नोट :- यह अधिवक्ता आयुक्त रिपोर्ट ‘ उगता भारत’ को श्री हरिशंकर सिंह एडवोकेट द्वारा प्राप्त हुई है । जो कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सम्मानित सदस्य हैं और पूर्व में अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त श्री सिंह उगता भारत समाचार पत्र के विधिक संरक्षक भी हैं और वह बनारस में ही विधि व्यवसाय भी करते हैं। उन्होंने यह रिपोर्ट हमें उपलब्ध कराई इसके लिए योगिता भारत समाचार पत्र परिवार उनका आभार व्यक्त करता है हम इन्हें उन्हीं के सौजन्य से यहां प्रकाशित कर रहे हैं। – डॉ राकेश कुमार आर्य
न्यायालय सिविल जज, सीनियर डिवीजन, वाराणसी
वाद संख्या 693 सन् – 2021
श्रीमती राखी सिंह व अन्य ……………वादिनीगण।
बनाम
उत्तर प्रदेश सरकार वगैरह………. प्रतिवादीगण।
दिनांक 14.05.2022
कमीशन रिपोर्ट
अधोहस्ताक्षरकर्ता को वर्तमान मुकदमा में मा० न्यायालय द्वारा मा० न्यायालय के आदेश दिनांक 12.05.2022 के द्वारा विशेष अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया गया है एवं उसी दिन मा० न्यायालय से रिट प्राप्त करके कमीशन की कार्यवाही दिनाक 14.05.2022 को प्रातः 08 बजे से शुरू करने हेतु वादिनीगण के अधिवक्तागण एवं प्रतिवादीगण के अधिवक्तागण को सूचित किया गया और कमीशन की कार्यवाही हेतु अधोहस्ताक्षरकर्ता मौके पर दिनांक 14.05.2022 को प्रातः 08 बजे पहुंचा, जहॉ वादिनीगण और वादिनीगण के अधिवक्तागण एवं प्रतिवादीगण के अधिवक्तागण उपस्थित मिले। कमीशन की कार्यवाही अधोहस्ताक्षरकर्ता ने दिनांक 14.05.2022 को सुबह 08 बजे प्रारंभ किया गया और ज्ञानवापी परिसर के विवादित स्थल को वादिनीगण और प्रतिवादीगण के अधिवक्तागण ने शिनाख्त की।
विवादित परिसर में घुसकर मुकदमे के पक्षकारगण के सामने और फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराते हुए लोहे की करीब 20 फीट ऊंची पाईप की लगी बाड में करीब 03 फीट प्रवेश कर के अंदर बाई तरफ घूमने पर 10 फीट आगे दाहिने तरफ तहखाने का दरवाजा था, जिसे वादी पक्ष व प्रतिवादी पक्ष की उपस्थिति में ताला श्री एजाज अहमद जो अपने को इन्तिजामिया कमेटी का मुंशी बताया, उनके द्वारा समय 8:16 पर तहखाने का दरवाजा खोला गया। दरवाजे में भूनासी लगा था, लेकिन भूनासी सही न होने के कारण चैन से हैंण्डल मे लगाकर ताला लगाया गया था। दरवाजे आधे खुले थे। उक्त संपूर्ण कार्यवाही की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई गई। ताला खोलने के बाद विशेष कमिश्नर आयुक्त व वादीगण एव प्रतिवादीगण तथा उनके अधिवक्तागण अंदर गये, अंदर जाने पर दरवाजे के सटे लगभग 02 फीट बाद दीवाल पर जमीन से लगभग 03 फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार की फूल की आकृति बनी थी जिसकी संख्या 5 थी और तहखाने के अंदर देखा गया कि उसमें चार दरवाजे थे, उसके स्थान पर नयी ईंट लगाकर उक्त दरवाजे को बंद कर दिया गया था तथा तहखाने में 04-04 खम्भे पुराने तरीके के थे, जिसकी ऊंचाई लगभग 08-08 फीट थी तथा नीचे से लेकर ऊपर तक घण्टी, कलश,फूल के आकृति पिलर के चारों तरफ बने थे। बीच में दो-दो नये पिलर नये ईट से बनाए गए थे, जिसके भी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई गयी। एक खम्भे पर पुरातन हिंदी भाषा में सात लाइने से खुदा हुआ था जो पढ़ने योग्य नहीं थे, उसकी भी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई गयी और एक लगभग 02 फीट का दफ़्ती का भगवान का फोटो दरवाजे के बाएं तरफ की दीवाल के पास जमीन पर पड़ा हुआ था जो मिट्टी से सना हुआ था। तहखाने के सभी दीवाल व पिलर पानी से भीगे हुए थे तथा लगभग 2, 3 ट्रॉली मलवॉ और लगभग 100 नई ईट टाटा मार्का के थे वे जमीन पर |बेतरीके पड़े थे, जिसकी भी वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई गई। तहखाने के एक तरफ जमीन पर 9 फीट 7 इंच x04 फीट 7 इंच के पत्थर का टुकड़ा पड़ा हुआ था व गीली मिट्टी का ढेर भी ।तहखाने के अंदर पाया गया, जिसकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई गई। 8:56 पर श्री एजाज अहमद के द्वार तहखाने का खोला गया ताला को बंद किया गया, जिसकी वीडियोग्राफी फोटोग्राफी कराई गई।
