अशोक मधुप
केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्त होने वालों की परेशानी को समझा। यह माना कि सेवानिवृत्ति के बाद उनमें निराशा न आए, जीवन यापन में परेशानी न हो। इसके लिए उसने देश के उद्योगपतियों के बात की। कहा कि वह सेवानिवृत्त होने वालों के अनुभव का लाभ उठाएं।
केंद्र सरकार ने देश के बुजुर्ग होते लोगों के लिए उद्योगों में रोजगार देने की दिशा में अच्छा काम किया है। इससे सेवानिवृत्ति के बाद या फिर इस उम्र को पार कर चुके देश के बुजुर्गों के हौसले को अब नई ताकत मिलेगी। ढलती उम्र में उनके व्यस्त रहने और अतिरिक्त आय होने से जीवन जीना सरल होगा। जरूरी यह भी है कि उम्र के अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ते इन लोगों के लिए सरल और निःशुल्क उपचार की भी व्यवस्था हो।
प्रायः सेवानिवृत्त होने वाला अपने को बेकार समझने लगता है। कई व्यक्ति सेवानिवृत्त होने के बाद डिप्रेशन में आ जाते हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि उन्होंने नौकरी को रिटायर किया है। वे रिटायर नहीं हुए। नौकरी के लिए एक आयु सीमा निर्धारित है। उस सीमा को पूरी करने पर सबको आने वाले युवाओं को नई पीढ़ी को मार्ग देना होता है। अब उनके लिए जीवन के और बहुत रास्ते हैं। सेवा के बहुत सारे क्षेत्र मौजूद हैं।
केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्त होने वालों की परेशानी को समझा। यह माना कि सेवानिवृत्ति के बाद उनमें निराशा न आए, जीवन यापन में परेशानी न हो। इसके लिए उसने देश के उद्योगपतियों के बात की। कहा कि वह सेवानिवृत्त होने वालों के अनुभव का लाभ उठाएं। उन्हें अपने यहां सेवा में लें। उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएं। केंद्र सरकार की पहल के बाद दो हजार से ज्यादा उद्योगों ने बुजुर्गों को नौकरी देने के लिए ऑनलाइन रोजगार पोर्टल ‘सेक्रेड’ (सीनियर एबल सिटीजन्स री-एम्प्लायमेंट इन डिगनिटी) बनाया। इसका रजिस्ट्रेशन भी कराया है। बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग भी आगे आए हैं जो अपने अनुभव के आधार पर नौकरी या फिर ऐसा कोई सम्मानजनक काम चाहते हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक देश में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह पूरी योजना शुरू की गई है। इन उद्योगों की ओर से दो सौ से ज्यादा नौकरियां भी निकाल दी गई हैं। 4100 से ज्यादा बुजुर्गों ने इस पोर्टल पर जाकर नौकरियों के लिए रजिस्ट्रेशन भी कराया है। मंत्रालय की मानना है कि अभी तो शुरुआत है, जल्द ही और भी उद्योग इस ओर पहल करेंगे। उद्योग वैसे भी अनुभवी लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देते हैं। बुजुर्गों का लंबा अनुभव उद्योगों और देश के विकास दोनों को ही गति देगा। सेवानिवृत्त व्यक्ति भी इस कार्य को वरदान मान पूरी क्षमता से कार्य करेंगे।
केंद्र का यह बहुत अच्छा कार्य है किंतु इस बढ़ती उम्र में सीनियर सिटीजन के सामने बड़ी समस्या उपचार की आती है। उनकी उम्र देखते हुए मेडिक्लेम करने वाली कुछ कंपनी उनका बीमा करना गंवारा नहीं करती। करती हैं तो बहुत मोटा प्रीमियम लेती हैं। बाद में इलाज में व्यय हुई राशि के भुगतान के लिए उन्हें तरह−तरह से परेशान करती हैं। उपचार में ज्यादा व्यय होता है। इन्होंने प्रत्येक बीमारी का अपने आप पैकेज निर्धारित कर लिया। यह पैकेज वास्तविक खर्च से बहुत कम होता है। ऐसे में उपचार पर हुआ अतिरिक्त व्यय बीमार को देना होता है। कोरोना काल के बाद तो स्वास्थ्य बीमा करने वाली कंपनियों ने अपनी प्रीमियम राशि में चार गुना तक वृद्धि कर दी। सेवानिवृत्ति के बाद जहां उनकी आय कम हो जाती है, वहीं दवा का खर्च बढ़ जाता है। गंभीर बीमारी हो जाने पर तो संकट और भी बढ़ जाता है। इन पर हो रहे मोटे व्यय को देख इनके बच्चे भी कतराने लगते हैं।
ऐसे में जरूरी है कि सरकार इन सीनियर सिटीजन के सस्ते इलाज की व्यवस्था करे। 70 से अधिक आयु के जरूरतमंद सीनियर सिटीजन को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में लाकर दस लाख तक के उनके निःशुल्क उपचार की व्यवस्था हो सकती है। जो जन आरोग्य योजना में नहीं आते उनके लिए कम प्रीमियम पर स्वास्थ्य बीमा किया जाए। इसके लिए सरकार सीनियर सिटीजन के हित के लिए उनके प्रीमियम की राशि में अपना भी योगदान कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो इनके जीवन के अंतिम पड़ाव का समय आराम और सरलता से बीत जाएगा।