*मृत्यु नास्तिक को भी आस्तिक बना देती है*
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यह नीचे चित्र में महान फ्रांसीसी गणितज्ञ खगोल शास्त्री लाप्लास हैं, उच्च गणित कैलकुलस, cosmology का अध्ययन करने वाला विद्यार्थी शायद ही कोई इनके नाम से परिचित ना हो.. ब्रह्मांड में ब्लैक होल के अस्तित्व का सिद्धांत सबसे पहले इन्होंने ही दिया था |
फ्रांस के महान योद्धा नेपोलियन बोनापार्ट के समा कालीन थे उनके घनिष्ठ मित्र थे लाप्लास, लाप्लास ईश्वर की सत्ता को नहीं मानते थे पूरी तरह नास्तिक थे, ब्रह्मांड की उत्पत्ति को लेकर उन्होंने “नेबुलर थ्योरी “नामक पुस्तक लिखी जिसमें सूर्य तारे चांद पृथ्वी की उत्पत्ति का विवरण दिया|
पुस्तक लिखने के बाद उन्होंने एक प्रति नेपोलियन बोनापार्ट को पढ़ने के लिए भेजी… नेपोलियन बोनापार्ट ने जो पूरी तरह आस्तिक थे जब लाप्लास से उनकी भेंट हुई तो उन्होंने कहा तुमने इतनी बड़ी पुस्तक लिख डाली तुमने पुस्तक में जगत के रचयिता ईश्वर का जिक्र क्यों नहीं किया|
लाप्लास ने नास्तिकता पूर्ण उत्तर देते हुए कहा मेरे खोजे गए गणित से ही मेरा काम चल गया, मुझे ईश्वर की कल्पना करने की आवश्यकता ही प्रतीत नहीं हुई |
नेपोलियन उसका उत्तर सुनकर चुप हो गया|
इस घटना के कुछ वर्ष पश्चात लाप्लास गंभीर रूप से बीमार पड़ा लाप्लास के मृत्यु का समय उपस्थित हुआ उसको निश्चय हो गया कि अब कुछ ही क्षण में मृत्यु आकर उसकी आत्मा पर कब्जा करना चाहती है वह इतना भयभीत हो गया कि भय की अधिकता के कारण उसे कुछ भी सुध बुध नहीं रही और अनायास ही उसके मुख से यह शब्द निकल पड़े…|
“God love is greater than thousands of my matematice”
अर्थात ईश्वर का प्रेम मेरी हजारों गणित से अच्छा है|
यह ईश्वर का प्रेम उस समय उसे याद आया जब उसने समझ लिया कि अब मृत्यु गला घोटना चाहती है |
जब लाप्लास जैसा विद्वान ईश्वर की सत्ता को नमन करते हुए संसार से विदा लेता है तो फिर हमारी और आपकी तो हैसियत ही क्या है?
साभार स्रोत— महात्मा नारायण स्वामी जी रचित लघु पुस्तिका “मृत्यु रहस्य” से उद्धृत I
आर्य सागर खारी ✍✍✍