वेदों से लिए गए शांति-करणम्, स्वस्ति-वाचनम् तथा महा-मृत्युंजय मंत्रों से यज्ञ में विशेष आहूतियां दिलवाते हुए वैदिक विदुषी श्रीमती विमलेश आर्या ने कहा कि प्रभु उन सभी पुन्यात्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान दें जो शरीर छोड चुकी हैं। आपदा की इस घडी में जो सामर्थ्यवान लोग आर्थिक व शारीरिक रूप से सह-भागी हो सकें वे तो त्वरित पीडितों की सहायता हेतु सक्रिय हों ही किन्तु, अन्य सभी लोग भी कम से कम दैनिक यज्ञ, सत्संग, प्रार्थना और विभिन्न प्रकार की आध्यात्मिक ऊर्जा के माध्यम से भी प्रभावितों की बडी मदद आसानी से घर बैठे ही कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे दैनिक ‘घर-घर यज्ञ, हर-घर यज्ञ’ की सनातन परम्परा यदि आज भी निरन्तर चलती होती तो शायद ये दिन हमें नहीं देखने पडते।
कार्यक्रम में आर्य समाज संत नगर के संरक्षक श्री जगदीश गांधी, कोषाध्यक्ष श्री वीरेन्द्र सूद, वैदिक विद्वान श्री राजू वैज्ञानिक, श्रीमती चंद्र कान्ता, चन्द्र ज्योति व प्रतिभा रानी, वालिका कु विदुषी, अंजलि, ओजस्वी, श्रुति, वालक सम्राट, शिवम तथा सागर सहित विहिप व आर्य समाज के अनेक कार्यकर्ताओं तथा स्थानीय जनता ने सह भागिता कर भूकम्प पीडितों की शान्ति तथा उसके भीषण प्रभाव को कम करने हेतु प्रभु से कामना की और हर सम्भव मदद का हाथ बढाया।