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पुत्रजीवक, रामदेव और संसद

baba ramdev पुत्रजीवक बीज नामक दवा को लेकर संसद में हंगामा हुआ। हमारे विद्वान् सांसदों ने स्वामी रामदेव पर आरोप लगाए कि वे बेटा पैदा करने की दवा बेच रहे हैं याने वे बेटियों के खिलाफ हैं। वे देश में ऐसा माहौल बना रहे हैं कि जिससे कन्या-भ्रूण हत्या को बढ़ावा मिलता है। वे लिंग-भेद को प्रोत्साहित करते हैं। वे अपराधी हैं। उनकी जांच हो। उन्हें जेल भेजो।

इन सांसदों की बातें सुनकर मेरी त्वरित प्रतिक्रिया यह थी कि क्या ये लोग अनर्गल बातें करके हमारी संसद की मानहानि नहीं कर रहे हैं? वैसे तो हमारे देश में बोलने की स्वतंत्रता है लेकिन इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने के लिए क्या उन्हें यही सबसे सुरक्षित मंच मिला है? देश की परम सम्मानित संस्था संसद में बैठे लोग मेरे जैसे आदमी को ‘देशद्रोही’ बोल देते हैं, रामदेवजी जैसे परमार्थी साधु को स्त्रीद्रोही घोषित कर देते है। मैं उनसे आशा करूँगा कि वे अपने स्तर को उंचा बनाए रखें और अपना आचरण सुधारें ।

उनसे मेरा पहला प्रश्न यह है कि उन्होंने रामदेव का ही विरोध क्यों किया? क्या पुत्रजीवक दवा के कारण? यदि हाँ तो मैं पूछता हूँ कि क्या यह सच नहीं है कि रामदेव के पैदा होने के हज़ारों साल पहले से यह दवा बिक रही है? आज भी देश की दर्जनों कम्पनियाँ और लाखों वैद्य इस दवा को इसी नाम से बना रहे हैं या नही। तो फिर अकेले रामदेव पर हमला क्यों? क्या इसलिए नहीं कि उन्होंने चुनाव के दौरान भाजपा और मोदी का खुलकर समर्थन किया था?

जहाँ तक पुत्रजीवक नाम का प्रश्न है, यह जरूर ग़लतफ़हमी पैदा कर सकता है। लेकिन ‘राष्ट्रपति’ और ‘प्रधानमंत्री’ शब्द भी ग़लतफ़हमी पैदा करते हैं। कोई औरत अपने आप को ‘पति’, वह भी ‘राष्ट्र का पति’ कैसे कह सकती है? इंदिराजी को कोई भी ‘प्रधानमंत्राणी’ नहीं कहता था। वे महिला थीं लेकिन उनके लिए पुल्लिंग शब्द ‘प्रधानमन्त्री’ ही इस्तेमाल होता था। इसी तरह बांझपन के इलाज़ की दवा का नाम पुत्रजीवक है। उसका असर होने पर पुत्र भी हो सकता है और पुत्री भी। दवा के पेकेट पर सिर्फ बांझपन के इलाज की बात लिखी है। बांझपन भी किसका? मर्दों का नहीं, औरतों का! तो यह दवा स्त्री-विरोधी कैसे हो गई? इस दवा का यह नाम रामदेव ने नही रखा है । क्या आप उन सब ऋषियों को सजा देंगे, जिन्होंने यह नाम रखा है? स्त्री-विरोधी तो वे सांसद हैं, जो इस दवा का विरोध कर रहे हैं।

उन्हें देश की सब स्त्रियों से क्षमा मांगनी चाहिए। मानो यह दवा सिर्फ बेटा पैदा करने के लिए है तो भी इसमें गलत क्या है? किसी के घर बेटा पैदा होना पाप है, क्या? जिसकी छह-छह बेटियाँ हैं, वह एक बेटा चाहे तो इसमें कौन सा अपराध है? इसी तरह यदि चार-चार बेटों का बाप एक बेटी चाहे तो वह भी बिल्कुल सही है। हमारे आयुर्वेद में दोनों के लिए एक ही दवा अलग-अलग ढंग से लेने का विधान है। हाँ, यदि कोई दवा बेटी या बेटे को मारने के लिए बनी हो तो वह अपराध है। किसी दवा से बेटा या बेटी हो सकते है या नहीं, यह अलग बहस का विषय है ।

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