सांसद ओम बिरला ने संसद में उठाया गेहूं सहित
अन्य खाद्यान्नों का समर्थन मूल्य बढ़ाने का मुद्दा
नई दिल्ली, 24 फरवरी, 2015। कोटा-बूंदी से लोकसभा सांसद श्री ओम बिरला ने लोकसभा में नियम 377 के अन्तर्गत गेहूं सहित अन्य खाद्यान्नों का समर्थन मूल्य बढाने की मांग की। देश के किसानों को संरक्षित करने के उद्देश्य से निर्धारित किए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण में अपनाए जाने वाले मानदण्डों की अव्यावहारिकता पर माननीय संसद का ध्यान आकर्षित किया।
श्री बिरला ने कहा कि उक्त मानदण्डों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य हमेंशा ही लागत से लगभग 20 से 30 प्रतिषत तक कम होते हैं। उदाहरणार्थ सरकार द्वारा किए गए आंकलन के अनुसार गेहूं की उत्पादन लागत 1750 रूपये प्रति क्विंटल आंकी गई है जबकि समर्थन मूल्य 1450 रूपए निर्धारित किया गया है। अर्थात् गेहूं उत्पादक किसान अपनी लागत से 200 रूप्ए प्रति क्विंटल का घाटा उठाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने का विवश हैं।
उन्होंने बताया कि वैश्विक परिदृश्य में किसी भी उत्पाद का मूल्य निर्धारण उसके उत्पादन खर्च में लाभांश जोड़कर किया जाता है वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करने के लिए अपनाए गए मापदण्ड, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य, महंगाई दर, उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले प्रभाव आदि के आधार पर किया जाता है। इन मापदण्डों के कारण निर्धारित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को लाभ पहुंचाने के स्थान पर हानिप्रद सिद्ध हो रहे हैं।
श्री बिरला ने कहा इस प्रकार की विसंगतियां जौ, सरसों, चना, मूंगफली, मक्का, बाजारा आदि खाद्य उत्पादों पर भी हैं। ऐसी स्थिति में किसानों को काफी घाटा हो रहा है।
श्री बिरला ने सरकार सेे अविलम्ब गेहूं सहित अन्य खाद्यान्नों का समर्थन मूल्य बढाने की मांग की।