कश्मीर घाटी में पाकिस्तान के इशारे पर आतंक और अलगाव फैलाने का जो खेल लम्बे समय से खेला जा रहा है, उसकी परिणति स्वरूप पैदा हुए अलगाववादी मसरत आलम जेल से रिहा होने के बाद फिर उसी राह का अनुसरण करने को तैयार हो गए थे, जिसके कारण उसको जेल जाना पड़ा था। कश्मीर के त्राल में बिगड़े हालात इस सत्य को अभी भी उजागर कर रहे हैं। आज मसरत आलम फिर से जेल जा चुके हैं, लेकिन क्या मसरत आलम अपने किए को गुनाह मानते हैं? कदाचित तो ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता, क्योंकि जितने समय वह जेल से बाहर रहा, उस समय में भी उसने वही राष्ट्रद्रोही खेल खेला जिजसे भारतीयता कलंकित होती है।
मसरत आलम को चाहे गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन उसके समर्थक पथराव कर 2008 जैसी स्थिति निर्मित करना चाहते हैं, उप मुख्यमंत्री नरेश सिंह ने कहा है कि मसरत आलम जैसे तत्व फिर से 2008 जैसी पथराव की स्थिति निर्मित करना चाहते हैं, उस समय पथराव में करीब डेढ़ सौ सुरक्षा जवान और अन्य नागरिक मारे गए थे। पाकिस्तान में हाफीज सईद जिस पर 26/11 के मुंबई हमले की साजिश रचने का आरोप है। अमेरिका ने भी उस पर इनाम की घोषणा की है, इससे जाहिर हो गया है कि मसरत आलम और उसके समर्थक पाकिस्तान के द्वारा रची साजिश के तहत कश्मीर को हिंसा की आग में झोंकना चाहते हंै। इससे यह जाहिर हो गया है कि पाकिस्तान यदि कश्मीर को समस्या मानता है, तब भी वह चर्चा की बजाय हिंसा से इस मामले को हल करने की साजिश कर दबाव बनाना चाहते हैं। यदि पुरानी हिंसक घटनाओं के विस्तार में नहीं जाया जाए, लेकिन चार सीधी लड़ाई का संदर्भ दिया जाए तो पाकिस्तान शक्ति के आधार पर भारत को प्रभावित नहीं कर सकता। यदि उसने भारत में हिंसा करने की कोशिश की तो पाकिस्तान का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है, उसे ध्यान रखना होगा कि 1971 में भारत के साथ टकराने का दुष्परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान का एक भाग बांग्लादेश के नाम से स्थापित हो गया। हाफिज सईद जो इस्लाम के नाम पर भारत के खिलाफ जहर उगलता है, उसे ध्यान रखना होगा कि पाकिस्तान से अधिक मुस्लिम भारत में है, पाकिस्तान में सिया मस्जिदों पर हमले होते हैं। इस्लामी स्टेट के आतंकी इराक में सिया मुस्लिमों को मार रहे हैं, उनकी मस्जिदों पर बमों की बारिश करते हैं। इसी प्रकार पाकिस्तान में तालिबानी स्कूल में बच्चों पर हमला कर उनकी हत्या करते हैं, सिया मुस्लिमों की मस्जिदों पर हमला कर नवाजियों का खून बहाते हैं। ये बच्चे और अन्य नागरिक मुस्लिम है। सीरिया सेना और आईएस के बीच मुठभेड़ में मुस्लिम ही मारे जा रहे हैं। यदि सुरक्षा की दृष्टि से विचार करें तो सबसे अधिक सुरक्षित और खुशहाल भारत के मुस्लिम हंै। बाकी सभी मुस्लिम देशों में मारकाट हो रही है।
मुसलमानों या मुगलों का इतिहास बताता है कि उन्होंने राजपाट को हथियाने के लिए अपने अगे संबंधियों तक का गला घोंट दिया था। शक्ति का दुरुपयोग करके उन्होंने वे सब असामाजिक कार्य किए जिन्हें समाज प्रथम दृष्टया अनुचित मानता है। प्रारंभ से लेकर आज तक मुसलमान आज तक एक दूसरे को विश्वास के भाव से नहीं देखते। भारत में जितने भी मुसलमान हैं वे सब खुशनसीब हैं कि उन्हें किसी मुस्लिम राष्ट्र में जन्म नहीं लेना पड़ा। वर्तमान में भारत में भी पाकिस्तान या अन्य मुस्लिम राष्ट्रों के नेटवर्क का खुलासा होता दिखाई देता है। भारत के कुछ मुसलमान आतंकवाद जैसे कार्य का समर्थन करके पूरे समाज पर सवालिया निशान लगा रहे हैं, जबकि भोले भाले गरीब मुसलमानों का इससे कोई वास्ता नहीं है। उन्हें मजबूरी में अपने आकाओं की बात माननी पड़ती है।
भारत का मुसलमान इस सत्य को पूरी तरह से जानता है कि हम जितना हिन्दुओं के बीच रहकर सुखी हैं, उतना किसी भी मुस्लिम राष्ट्र में नहीं रह सकते। आज मुसलमान वर्ग सिया और सुन्नी वर्ग में विभाजित है, इतना ही नहीं पाकिस्तान के हालात तो और भी बदतर हैं, वहां भारत के मुसलमानों को कुछ भी नहीं समझा जाता। हमारे देश में मुसलमानों के नाम पर जिस प्रकार की राजनीति की जा रही है वह केवल मुसलमान वर्ग को कमजोर करने की एक साजिश भर है। इसके कारण जहां मुस्लिम राजनेता अपनी राजनीति चलाने का खेल खेल रहे हैं, वही कुछ राजनीतिक दल भी उन्हें तुष्ट करने की राजनीति कर रहे हैं।
इसलिए पाकिस्तान के हाफिज सईद जैसे उग्रवादी मुस्लिमों को यह ध्यान रखना चाहिए कि मुस्लिमों के नाम पर दुनिया के मुस्लिम एक जुट नहीं हो सकता। हर देश के साथ वहां के मुस्लिमों की राष्ट्रीयता है, वे उसी देश के प्रति वफादार है। इसलिए भारत के मुस्लिम कश्मीर के बारे में पाकिस्तान के साथ खड़े नहीं हो सकते। इस बारे में चाहे हाफिज सईद और मसरत आलम कश्मीर के कुछ लोगों को भड़काने में सफल हो जाएं, चाहे पथराव में अपने ही लोगों के सिर फोड़े जाए। मसरत की गिरफ्तारी के बाद पथराव में युवक मारा जाता है, वह भी कश्मीरी था। मुस्लिमों का खून बहाने का खेल बंद होना चाहिए। मुस्लिमों एवं पाकिस्तान के नाम पर साजिश हुई तो बर्बाद होते पाकिस्तान को खामियाजा भुगतना पड़ेगा। यदि सीमा को अशांत करने की कोशिश की गई तो भारत को शक्ति की भाषा का उत्तर देना आता है। इसका जहरीला स्वाद पाकिस्तान चख चुका है।