इसके बाद सभी लोग पूरब होते हुए 2 फीट चौड़े रास्ते से लोहे के बाड के अंदर होते हुए व्यास जी के नाम से स्थित तहखाने पर पहुंचे, जिसके ठीक सामने नंदी जी विराजमान थे तथा नंदी जी के ठीक सामने 18 फीट की दूरी पर एक खुला रास्ता मिला, जिस पर दरवाजा नहीं था। रास्ते की ऊपरी चौखट पर काला आकृति बनी हुई है, जिसमें घंटी खुदी हुई लग रही है। वादीपक्ष द्वारा प्रतिवादी पक्ष की उपस्थिति में व्यास जी के नाम से जाने वाले कमरे की तरफ सभी लोग गए। उक्त कमरे का मुख काशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में स्थित मंदिर के तरफ है और उसमें कोई दरवाजा नहीं लगा है और इसके प्रवेश द्वार और नदी के बीच सिर्फ लोहे की पाइप लगे हुए बैरिकेडिंग हैं और नंदी जी विश्वनाथ मंदिर से व्यास जी का कमरा 18 सीट पर है। इस कमरे में अंदर पहुंचने पर उभयपक्षगणों की उपस्थिति में पाया गया कि दोनों तरफ 4 – 4 पत्थर के पुराने खंभे हैं और इसके अतिरिक्त 1 – 1ईंट के खंभे हैं जो एकदम दक्षिणी दरवाजे के बगल में कई जगह कायम है और पुराने दरवाजे पर एकदम नई ईटों सहित हर प्रकार का मलबा पड़ा है, जिस पर जमीन पर गीली मिट्टी थी, उस पर बांस बल्ली पड़े हुए थे।उस में प्रमुख रूप से पाई गई सामग्री निम्न है:-
1 – अंदर से दूसरे खंबे पर त्रिशूल के चिन्हा है। इसका प्रतिवादी संख्या 04 द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई, जिसकी फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी भी कराई गई।
2 – दक्षिण-पश्चिम के कोने में पश्चिमी दीवाल पर स्वास्तिक का निशान खुदा हुआ मिला और कमल में 3 फूल भी मिले, जिस पर नक्काशी और उसके ऊपर स्वास्तिक का चिन्ह मौजूद है।
3 – और आगे भी काफी संख्या में कमल के फूल की कलाकृति पत्थरो पर खुदी हुई है और कमल की पंखुड़ी पर भी स्वास्तिक का चिन्ह बना हुआ है।
4 – एक खम्भे पर हिंदी भाषा में 7 लाइनें पर जिसमें शब्द भी हैं, जो खुदा हुआ है।
5 – अंदर की दीवाल में पूरब – दक्षिण कोने से ऊपर काफी पानी रिस रहा है और दीवाल ऊपर से नीचे तक भीगी हुई है एवं नीचे की जमीन गीली है।
6- तहखाने में एक तरफ चार दरवाजे के स्थान को नई ईटों से बंद किया गया।
7 – दोनों तरफ के पत्थरों के खंभों पर घंटी के आकार के कलाकृति और कलश फूल की आकृति खंभे के चारों तरफ मौजूद में है।
8 – इसी तहखाने में घूसते ही छत के दूसरे पत्थर पर स्वासितक के चिन्ह खुदा हुआ मिला।
उपरोक्त सभी मिले साक्ष्यों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराई गई ।
माननीय न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष आयुक्त को वादीगण ने तीसरे तहखाने के दरवाजे पर चलने के लिए कहा गया, जिस पर मैं उभयपक्षगण की उपस्थिति में लगभग 9:55 पर पहुंचा तो अंजुमन के मुंशी श्री एजाज अहमद के द्वारा भूनासी चाबी लेकर उक्त दरवाजे को खोला गया, जिस का मुख उत्तर तरफ था, जिसकी भी वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई गई। उक्त तहखाने की नापी कराई गई, जो कि अंदर से जिसकी लंबाई पूरब – पश्चिम 14 फीट तथा चौड़ाई उत्तर – दक्षिण 6 फीट, 10 इंच पाया गया, जिसमें अंदर की तरफ एक कमरा और पाया गया, जिसकी लंबाई 11 फिट 7 इंच चौड़ाई 10 फीट, 10 इंच पाया गया तथा अंजुमन के मुंशी द्वारा बताया गया कि इसमें कोयले की दुकान चलती थी। अंदर जाने पर किसी प्रकार के कोयले की दुकान का निशान नहीं मिला, बल्कि चुने व सफेद रंग की रंगाई पुताई मिली और स्थान खाली पाया गया तथा यह प्रतीत होता है कि नया चूना लगाया गया है जो कि हाथ लगाने पर हाथ में चूने लग जा रहे थे। अंजुमन के मुंशी द्वारा उक्त ताले को 10:45 पर बंद किया गया, जिसकी भी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई गई।
