अपने घर बचाने के लिये उठाया ये कदम
समाजवादी सरकार के ताकतवर नेता आजम खान के गढ़ रामपुर में अपना घर बचाने के लिए लोगों ने अपने धर्म से समझाैता कर लिया। करीब 800 से ज्यादा वाल्मीकियों ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया है। एक हफ्ते पहले ही इन परिवारों ने कहा था कि इनके पास अपने घर बचाने के लिए यह अंतिम रास्ता है। इस काम के लिए इन्होंने आंबेडकर जयंती के मौके को चुना।
इन लोगों के घर रामपुर के तोपखाना इलाके में बन रहे एक शॉपिंग मॉल तक आने वाली सड़क चौड़ी करने के लिए ढहाए जाने हैं। नगर निगम अधिकारियों ने कुछ दिनों पहले वाल्मीकि बस्ती के कुछ लोगों के घरों को गिराने के लिए उन पर लाल निशान लगाया था। इन लोगों का कहना था कि मुस्लिमों की बस्तियों में इससे संकरी सड़कें होती हैं, लेकिन वहां कभी अतिक्रमण नहीं हटाया जाता। बाल्मीकि समाज के लोगों ने सोचा कि इस्लाम धर्म कबूल करने से उनके घर बचने की संभावना है क्योंकि इस्लाम अपनाने से आजमखान की रहमोकरम की वारिश हो जायेगी।
लोगों का कहना है कि उनके मकानों पर लाल निशान नगर पालिका के ड्राफ्ट्समैन सिब्ते नबी की मौजूदगी में लगाए गए। इनका यह भी कहना है कि नबी एक मंत्री का करीबी है। उसने यह भी कहा था कि इस्लाम धर्म अपनाने पर किसी का भी मकान नहीं गिराया जाएगा। ये परिवार बीते चार दिन से मकान बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने नरमी नहीं दिखाई। मंगलवार को मौके पर पहुंचे अपर जिला अधिकारी ने लिखित आश्वासन देने से मना कर दिया। इसके बाद इन लोगों ने घर बचाने के लिए इस्लाम कबूल करने का ऐलान कर दिया, लेकिन इन्हें कलमा पढ़ाने के लिए कोई मौलाना राजी नहीं हुआ।
पूरी बस्ती को पुलिस ने घेर लिया है। किसी भी मौलाना को अंदर नहीं आने दिया जा रहा है। लिहाजा सभी ने टोपी पहनकर सांकेतिक तौर पर इस्लाम ग्रहण कर लिया है। मौलाना फुरकान रजा का कहना था, ‘लालच के लिए इस्लाम अपनाना गुनाह है। ये लोग बस्ती को बचाने के लिए इस्लाम कबूल करना चाहते थे, इसलिए मैंने उनका आग्रह स्वीकार नहीं किया।’
वहीं, रामपुर के डीएम के अनुसार ‘इन लोगों को यहां से हटाकर कांशीराम आवास योजना में घर दिया जा रहा है। ये लोग कोर्ट से मुकदमा हार गए हैं और अब बस्ती खाली करवाई जाएगी।’ हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने इस तरह इस्लाम धर्म स्वीकारना गलत है। बाल्मीकि समाज हिन्दू धर्म के बहुत बड़े हिस्सा है। इस समाज के बिना इतिहास अधूरा है। जल्द ही हिन्दू महासभा इस पर एक बैठक कर आगे की कार्यवाही के लिये विचार करेगी।