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दूसरों पर हंसने वाले नवजोत सिंह सिद्धू पर अब हंस रहा है जमाना

जब पद का मद सिर चढ़कर बोलता है तो आदमी मदोन्मत होकर पता नहीं क्या क्या कर जाता है ? बड़बोले और औकात से अधिक उछल कूद करने वाले कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू को अपने पद का नशा कुछ इसी प्रकार चढ़ा। जिसकी हैकड़ी अब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निकाल दी है। जनाब अब एक साल तक जेल की रोटियां खाएंगे। जो दूसरों पर हंसते थे अब उन पर जमाना हंसेगा। जेल से बचाने के लिए ना तो उनका यार इमरान खान आया और ना ही उनकी वह अकल काम आई जिसके सहारे वे देश की राजनीति को अपने संकेत पर नचाने की कोशिश करते दिखाई देते थे। पार्टी भी पीछे हट गई और जो लोग उनके साथ किसी भी दूसरे को मजाक का पात्र बनाकर दांत फाड़ा करते थे, अब उनके साथ कहीं दिखाई दे रहे हैं। लगता है समय के पहिए ने अपना एक चक्र पूरा कर लिया है।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को हाल में एक साल की सजा सुनाई गई है। आपको बता दें कि सजा सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाई गई है। अब एक साल की कैद के दौरान हर दिन वे 40 से 60 रुपये के बीच कमाएंगे। गौरतलब है कि यह वही जेल है जहां शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया भी ड्रग मामले में बंद हैं। हालांकिए उनकी बैरक अलग है।जेल के एक अधिकारी ने बताया कि सिद्धू ने शुक्रवार को यह कहते हुए रात का खाना छोड़ दिया कि उन्होंने पहले ही अपना खाना खा लिया है। लेकिन उन्होंने कुछ दवा जरूर ली।
बताया जा रहा है कि जेल में उनके लिए कोई विशेष भोजन की व्यवस्था नहीं की गई है। यदि कोई डॉक्टर किसी विशेष भोजन की सलाह देता है तो वह जेल की कैंटीन से खरीद सकते हैं या खुद बना सकते हैं। 
सिद्धू को कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। इसलिए उन्हें जेल के नियमों के अनुसार ही काम करना होगा। इससे पहले तीन महीने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। जेल में एक अकुशल कैदी को प्रतिदिन 40 और एक कुशल कैदी को 60 रुपये प्रतिदिन काम करने को मिलते हैं। शुक्रवार को सिद्धू ने आत्मसमर्पण करने से पहले सुप्रीम कोर्ट से कुछ समय की मांग की थी।
सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर दल्ला की ओर से हवाला दिया गया था कि वे एम्बोलिज्म जैसी चिकित्सीय स्थितियों से पीड़ित हैं और उन्हें लीवर की बीमारी है। जिस मामले में उन्हें सजा हुई है, वह रोड रेज का है। अब चाहे जो कुछ भी हो पर एक बात तो अब निश्चित है कि सिद्धू साहब को आम आदमी के दर्द की जानकारी अब होगी किसी को चांटा मारा जाता है तो उसकी पीड़ा चांटा खाने वाले को कितनी होती होगी ,इसकी जानकारी भी कांग्रेस के नेता को हो जाएगी। इसके अतिरिक्त देश के बड़े संविधानिक पदों पर बैठे लोगों का उपहास भी कैसे किया जाता है इसकी जानकारी भी उन्हें हो जाएगी ? एक साल में कई प्रकार के अनुभव लेकर कांग्रेस के नेता जब बाहर आएंगे तो तब तक अपने राजनीतिक कैरियर को संभालने सुधारने के लिए कीमती समय उनके हाथ से चला गया होगा। पर हंसने वाले नवजोत सिंह सिद्धू पर अब हंस रहा है जमाना

जब पद का मद सिर चढ़कर बोलता है तो आदमी मदोन्मत होकर पता नहीं क्या क्या कर जाता है ? बड़बोले और औकात से अधिक उछल कूद करने वाले कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू को अपने पद का नशा कुछ इसी प्रकार चढ़ा। जिसकी हैकड़ी अब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निकाल दी है। जनाब अब एक साल तक जेल की रोटियां खाएंगे। जो दूसरों पर हंसते थे अब उन पर जमाना हंसेगा। जेल से बचाने के लिए ना तो उनका यार इमरान खान आया और ना ही उनकी वह अकल काम आई जिसके सहारे वे देश की राजनीति को अपने संकेत पर नचाने की कोशिश करते दिखाई देते थे। पार्टी भी पीछे हट गई और जो लोग उनके साथ किसी भी दूसरे को मजाक का पात्र बनाकर दांत फाड़ा करते थे, अब उनके साथ कहीं दिखाई दे रहे हैं। लगता है समय के पहिए ने अपना एक चक्र पूरा कर लिया है।
पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को हाल में एक साल की सजा सुनाई गई है। आपको बता दें कि सजा सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाई गई है। अब एक साल की कैद के दौरान हर दिन वे 40 से 60 रुपये के बीच कमाएंगे। गौरतलब है कि यह वही जेल है जहां शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया भी ड्रग मामले में बंद हैं। हालांकिए उनकी बैरक अलग है।जेल के एक अधिकारी ने बताया कि सिद्धू ने शुक्रवार को यह कहते हुए रात का खाना छोड़ दिया कि उन्होंने पहले ही अपना खाना खा लिया है। लेकिन उन्होंने कुछ दवा जरूर ली।
बताया जा रहा है कि जेल में उनके लिए कोई विशेष भोजन की व्यवस्था नहीं की गई है। यदि कोई डॉक्टर किसी विशेष भोजन की सलाह देता है तो वह जेल की कैंटीन से खरीद सकते हैं या खुद बना सकते हैं। 
सिद्धू को कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। इसलिए उन्हें जेल के नियमों के अनुसार ही काम करना होगा। इससे पहले तीन महीने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। जेल में एक अकुशल कैदी को प्रतिदिन 40 और एक कुशल कैदी को 60 रुपये प्रतिदिन काम करने को मिलते हैं। शुक्रवार को सिद्धू ने आत्मसमर्पण करने से पहले सुप्रीम कोर्ट से कुछ समय की मांग की थी।
सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर दल्ला की ओर से हवाला दिया गया था कि वे एम्बोलिज्म जैसी चिकित्सीय स्थितियों से पीड़ित हैं और उन्हें लीवर की बीमारी है। जिस मामले में उन्हें सजा हुई है, वह रोड रेज का है। अब चाहे जो कुछ भी हो पर एक बात तो अब निश्चित है कि सिद्धू साहब को आम आदमी के दर्द की जानकारी अब होगी किसी को चांटा मारा जाता है तो उसकी पीड़ा चांटा खाने वाले को कितनी होती होगी ,इसकी जानकारी भी कांग्रेस के नेता को हो जाएगी। इसके अतिरिक्त देश के बड़े संविधानिक पदों पर बैठे लोगों का उपहास भी कैसे किया जाता है इसकी जानकारी भी उन्हें हो जाएगी ? एक साल में कई प्रकार के अनुभव लेकर कांग्रेस के नेता जब बाहर आएंगे तो तब तक अपने राजनीतिक कैरियर को संभालने सुधारने के लिए कीमती समय उनके हाथ से चला गया होगा।

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