पर बहुत ही सारगर्भित वार्ता हुई। जिसका संचालन श्री विवेक आनन्द जी ने किया। मंच पर उपस्थित सभी महान विभूतियों आचार्य लोकेश मुनिजी ,पूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी तथा भाई साहब श्री सतपाल सिंह जी खालसा ने विवेकानन्द जी के प्रश्नो का विस्तार से उत्तर दिया। आज दुनिया जब अशान्ति से गुजर रही है ऐसे में इस तरह को संवाद आपको उम्मीद और सुकून प्रदान करते हैं।

श्री विवेक आनन्द जी ने जब श्री श्री रविशंकर जी से पूछा कि आज का युवा अहिंसा और असहमति विचारों से बहुत दुखी और परेशान है। तो कृपा करके बताइये कि नियंत्रित और अनियंत्रित संघर्षों और झगड़ों से कैसे निपटा जाय, तो गुरुदेव जी ने कहा कि समाज मैं अनादि काल से संघर्ष रहा है.इतिहास के अनुसार २३८ साल ही ऐसा रहा है जहाँ कोई संघर्ष नहीं था। लेकिन इस संघर्ष को कैसे मिटाया जा सकता है। इसका कार्य आचार्य लोकेश जी कर रहे हैं। जैन धर्म ने दो बातें कहीं हैं स्यातवाद और अहिंसा स्यातवाद का मतलब सब सम्भव है ,ये भी हो सकता है वो भी हो सकता है तथा अहिंसा तो सभी जानते हैं। अहिंसा के बैगैर कहीं शांति और संतोष नहीं है। इन दोनों बातों का पालन करके आप सभी समस्याओं से निकल सकते हैं।

श्री विवेक आनन्द जी ने जब पूछा कि शान्ति का सिख धर्म में क्या मतलब है तो भाई साहब सतपाल सिंह खालसा जी ने कहा की सबसे पहले आप आन्तरिक शान्ति के ऊपर ध्यान दें ,जो ब्रह्माण्ड में है वही आपके भीतर है आपको बस खोजने की आव्यशकता है। आपको नौ ग्रहों की खुशियां मिल जाएँगी यदि आप अपने भीतर देखिएगा आपने आगे कहा कि मनुष्य होने और मनुष्य में मनुष्यता होने में बहुत अन्तर है। आप मनुष्य प्रजाति के हो सकते हैं पर दयालु मनुष्य बहुत कम होते हैं।
उक्रेन -रूस युद्ध पर बात करते हुए आचार्य लोकेश मुनि जी ने कहा कि दुनिया में कोई भी समस्या ऐसी नहीं है जिसको बैठ कर बात कर के सुलझाया नहीं जा सकता। हिन्सा प्रति हिन्सा को जन्म देती है। अब आप बात करने जा रहे हैं यही कार्य पहले किया होता तो इतना खून खराबा नहीं होता। गन हिंसा पर बोलते हुए आपने कहा कि पहले हमको देखना होगा की इसका कारण क्या हमको इस समस्या की जड़ों तक जाना होगा मेरे विचार से छोटी कक्षाओं से ही शान्ति शिक्षा ,मानव मूल्यों की शिक्षा देना प्रारम्भ करना होगा।

जैन धर्म और सिख धर्म के बीच एक रिश्ता है इसके बारे में बोलते हुए आचार्य लोकेश मुनि जी ने कहा कि जब वज़ीर खान ने माता गुजरी और दोनों साहिबज़ादों का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया तो तो दिवान टोडरमल जी ने वज़ीर खान से माता गुजरी और दोनों साहिबज़ादों का अंतिम संस्कार करने की अनुमति मांगी। तो वज़ीर खान ने शर्त रखी कि वह जिस जगह अंतिम संस्कार करना चाहता है उसी जगह पर सोने की मोहरें बिछा दे। इसको सुन कर टोडर मल राज़ी हो गया और सोने की मोहरें बिछा कर जमीन खरीद ली ,तब माता गुजरी और दोनों साहिबज़ादों सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया। आचार्य लोकेश मुनि जी ने कहा कि ऐसा है हमारा रिश्ता।
सिटी ऑफ़ आर्टीसिया के काउंसिल मेम्बर श्री अली सज़्ज़ाद जी और सेरिटोस के श्री काउंसिल मेम्बर नरेश सोलंकी ने सभी गुरुओं को सम्मानित किया।

इस कार्यक्रम में अन्य बहुत सी जानी मानी हस्तियों ने अपनी उपस्थिति से शोभा बधाई इनमें शामिल थे ,श्री अजय भुटोरिआ (एशियन अमेरिकन पैसिफिक आइलैंडर एंड नेटिव हवाइयन कमीशनर के किये राष्टपति श्री बाइडन के सलाहकार हैं )डॉ अनिल शाह ,डॉ भरत पटेल ,पी इस पी ए के नेशनल अध्यक्ष श्री अनिल पारिख ,कनक सिंह जाला ,श्री मुकेश मोदी इत्यादि। इस कार्यक्रम में करीब ६५० लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के अन्त में योगेश शाह जी ने सभी का इस कार्यक्रम मैं आने के लिए और शान्ति का समर्थन करने के और उसकी दिशा मैं एक और कदम बढ़ने के लिए धन्यवाद किया। आपने कहा कि कार्यक्रम सफल नहीं होता यदि निः स्वार्थभाव से हमारे स्वयंसेवकों ने दिन रात मेहनत नहीं की होती। आपने सभी स्वयंसेवकों का हृदय से आभार व्यक्त किया। इसके बाद सभी ने बहुत ही स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लिया।

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