पटरी से उतरी भारत-पाक गाड़ी

lakhviपटरी से उतरी भारत-पाक गाड़ी*मुंबई हमले के सरगना आतंकी जकीउररहमान लखवी की जेल से की गई रिहाई ने सारी दुनिया में पाकिस्तान की इज्ज़त को पैंदे में बिठा दिया है। हालांकि पाकिस्तानी अदालत ने अभी तक कोई फैसला नहीं दिया है । लखवी और उसके साथियों को अदालत ने अभी बरी नहीं किया है । उन्हें अभी सिर्फ जमानत पर छोड़ा गया है लेकिन कुछ दिन पहले जब लखवी को जमानत पर छोड़ा गया था तो पाकिस्तान की सरकार ने किसी और बहाने से उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया था। इसीलिए कर लिया था कि उसके बाहर आने पर सारी दुनिया में पाकिस्तान की भर्त्सना होती, जैसी कि अभी हो रही है। भारत के डेढ़ सौ से ज्यादा बेक़सूर लोग उस आतंकवादी हमले में मारे गए थे । इसलिए भारत का उबल पड़ना तो स्वाभाविक ही है लेकिन इस्राइल के कुछ यहूदी, अमेरिका के भी कुछ नागरिक और अन्य विदेशी लोग भी उस हमले के शिकार बने थे । इसीलिए अमेरिका और इस्राइल की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने भी गहरा दुःख जताया है । संयुक्त राष्ट्र संघ को भी अवश्य अफ़सोस  होगा, क्यों कि उसने भी इस आतंकवादी संगठन जमाते-दावा के विरुद्ध एक संगीन रपट तैयार की है।

लखवी को जेल में रखें या बाहर, कोई खास फर्क नहीं है । वह जेल में रहकर भी पूरी तरह आजाद रहता है । पाकिस्तानी अखबारों के अनुसार उसे जेल में न केवल सारी सुविधाएँ प्राप्त है बल्कि वह एक संतान का पिता भी बन गया है । लखवी और उसके साथियों ने मुंबई में जो कुछ किया, क्या वह पाकिस्तानी फौज और आई.एस.आई. की मदद के बिना हो सकता था ? उसे अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण जेल में बंद तो किया गया है लेकिन सरकारी वकील इतने ढीले-ढाले कर दिए गए हैं कि इन आतंकवादियों को सजा मिलना बहुत कठिन है । पाकिस्तान के राजनेताओं में इतनी हिम्मत कहाँ कि वे अपने देश की ‘असली सरकार’ पर लगाम लगा सकें। फौज सिर्फ उन्ही आतंकवादियों के खिलाफ हैं, जो पाकिस्तान-विरोधी हैं । जो आतंकवादी भारत और अफगानिस्तान को तंग करते हैं, वे तो उसी के बनाए हुए हैं । अपने हाथ के खड़े किए हुए पुतलों को फौज और आई. एस. आई. कैसे ढहा सकती है ? लेकिन इस दुविधा ने पाकिस्तान और उसके नेताओं की इज्ज़त को धूल में मिला दिया है । इधर कुछ दिनों से पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ी है, खास तौर पर यमन में सऊदी अरब को मोहरा न बनने के कारण लेकिन मुंबई हमले के दोषियों ने भारत-पाक संबंधों की गाड़ी को फिर पटरी से नीचे उतार दिया है । पाक सरकार थोड़ी हिम्मत करे तो गाड़ी फिर पटरी पर आ सकती है।

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