इसके बाद मैं तीसरे तहखाने के बगल चौथे तहखाने की चाबी अंजुमन के मुंशी एजाज अहमद से मांगी तो चाबी ने होने की बात कही गई, तब मेरे आदेश पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया गया, जिसके द्वारा कटर मशीन लाई गई। उक्त कटर मशीन सभी पक्षकारों के समक्ष दिखाकर ताले को 10:40 पर काटा गया तथा इस कमरे की लंबाई 9 फिट 9 इंच चौड़ाई 7 फीट 3 इंच पाई गई और अंदर आगे बढ़ने पर एक कमरा और पाया गया, जिसकी लंबाई 12 फीट 9 इंच, चौड़ाई 10 फीट 4 इंच पाया गया। इस तहखाने में भी अंदर चुने सफेद रंग की साफ-सुथरी रंगाई पुताई मिली, जिसे 10:47 पर दूसरा नया ताला लगाकर एजाज अहमद द्वारा बंद किया गया। जिसकी भी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करायी गयी। इसके बाद आगे बढ़ने पर एक बिना दरवाजे का छोटा तहखाना पाया गया जिसकी बाहर – बाहर लंबाई 15 फीट व चौड़ाई 14 फीट, 7 इंच का पाया गया जो कि घुसने योग्य नही था मलवे से पटा था।
पश्चिमी दीवाल के बाहर पुरानी 3 चौकट आकृतियां जमीन पर उत्तर – पश्चिम के कोने में स्थिति थी, जिस पर प्रतिवादी संख्या 4 के अधिवक्ता द्वारा ध्यान आकृष्ट करते हुए तीन कब्र बताया गया। परंतु वादीगण द्वारा कहा गया कि पुराना चबूतरा और पत्थर है।
पश्चिमी दीवाल विवादित स्थल पर हाथी के सूड़ की टूटी हुई कलाकृतियां और दीवाल के पत्थरों पर स्वास्तिक व त्रिशूल व पान के चिन्ह वे उनकी कलाकृतियां बहुत अधिक भाग में खुदी हुई है। इसके साथ घंटियां जैसी कलाकृतियों भी खुदी है ये सब कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती है जो काफी पुरानी है, जिसमें से कुछ कलाकृतियां टूट गई है।
पाश्चिम दीवाल के बारे में वादी के अधिवक्ता श्री हरिशंकर जैन के द्वारा इंगित किया गया कि दीवाल के बाहर पश्चिमी दिशा की तरफ बाहर उभरे हुए आर्क विश्वेश्वर मंडप के पीछे के ऐश्वर्य मंडप के भाग हैं। वीडियोग्राफी कराते हुए यह स्पष्ट होता है कि दो बड़े खंभे व आर्क मास्जिद की पीश्चमी दीवाल के पीछे बाहर की तरफ निकलते हुए स्पष्ट दिख रहे हैं। यह खंभे व आर्क बीच में खंडित है। इन्हीं दोनों खंभो व आर्क के दाहिने व बायें जिग-जैग दीवार भी स्पष्ट दिख रहे हैं जैसे बीच में से ही खंडित कर दी गई हो। वादी पक्ष द्वारा इसे उत्तर में भैरव व दक्षिण में गणेश मंदिर की दीवार बताई गई। प्रतिवादी संख्या चार द्वारा इसका विरोध किया गया। वादी पक्ष द्वारा यह मांग की गई कि दीवाल के बीच पड़े मलबे के ढेर को हटाया जाए व बचे हुए मंदिर के अवशेष निकाले जाए। कमीशन के द्वारा केवल वस्तुस्थिति की वीडियोग्राफी कराई जा सकती है जो कराई गई।
मेरे द्वारा वादीगण के कहने पर 10:58 पर एक अन्य तहखाने के दरवाजे का ताला जामिया के मुंशी श्री अहमद के द्वारा खोला गया, जिसमें की ऊपर की तरफ जाने की सीढ़ी है, जिसकी चौड़ाई 2 फीट थी जिससे चढ़कर उभयपक्षगण व मै ऊपर गुम्बद की छत पर गया। ऊपर पहुंचने पर जूता-चप्पल निकालने के बाद प्रवेश करने पर कड़ी धूप के कारण होने से चलना संभव नहीं था ,इसलिए 11:55 पर इन्तिजामिया के श्री एजाज अहमद द्वारा सीढी से सभी पक्षों को नीचे आने के बाद तहखाने का ताला बंद किया, जिसकी वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई गई।
