आप किन-किन की नाक काटेंगे? किन-किन जातियों का इस्तेमाल वोट बैंक की तरह नहीं होता? भारत का कौन सा ऐसा निर्वाचन-क्षेत्र है, जिसमें हजारों लाखों वोट जाति, मजहब, क्षेत्रीयता आदि के नाम पर आँख मींचकर नहीं डाले जाते हैं? इसी दोष के कारण आपको देश के ज्यादातर मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना पड़ेगा। क्या आप इसके लिए तैयार हैं? यदि नहीं तो सिर्फ मुसलमानों पर आप इतने मेहरबान क्यों हो रहे हैं? शायद इसलिए कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने भी ऐसी ही मांग उठाई थी । मुसलमानों को मताधिकार से वंचित करने की मांग असंवैधानिक तो है ही, वह यह भी बताती है कि आप कायर हैं। आपने अपनी हार मान ली है। आपने वोट बैंक की राजनीति के आगे घुटने टेक दिए है। आपको अपने आप पर विश्वास नहीं है। क्या आप ऐसी राजनीति नहीं कर सकते हैं कि जिससे हमारे मुसलमान दलित, पिछड़े, आदिवासी और साधारणजन भी केवल गुण-दोष के आधार पर ही वोट दें? भेड़ चाल न चलें। थोक में वोट न डालें। अपने विवेक का प्रयोग करें। किसी खास तबके के लोगों को मताधिकार से वंचित करने की बात वही कर सकते हैं, जिन्होंने अपना विवेक दरी के नीचे सरका दिया है।