इस प्रकार कमीशन की कार्यवाही स्थगित की गई और कमीशन की अगली कार्रवाई दिनांक 15.05.2022 को सूचना सभी पक्षकारों को दिया गया है। प्रातः 8:00 बजे से कमीशन कार्रवाई किया जाएगा।
कल दिनांक 14..5।2022 को 12:00 बजे दोपहर कमीशन की कार्यवाही स्थगित की गई थी, उसी कार्यवाही को आज जारी रखते हुए और पक्षकारगण के अधिवक्तागण की मौजूदगी में आज दिनांक 15.05.2022 को सुबह 8:15 पर विवादित स्थल का दरवाजा का ताला अंजुमन इन्तिजामिया मस्जिद के इंतजामेकार श्री एजाज अहमद द्वारा खोला गया। परिसर में सीढ़ी पर चढ़ने के बाद सबसे पहले उत्तर दिशा में गुम्मद के अंदर घुस कर देखा गया, जिसमें घुसने के स्थान की दिशा दक्षिण – पश्चिम में है। तो वही पर अंदर से ऊपर गुंबद के 8:30 फीट नीचे शंकुकार नुमा शिखर आकृति मिली, जिसकी ऊंचाई 25 फुट तथा व्यास लगभग 18 फुट है। यह भी पाया गया कि बाहरी गुम्बद की दीवाल की मोटाई 25 फुट तक है। गुम्बद के अंदर 3 फुट चौड़ा रास्ता गोलाकार अंदर के शिखर के चारों तरफ है। इस प्रकार मस्जिद के बाहर से देखने वाली उतरी गुम्बद के भीतर शंकुकार शिखर स्ट्रक्चर है।
तत्पश्चात केंद्रीय मुख्य गुम्बद जिसमें घुसने का स्थान उत्तर-पश्चम दिशा में है और जिस में जाने के लिए सीढ़ी की आवश्यकता है,एव सीडी की व्यवस्था होने पर उसके अंदर भी घुसने पर पाया गया कि इसमें भी गुंबद के नीचे एक अन्य शंकुकार शिखर नुमा स्ट्रक्चर कायम है और उसी के ऊपर और उसके बाद ही मस्जिद का बाहर से देखने वाला गुम्बद बनाया गया है। बाहरी गुम्बद के अंदर का व्यास 28 फुट है, जिसमें 3 फुट की गैलरी है। अंदर के शंकुकार शिखर की ऊंचाई लगभग 25 फुट तथा नीचे का व्यास 22 फुट है।
अंत में दक्षिण दिशा में तीसरा गुम्बद कायम है जिसमें अंदर जाने पर एक पत्थर पाया गया जिससे कि गुम्बद में उतरने हेतु एक सीडी के रूप में प्रयोग होना प्रतीत होता है और उस तीसरे गुम्बद में भी 25 फुट चौड़ी दीवाल 3 फुट की गैलरी व 25 फुट ऊंचा व लगभग 21 फुट वेस की व्यास की शिखर नुमा शंकुकार स्ट्रक्चर मिला। पत्थर पर फूल, पत्ती व कमल के फूल की कलाकृति मिली। इन तीनों बाहरी गुम्बद के नीचे पाई गई तीनों शंकुकार शिखरनुमा आकृतियों को वादी पक्ष द्वारा प्राचीन मंदिर की ऊपर के शिखर बताए गए, जिसे की प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता द्वारा गलत कहा गया।
इसी विवादित परिसर में मौका एवं दौरान कमीशन कार्यवाही बड़ा खंभा/ बड़ी मीनार कहे जाने वाले स्थान का मुआयना भी वादीगण के अधिवक्ताओं के कहने पर किया गया, जहां वादी पक्ष द्वारा यह ध्यान आकृष्ट कराया गया कि बड़ी मीनार के नीचे बनी सीढी के बगल में कुछ चीजें जो खुदी हुई है वह वादी पक्ष द्वारा मंत्र आदि लिखा बताया गया जबकि प्रतिवादी संख्या 4 के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने बताया कि उक्त दीवाल पर बरी(सुरखी) व चुना का लेप लगा है जो अत्यंत पुराना होने के कारण जगह-जगह से फटे के निशान पड़े हैं और इस कारण उन पर मंत्र आदि लिखे होने का भ्रम हो रहा है । इस खुदी हुई चीज को किसी भाषा विशेषज्ञ द्वारा ही जांच कराकर स्पष्ट किया जा सकता है।
बाद हूँ मुस्लिम पक्ष की सहमति से मस्जिद के अंदर का भी मुआयना किया गया तो पाया गया कि मस्जिद के अंदर दीवाल पर स्विच बोर्ड के नीचे त्रिशूल की आकृति पत्थर पर खुदी हुई पाई गई और बगल में स्वास्तिक की आकृति अलमारी जिसे मुस्लिम पक्ष द्वारा ताखा कहां गया, में खुदी हुई पाई गई।
इसी कार्यवाही के दौरान वादी पक्ष के अधिवक्ता श्री सुभाष नंदन चतुर्वेदी और श्री विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस तरह की कई हिंदू प्रतीक चिन्हो को इस विदादित परिसर में पूरी तरह और बावजूद प्रयास नहीं छुपाया जा सका है और उसमे से ऐसे कई चिन्ह हर तरफ स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
साथ ही यह भी दिखाया गया कि इस मस्जिद के अंदर पश्चिमी दीवाल में वैसी ही और हाथी के सूडनुमा आकृति का भी चिह्न है और इन चिन्हों की दौरान कमीशन कार्यवाही की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी साथ-साथ करवाई गई। जिस पर प्रतिवादी संख्या चार द्वारा आपत्ति की गई है। वादी के अधिवक्ता श्री हरिशंकर जैन, श्री विष्णु शंकर जैन व श्री सुधीर त्रिपाठी द्वारा ध्यान आकृष्ट किया गया कि हिस्ट्री ऑफ बनारस बाय प्रोफेसर एस अलतेकर के द्वारा लिखी है और व्यू ऑफ बनारस बुक बाय जेम्स प्रिंसिप द्वारा किताब में लिखी गई है। उस में छपे पुराने आदि विश्वेश्वर मंदिर के ग्राउंड प्लान से पूरी तरह मिलता हुआ नक्शा जो उपरोक्त दोनों किताबों में दर्शाया गया है वही मुख्य गुंबद के नीचे है ,जहां नमाज अदा होती है। इस नक्शे की फोटोकॉपी उनके द्वारा मौके पर की गई। उनके द्वारा इंगित किया गया कि मुख्य गुंबद के नीचे चारों दिशाओं में दीवानों के जिगजैग कट बने हुए हैं, जो उतनी ही संख्या में व शेप में है, जैसा किताब के नक्शे में है। इसी तरह से दो दिशा उत्तर दक्षिण के गुंबदों के नीचे नमाज अदा करने के स्थल की दीवारों के जिगजैग कटकी शेप व संख्या भी उस नक्शे से मिलती है और इन्हीं में कुछ मूल मंडप भी स्थित हैं। मस्जिद के मध्य नमाज के हाल तथा उत्तर व दक्षिण के हॉल के मध्य जो दरवाजानुमा बना है। उसकी लंबाई व चौड़ाई भी नक्शे के अनुरूप है। मस्जिद की छत पर बाहरी गुंबदों के अंदर त्रिशंकु शिखरनुमा आकृतियां इन्हीं जिगजैग दीवारों और खंभों पर ऊपर टिकी हुई है। इसका विरोध प्रतिवादी संख्या 04 द्वारा किया गया और इन सब बातों को काल्पनिक बताया गया। फोटोकॉपी नक्शे से दीवारों की शेप का मिलान करने पर पाया गया कि दोनों में पूरी समानता है। हालांकि उपरोक्त तथ्यों की सत्यता की जांच किसी ख्याति प्राप्त इतिहासकार के द्वारा कराया जाना उचित है।
अंदर की दीवारों की कलाकृतियां मोटी तथा उसकी बनावट प्राचीन भारतीय शैली जैसी कुछ-कुछ प्रतीत होती है। अगला तेरा वादहू वादी पक्ष के अधिवक्ता श्री सुधीर त्रिपाठी के कहने पर वहां पर बिछी दरी चटाई हटाई गई तो उसमें चुनार पत्थर की 2 फीट गुणा 2 फीट आकार के पत्थर लगी जमीन कायम पाई गई। जिसे की ठोकने पर ठक ठक की आवाज आ रही थी। जिसे ऐसा एहसास हो रहा था कि यह पत्थर मलबे आदि के ऊपर बिछाए गए हैं और नीचे आवाज खोखला की आ रही है। जो अतिरिक्त जांच का विषय है। इस बिंदु पर प्रतिवादी नंबर 4 के अधिवक्ता श्री अखलाक अहमद एडवोकेट द्वारा कहा गया कि यह पूरा ठोस है और फर्श के नीचे खोखला होने से मुसलमानों में नमाज अदा करने की पाबंदी है। इसी कार्यवाही के दौरान वादी अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि चारों कोनों से मध्य के मिलने पर बना हुआ मंडप जो कि 3 फीट ऊंचा दिखाई दे रहा है जो चारों दिशा में कायम है, जिसमें मंदिरों में पाई जाने वाली कलाकृतियां बनी है ,जो कि गिरने पर 8 की संख्या में पाई गई वह देव विग्रह ( मूर्ति ) रखने के स्थान बने हुए हैं। प्रतिवादी संख्या 4 के अधिवक्ता श्री मुमताज अहमद ने बताया कि वह मुख्य गुंबद के अंदर का हिस्सा है इसी बीच प्रतिवादी के एक अन्य अधिवक्ता श्री रईस अहमद के अनुसार पुरानी मस्जिदों में ऐसे ही ताखा बनाया जाता था। बादहू कहा कि पुरानी इमारतों में इसी तरह बनता था जो कि देव विग्रह रखने का स्थान नहीं है। इसी बीच श्री मेहराजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि शहर की कई अन्य मस्जिदों में भी बिल्कुल इसी प्रकार का ताखा देखा जा सकता है। मुख्य गुंबद के नीचे दक्षिणी खंबे पर टंगे कैलेंडर के पीछे भी स्वास्तिक का चिन्ह मिला जो प्रतिवादी पक्ष द्वारा गलत बताया गया। इसी प्रकार मुख्य गुंबद के प्रवेश द्वार से घुसते ही मस्जिद के इमाम के बैठने की जगह जो कि 3 सीढी ऊपर है उसके ऊपर बनी कलाकृति को मंदिरों में पाई जाने वाली कलाकृति बताते हुए वादी पक्ष द्वारा ध्यान आकृष्ट कराया गया और उसी ( इमाम ) बैठने वाले स्थान के ऊपर ताखा में वादी पक्ष द्वारा त्रिशूल के खुदे हुए चिन्ह दिखाए गए । जिनकी वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी भी कराई गई। इसी मस्जिद की पश्चिमी दीवाल पर बांई दिशा में दो कंगूरा टूटा और क्षतिग्रस्त है और पश्चिमी उत्तर का भी टूटा है। यह वादी पक्ष द्वारा बताया गया। यहीं पर एक कोने में लगे स्विच बोर्ड के पास त्रिशूल की कई आकृति मिली। जिसके अगल-बगल पेंट किया गया है फिर
भी त्रिशूल साफ साफ दिखाई दे रहा है। जिसके बारे में प्रतिवादी के अधिवक्ता गण में तौहीद खान ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है और यह गलत है। बादहु मस्जिद के प्रथम गेट के पास वादी के अधिवक्ता ने तीन डमरू के बने हुए चिन्ह दिखाएं । जिस पर प्रतिवादी गण से प्रतिवादी संख्या 4 के अधिवक्ता श्री मोहम्मद तौहिद और श्री मुमताज अहमद ने गलत बताया। बादहु वादी पक्ष द्वारा प्रवेश द्वार से आगे पूर्वी दिशा के दीवाल पर लगभग 20 फीट ऊपर त्रिशूल के बने हुए निशान की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया और उसकी भी फोटोग्राफी कराई गई। उसके आगे भी लगभग 7 फीट की ऊंचाई पर दिखाई पड़ रहे त्रिशूल के निशान के तरफ भी वादी पक्ष ने ध्यान आकृष्ट कराया और मुख्य गुंबद के दाहिनी तरफ भी बने ताखा के अंदर त्रिशूल खुदा हुआ मिला और उसकी भी फोटोग्राफी कराई गई। मस्जिद के स्टोर रूम के बाहर की दीवार पर भी स्वास्तिक के कई निशान कायम हैं और स्टोर रूम मस्जिद के दक्षिण पश्चिम कोने पर करीब 8 गुणा 10 फिट का है। जिसके दरवाजे में सिर्फ भुन्नासी लॉक लगा हुआ है। जो कि मस्जिद के इंतजाममेकार श्री एजाज मोहम्मद ने 11:19 बजे खोल कर दिखाया और 11:23 पर पुनः भुन्नासी लॉक द्वारा दरवाजा बंद किया गया तथा बादहू वादी गण के अधिवक्ता श्री सुभाष नंदन चतुर्वेदी व श्री सुधीर त्रिपाठी द्वारा विवादित स्थल के पूरब दक्षिण में व्यास जी के कमरे में सभी भक्तगण गए और दक्षिण दिशा में स्थित बांस बल्ली कायम थे। उनके बगल की मिट्टी गीली थी और पश्चिम दिशा में दरवाजा नुमा कायम है , जो पत्थरों से बंद किया गया है।
कमीशन कार्यवाही के दौरान वादी पक्ष ध्यान आकृष्ट कराने पर एक तहखाना उत्तर पश्चिम के कोने पर 15 गुणा 15 फीट का था । जिसमें मलबा पड़ा हुआ था एवं पत्थर पर आकृतियां पाई गई ,जो मंदिर की तरह प्रतीत हो रहा था तथा तहखाने के अंदर फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी भी किया गया। जिसके अंदर काफी जगह दिखाई पड़ा । यह कार्यवाही उभयपक्ष की उपस्थिति में हुई।
विश्वनाथ मंदिर के अधिवक्ता श्री रवि कुमार पांडे और वादी पक्ष के अधिवक्ता श्री सुधीर त्रिपाठी द्वारा सामने वजू करने के स्थान बताएं जाने के स्थान को दिखाते हुए उसके अंदर और बीचों-बीच और पानी के करीब 6 इंच नीचे खुले जैसे आकार की जगह दिखाते हुए यह ध्यान आकृष्ट कराया गया। तत्पश्चात वहां पहुंच कर देखा गया कि वहां एक कुंड बना है जो करीब 3 फीट गहरा और पानी से पूरी तरह भरा हुआ है। जिसमें सैकड़ों मछलियां भी दिखाई दे रही है। इसके वजू करने के लिए तीन तरफ 10 – 10 टोंटी ( नल) अर्थात कुल 30 टोंटी लगी हुई है ।इन टोंटियों का पानी कुंड में बहता है। मौके पर विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री सुनील वर्मा भी मौजूद हैं। उनके सामने नगर निगम के कर्मचारी श्री सूरज नामक व्यक्ति को कुए वाले स्थान पर कुंडनुमा स्थान की दीवाल से जैसे दिखने वाले स्थान की दीवाल तक सीढी को लिटाकर वहां तक पहुंचने का साधन बनाकर भेजा गया। जिसने कि उस स्थान के अंदर और पानी में हाथ डालकर अपने हाथों से छू और टटोलकर कोई गोल पत्थर की आकृति होने की बात बताई गई। इसी बीच आज की कमीशन की कार्यवाही का समय 12:00 बजे तक ही होने के कारण और इस समय 11:50 हो जाने के कारण मौजूद भारी पानी का इतनी जल्दी हटाना और भीतर बताए जा रहे गोलाकार पत्थर के बारे में और पुष्टिकरण करना समय अभाव के कारण संभव प्रतीत न होने से उस बारे में कल ही आगे की कार्यवाही करना संभव प्रतीत होता है। आज की कार्यवाही आगे थोड़ी देर में स्थगित की गई।
दिनांक 16 मई 2022 को वादी और प्रतिवादी गण और उनके अधिवक्ता गण की उपस्थिति में कमीशन की कार्यवाही सुबह 6:00 बजे शुरू की गई । जिसमें वादी एवं प्रतिवादी गण के अधिवक्ता व स्वयं वादी गण तथा प्रतिवादी गण 01 लगायत 03 के प्रतिनिधि अपना अपना हस्ताक्षर बनाए और सभी पक्षगण की उपस्थिति व उनके अधिवक्तागण की मौजूदगी में एक-एक प्रतिनिधि या तो अधिवक्ता या स्वयं पक्षकार ज्ञानवापी मस्जिद के प्रथम तल पर सीढी चढ़कर और सभी लोग जूता चप्पल गेट के पास निकालकर अंदर मस्जिद क्षेत्र की पूर्व दिशा में स्थित वजूखाना जो कि लोहे की जाली में तीन तरफ से बंद था , उस स्थल पर गए। वादीगण के अधिवक्ता द्वारा कमीशन की कार्यवाही के दौरान कोर्ट कमिशन का ध्यान आकृष्ट कराया गया कि इस कुंड के बीचो-बीच भगवान शिव का शिवलिंग है। लगभग 6:40 पर कुशल ड्राफ्टमैन वी 0डी 0ए0 द्वारा नंदी से कुंड तक नाप की गई। जिसकी दूरी 63 फीट 3 इंच पाई गई। तब वादी के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि पानी के कुंड के बीचोंबीच में गोलाकार कुए की जगत जैसी जगह के बीच में पत्थर कायम है और उनके द्वारा कमीशन कार्यवाही हेतु ध्यान आकृष्ट कराया गया कि इस के बीचोंबीच भगवान शिव का शिवलिंग है।
इस दौरान कोर्ट कमिश्नर ने नगर निगम के एक कर्मचारी को सीढ़ी लिटा कर बीचो-बीच भेजा और पानी कम कराकर मछलियों को सुरक्षित रखने हेतु मत्स्य पालन अधिकारी को मौके पर बुलाकर उनसे सलाह ली गई। …. उनकी सलाह के अनुसार पानी कम किया गया। तब पानी में एक गोलाकार पत्थर नुमा आकृति जिसकी ऊंचाई लगभग ढाई फीट रही होगी दिखाई पड़ी इसके टॉप पर कटा हुआ गोलाकार डिजाइन का अलग सफेद पत्थर दिखाई पड़ा जिसके बीचो-बीच आधी इंची से थोड़ा कम गोल छेद था जिसमें सिंह डालने पर 67 सेंटीमीटर गहरा पाया गया। इसकी गोलाकार आकृति की नाक की गई तो देश का व्यास लगभग 4 फुट पाया गया। दौरान कमीशन कार्यवाही वादी पक्ष के अधिवक्ता गण इस गोलाकार काले पत्थर को शिव जी का शिवलिंग कहने लगे। तब प्रतिवादी संख्या 4 के अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि यह फव्वारा है। कमीशन के दौरान इसकी पूरी पूरी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई है। जो इस रिपोर्ट के साथ सील बंद है। दौरान कोर्ट कमिशन कार्यवाही वकील कमिश्नर ने प्रतिवादी संख्या 04 अंजुमन इंतजामियां के मुंशी श्री एजाज मोहम्मद से पूछा कि फव्वारा कब से बंद है तो बोले काफी समय से बंद है और फिर कहे कि 20 वर्ष से बंद है, फिर बाद में कहे कि 12 वर्ष से बंद है। वादी के अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि दौरान कमीशन फव्वारा मुंशी जी चालू करके दिखाएं। तब मुंशी श्री ऐजाज अहमद ने असमर्थता जाहिर किया। उस आकृति की गहराई में बीचो-बीच सिर्फ आधा इंच से कम का एक ही छेद मिला । जो 67 सेंटीमीटर गहरा था और उसके अलावा कोई चीज किसी भी साइड में या किसी भी अन्य स्थान पर बावजूद खोजने पर नहीं मिला और फव्वारा हेतु कोई पाइप घुसाने का स्थान नहीं मिला। जिसकी फोटोग्राफी और वीडियो ग्राफी की गई। इसके बाद पूरे वजू के तालाब को नापा गया जो 33 गुणा 33 फुट निकला। इसके बीच में सभी किनारों से 7:30 फीट अंदर एक गोलाकार घिरा आकृति कुए की जगह पाई गई। उसका बाहरी व्यास 7 फुट 10 इंच और अंदर का व्यास लगभग 5 फुट 10 इंच है। इस गोल घेरे के भीतर लगभग ढाई फुट ऊंची बेस पर 4 फुट व्यास की गोलाकार आकृति मिली जो शुरू में पानी में डूबी थी। इसके टॉप पर लगभग 9 गुणा 9 इंच गोलाकार सफेद पत्थर अलग से लगा था। जिस पर बीच से 5 कांचे 5 दिशाओं में बनी थी। इस पत्थर के नीचे लगभग 2:30 फुट ऊंची गोलाकार आकृति दिख रही थी। जिस की सतह पर अलग प्रकार का खोल चढ़ा हुआ प्रतीत हुआ जो थोड़ा-थोड़ा कहीं पर चटका हुआ भी था। इस पर पानी में डूबे रहने के कारण काई जमी थी। काई साफ करने पर काले रंग की आकृति निकली। वादी गण द्वारा इसे शिवलिंग कहा गया। सामान्य रूप से बड़े शिवलिंग का जो आकार होता है वैसा ही इसका आकार भी था , परंतु टॉप पर अलग गोलाकार अलग मैट्रियल का पत्थर रखा गया है। जिन पर पांच पांच खांचे बने हुए हैं। दौरान कमीशन की कार्यवाही जो वजू की चोटियों के मध्य कुंड तालाब है, उसमें 3 फीट गहरा पानी था। जिसमें से करीब एक से डेढ़ फीट पानी कम करके मध्य में स्थित गोलाकार गहरे के स्थान पर एक से दूसरी तरफ तक लेटी हुई सीढी और उसके ऊपर पटरा आदि लगाकर पहुंचा पाना संभव हुआ और तत्पश्चात उस गोलाकार घेरे के अंदर मौजूद पानी को पंप से बाहर निकलवा कर उसके एक छेद को अंदर से कपड़ा डालकर बंद करवाया गया, ताकि तालाब /कुंड का पानी उस गोलाकार घेरे के अंदर ना आ सके। तत्पश्चात गोलाकार घेरे के अंदर से सफाई कर्मियों द्वारा पूरा पानी निकलवा देने पर नीचे ओवल शेप आकार की आकृति मिली । जिसके ऊपरी छोर पर अलग पत्थर पर थोड़ा गोलाकार कटिंग नुमा डिजाइन मिली। इसकी काई हटाई गई व इस का पानी सूखे कपड़े से सुखाया गया। इसकी पूरी वीडियो ग्राफी कराई गई।
बादहू वादी गण के अधिवक्ता द्वारा कमीशन की कार्यवाही के दौरान ध्यान आकृष्ट कराया गया कि पूर्वी दिशा वजू स्थल के स्थान के पीछे पूर्व में एक स्थान से नीचे उतरने का स्थान है। इसकी पैमाइश की गई। जिससे 4 सीढी उतरकर उत्तर दिशा में 4 फीट 2 इंच चौड़ाई की गली कायम है। जो कि उत्तर की तरफ नापने पर 28 फीट 9 इंच पाई गई। इसमें पूरब की तरफ दरवाजे के स्थान को ईट चिनाई से बंद कर दिया गया, जो कि सीढी से करीब चार पांच फिट बाद है और उसके मुंह पूरब की तरफ पत्थर की दीवार है। जिसमें भी दरवाजा होने का आभास होता है। मस्जिद के ऊपरी दालान ( कोर्ट यार्ड ) के पूर्व स्थित वजू स्थान पर दक्षिण में 3 शौचालय के बाद उत्तर दिशा के तरफ चलने पर एक बड़ा स्नानागार और उसके तीन ओर शौचालय स्थित है। उसके बाद करीब साढे 4 फीट चलने के बाद एक कुआं है, जिसमें पानी मौजूद है। जिसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई गई है।
अंत में वादीगण के अधिवक्ताओं द्वारा प्रथम तल पर तालाब के मध्य स्थित गोलाकार शिवलिंगनुमा आकृति के नीचे भूतल पर जमीन तक आकृति का अस्तित्व बताते हुए उसकी वीडियोग्राफी की मांग की गई। प्रतिवादी संख्या 04 द्वारा इसका पुरजोर विरोध किया गया। कोर्ट कमिश्नर के द्वारा पूर्व के निरीक्षण व वीडियोग्राफी के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि इस गोलाकार आकृति के नीचे जमीन तक पहुंचना संभव नहीं है । इसके नीचे जमीन का हिस्सा उत्तर व दक्षिण के तहखाने की दीवारों और पूर्व में तालाब की नीचे की दीवाल से कवर है। अतः इस स्थल पर दीवारों के अवरोध की वजह से कमीशन की कार्यवाही वर्तमान में पूर्ण करना संभव नहीं हो पाया।
दिनांक 19 मई 2022
विशाल सिंह अधिवक्ता विशेष कोर्ट कम आयुक्त
मुख्य संपादक, उगता भारत